श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर कांग्रेस (पीसीसी) के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने गुरुवार को घोषणा की कि कोषाध्यक्ष और प्रवक्ता के पद को छोड़कर कश्मीर कांग्रेस समिति को भंग कर दिया गया है. इससे साफ हो गया है कि विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार और पार्टी के अंदर विद्रोह के बाद जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में बड़े संगठनात्मक बदलाव हो सकते हैं. पार्टी ने कश्मीर घाटी में विरोधी स्वरों को खत्म करने का संकेत दे दिया है.
कर्रा ने श्रीनगर में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, "मैंने पार्टी के मामलों को चलाने के लिए कोषाध्यक्ष और प्रवक्ता को छोड़कर सभी पदों को भंग कर दिया है. बाकी सभी को भंग कर दिया गया है. कांग्रेस पार्टी में यह एक मिसाल है कि राज्य स्तर या केंद्रीय स्तर पर नए अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही सभी पद और समितियां भंग कर दी जाती हैं. हमारे पास जल्द ही एक नया ढांचा होगा."
कर्रा श्रीनगर में पार्टी कार्यकर्ताओं से बात कर रहे थे, जहां वे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनकी 40वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने इकट्ठे हुए थे.
पीसीसी अध्यक्ष कर्रा ने कहा, "किसी भी गलतफहमी और अशांति का शिकार होने से बचने के लिए मैंने एक अनुशासन समिति बनाई है, जो उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई का सुझाव देगी, जिनके बारे में हम चर्चा कर रहे हैं. अगर समिति उनके निष्कासन की सिफारिश करती है, तो हम कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगे, चाहे नेता कितना भी वरिष्ठ क्यों न हो, उसे निष्कासित कर दिया जाएगा."
कर्रा विधानसभा चुनावों में हार के बाद पार्टी के 22 नेताओं और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं द्वारा हाल ही में किए गए विद्रोह और आलोचना का जिक्र कर रहे थे. इन नेताओं ने हाल ही में श्रीनगर में एक बैठक की और कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे को एक प्रस्ताव सौंपा, जिसमें कर्रा को जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की गई. नेताओं ने कर्रा पर विधानसभा चुनाव के दौरान संगठनात्मक कदाचार, चुनावी कदाचार और वित्तीय कुप्रबंधन का भी आरोप लगाया.
कर्रा ने ईटीवी भारत से कहा, "मैं इसके बारे में मीडिया में बात नहीं करूंगा; मैं इसे मीडिया की बहस नहीं बनाना चाहता." विद्रोह करने वाले नेताओं के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने जवाब दिया, "यह अनुशासन समिति पर निर्भर करता है."
विद्रोह करने वाले नेताओं ने कर्रा की अध्यक्षता में गुरुवार के श्रद्धांजलि समारोह का बहिष्कार किया. इनमें से एक नेता ने ईटीवी भारत को बताया कि कर्रा ने श्रीनगर के सेंट्रल शाल्टेंग निर्वाचन क्षेत्र से अपने कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया था, जबकि जम्मू में नेतृत्व ने सभी को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन श्रीनगर में कर्रा ने 'चुन-चुन कर' काम किया.
कर्रा के पास समितियों को भंग करने की शक्ति नहीं...
कर्रा के कश्मीर कांग्रेस समिति भंग करने की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए पीसीसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुहम्मद अनवर भट ने कहा कि कर्रा एक कार्यवाहक अध्यक्ष हैं, जिनके पास समितियों को भंग करने की कोई शक्ति नहीं है."
भट ने ईटीवी भारत को बताया, "उनके पास कोई शक्ति नहीं है, वे कार्यवाहक हैं, उनके अध्यक्ष पद की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है; वे प्रभारी हैं. सभी समितियां और पद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) द्वारा सौंपे और बनाए जाते हैं. समितियों को बनाने और भंग करने का अधिकार एआईसीसी के पास है, पीसीसी अध्यक्षों के पास नहीं."
पीसीसी मुख्यालय प्रभारी भट उन 22 नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने कर्रा के खिलाफ प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं और उन्हें हटाने की मांग की है. कांग्रेस पार्टी को जम्मू संभाग में बड़ी चुनावी हार का सामना करना पड़ा, जहां उसने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन में 30 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई.
5 अगस्त, 2019 के फैसले के बाद से कथित तौर पर सत्ता विरोधी लहर और नाराजगी का सामना कर रही भाजपा ने जम्मू, उधमपुर, कठुआ और सांबा जिलों में कांग्रेस को हराया. कांग्रेस कश्मीर घाटी में पांच सीटें और राजौरी (एसटी) सीट जीतने में सफल रही.
बड़ी चुनावी हार और जम्मू और उधमपुर में संसदीय चुनावों में पिछली हार के बाद से, कांग्रेस पार्टी जम्मू में आंतरिक संकट और अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है.
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