जबलपुर। मध्य प्रदेश एसोसिएशन ऑफ वूमेन एंटरप्रेन्योर मावे नाम के संगठन ने मध्य प्रदेश की 550 से ज्यादा महिलाओं को व्यापार करने का हौसला दिया है. यह संगठन जबलपुर की एक महिला कारोबारी ने सन 2000 में शुरू किया था और 2000 से लेकर अब तक इस संगठन के माध्यम से सैकड़ों महिला कारोबारियों ने न केवल संगठन के माध्यम से व्यापार सीखा बल्कि अपने अलावा दूसरों को भी रोजगार दिया. यह संगठन सफल महिला कारोबारी को हर साल सम्मानित भी करता है.
मध्य प्रदेश एसोसिएशन ऑफ वुमेन एंटरप्रेन्योर मावे
जबलपुर की एक महिला व्यापारी अर्चना भटनागर ने आज से लगभग 24 साल पहले मध्य प्रदेश एसोसिएशन ऑफ वुमेन एनटरपिनर मावे नाम के स्वयंसेवी संस्था की स्थापना की थी. अर्चना भटनागर खुद एक व्यवसाय करती हैं, वह एक जागरूक महिला हैं. लेकिन उन्होंने जब अपने व्यापार को स्थापित किया तो उन्होंने यह पाया कि महिलाओं को यदि बड़ा व्यापार करना है तो इसके लिए उन्हें मदद की जरूरत पड़ती है. इस मदद में केवल आर्थिक मदद शामिल नहीं है बल्कि महिलाओं का हौसला बनाए रखने के लिए उनके साथ खड़ा होना बहुत जरूरी है. इसलिए अर्चना भटनागर ने शुरुआत में जब यह संस्था खड़ी की तो बहुत अधिक समर्थन नहीं मिला. लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे करके दूसरी महिलाएं भी इस संस्था से जुड़ी और आज 24 साल बाद मेट्रो सिटीज के अलावा छोटे शहरों की सैकड़ों महिला उद्यमी अर्चना भटनागर के साथ मावे की सदस्य हैं.
मावे से मिलते हैं महिलाओं को मौके
अर्चना भटनागर इस संस्था के माध्यम से महिला उद्यमियों को उत्पादन पैकेजिंग मार्केटिंग यहां तक की एक्सपोर्ट करने तक में मदद करती हैं. अर्चना भटनागर की वजह से जबलपुर की कई महिला उद्यमियों ने जबलपुर के बने प्रोडक्ट को विदेश तक भेजा है. अर्चना भटनागर का कहना है कि ''हमारा समाज महिला कारोबारी को बहुत समर्थन नहीं करता. ऐसी स्थिति में हम महिलाएं ही एक दूसरे की मदद कर रही हैं और अब हम छोटे व्यापार नहीं करते. अब हमारी पहुंच भारत के बाहर तक है.''
हर्बल प्रोडक्ट विदेश भेजें
जबलपुर की एक महिला कारोबारी चंद्रा महिधर ने बताया कि ''वे ब्यूटी हर्बल प्रोडक्ट बनाती हैं लेकिन वह इनका बाजार नहीं बना पा रही थी और उनके क्वालिटी प्रोडक्ट्स भी केवल स्थानीय बाजार में ही बेच पा रही थी. लेकिन जब वह मावे से जुड़ी तो उनकी पैकेजिंग क्वालिटी सुधरी, उन्हें जो इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के सर्टिफिकेट्स चाहिए थे, उसमें हम अभी के जरिए उन्हें मदद मिली और आज उनके बनाए ब्यूटी प्रोडक्ट्स भारत के अलावा कई दूसरे देशों में सप्लाई होते हैं.''
विपत्ति में साथ खड़ा था संगठन
इसी तरह एक महिला कारोबारी संध्या बोरकर ने बताया कि ''वे एक समय टॉफी बनाने का कारोबार किया करती थी किसी ने उनकी शिकायत की और उसे शिकायत की वजह से उन पर फूड सिक्योरिटी का केस दर्ज हो गया. जबकि वे फूड सिक्योरिटी नॉर्म्स को पूरी तरह पालन कर रही थी. ऐसी स्थिति में मावे ही उनके साथ खड़ा था और मावे के सदस्यों ने मिलकर प्रशासन से बात की, जांच में सहयोग किया और अंत में संध्या बोरकर न केवल बरी हो पाई बल्कि रिलायंस फ्रेश जैसे बड़े ग्राहकों ने दोबारा अपना माल देना शुरू किया.'' संध्या बोरकर रहती हैं कि ''यदि वह अकेले ही उस समस्या से लड़ रही होती तो शायद उनकी परेशानी खत्म नहीं हो पाती.''
स्वीप के माध्यम से विदेशी कारोबारी से मिलने का मौका मिलता है
आज इस तरह की लगभग 550 महिलाएं हैं जो मावे की सदस्य हैं. इनमें कुछ जबलपुर की हैं और कुछ पूरे भारत भर में फैली हुई है. यह सभी महिलाएं साल भर में एक बार मावे के स्वीप नाम के कार्यक्रम में मिलती हैं और इस कार्यक्रम में सफल महिलाओं को सम्मानित किया जाता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी छोटे शहरों की महिला कारोबारी को मावे अपने मंच पर बुला चुका है और विदेशों से आए हुए महिला कारोबारी इन आयोजनों में अपने उपयोग के समान न केवल खरीदते हैं बल्कि अपने ढंग से तैयार करवाने की सलाह भी देते हैं.
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व्यापार में प्रतिस्पर्धा है व्यापार में जोखिम भी बहुत ज्यादा है. ऐसी स्थिति में यदि कोई संगठन व्यापारी के साथ खड़ा हो तो कारोबारी का डर आधा हो जाता है. जिन लोगों के पास बहुत अधिक पैसा है उन्हें शायद इसकी जरूरत ना हो लेकिन छोटी महिला कारोबारियों को यदि ऐसे संगठन मिल जाए तो वह अपनी आर्थिक आजादी की लड़ाई को पूरा कर सकती हैं. क्योंकि हमारा समाज अभी भी महिलाओं को व्यापार के मौके बहुत ज्यादा नहीं देता.