जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने फिल्म अभिनेत्री और सांसद कंगना रनौत को नोटिस जारी किया है. कंगना रनौत ने बीते दिनों एक कार्यक्रम में कहा था कि ''भारत को 1947 में आजादी संघर्ष नहीं बल्कि भीख में मिली है.'' मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एक एडवोकेट ने इस बयान को आपत्तिजनक मानते हुए कंगना रनौत के खिलाफ याचिका लगाई है. अब अपने बयान पर उन्हें अदालत में सफाई देना होगी.
1947 में मिली आजादी भीख थी-कंगना
फिल्म अभिनेत्री और सांसद कंगना रनौत ने एक विवादित बयान दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि, ''भारत को 1947 में अंग्रेजों से जो आजादी मिली वह भीख में मिली थी, वह हमने लड़के हासिल नहीं की.'' कंगना रनौत का कहना था कि, ''लॉर्ड माउंटबेटन एक संधि के तहत भारत को आजादी देकर चले गए.'' बयान को आगे जारी रखते हुए कंगना ने कहा कि, ''भारत सही मायने में 2014 में स्वतंत्र हुआ.'' कंगना का कहना है कि, ''भारत को अंग्रेजों ने लड़कर गुलाम किया था फिर भी बिना लड़े भारत से चले गए, इसलिए इस आजादी को भीख में मिली हुई आजादी ही माना जाएगा.''
कंगना का बयान बेहद आपत्तिजनक
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एडवोकेट अमित कुमार साहू ने कंगना रनौत के इस बयान के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है. अमित कुमार साहू ने अपनी याचिका में कहा है कि, ''कंगना रनौत ने जो बयान दिया है वह बेहद आपत्तिजनक है. भारत की आजादी के लिए लोगों ने अपने बलिदान दिए हैं. भारत की आजादी का लंबा संघर्ष बने इतिहास हैं, ऐसे में कंगना रनौत यह कैसे कह सकती हैं कि भारत को आजादी भीख में मिली थी.''
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कंगना रनौत को नोटिस जारी
अमित कुमार साहू ने कंगना रनौत के बयान को आपत्तिजनक मानते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज विश्वेश्वरी मिश्रा की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई और कंगना रनौत को रजिस्टर्ड नोटिस जारी किया गया है. जिस पर उनसे जवाब मांगा गया है कि आखिर उन्होंने ऐसा आपत्तिजनक बयान क्यों दिया. कंगना रनौत देश की रोल मॉडल हैं और उन्हें ऐसे बयान नहीं देने चाहिए.
फिल्म इमरजेंसी को लेकर हुआ था नोटिस जारी
इस मामले में कंगना रनौत से जवाब मांगा गया है. कंगना रनौत के हिमाचल प्रदेश के पते पर नोटिस भेजा गया है. अब देखना है इस मामले में कंगना रनौत की ओर से क्या जवाब आता है. इसके पहले मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी को लेकर नोटिस हुए थे, जिसमें सिख समुदाय ने इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक की मांग की थी.