श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारियां अंतिम चरणों में है. सभी राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में जुटे हैं. इस विधानसभा चुनाव 2024 में जहां बीजेपी ने कहा है कि वह निर्दलीय प्रत्याशियों को मजबूत करने का काम करेंगी. वहीं, कांग्रेस और नेशनल कॉफ्रेंस ने सीटों का गठबंधन किया है. चुनाव आयोग ने यहा तीन चरणों में विधानसभा चुनाव कराने का फैसला किया है. बता दें, जम्मू कश्मीर में 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे. चुनाव परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे.
केंद्र शासित प्रदेश में शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न कराने के लिए आयोग ने तमाम दिशा-निर्देश जारी किए हैं. चुनाव आयोग ने अधिकारियों से आग्रह किया गया कि वे राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को बिना वजह हिरासत में न लें और अंतिम समय में मतदान केंद्रों को स्थानांतरित करने या रैलियों को रद्द करने से बचें. एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू ने अपने दौरे के दौरान ये निर्देश दिए. अधिकारी ने कहा कि अधिकारियों (ईसीआई) ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी कार्रवाई मनमाने ढंग से ना की जाए.
बता दें, लोकसभा चुनाव 2024 समेत पिछले चुनावों में भी वोटिंग से ठीक पहले नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिए जाने के कई आरोप लगे थे. पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने आम चुनावों के दौरान चिंता जताई थी और दावा किया था कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और मतदान एजेंटों को हिरासत में लिया गया.
अधिकारी के अनुसार, चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को मतदान के समय सिर्फ उन लोगों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए, जो आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं. आयोग ने मतदान केंद्रों में एकरूपता की आवश्यकता पर भी जोर दिया. जानकारी के मुताबिक पिछले चुनावों में ऐसी घटनाएं हुई थीं जब बूथों को अंतिम समय में बदल दिया गया था, जिससे मतदाताओं को काफी समस्या हुई थी.
अधिकारी के अनुसार, मंगलवार तक पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा कार्यक्रम की अनुमति के लिए लगभग तीन हजार अनुरोध किए गए थे, जिनमें से 2,223 को अनुमति दी गई और 327 को अस्वीकार कर दिया गया. बता दें, जम्मू और कश्मीर में 2014 के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जिसकी शुरुआत 18 सितंबर को पहले चरण के साथ होगी. तीन चरणों में होने वाले ये चुनाव 2019 में क्षेत्र का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद से पहले हैं.
लोकसभा चुनावों में यहां 35 वर्षों में सबसे अधिक 58.58 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2014 के विधानसभा चुनावों में करीब 65.52 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.