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आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु को सुप्रीम कोर्ट से राहत, मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक - Sadhguru

Isha Foundation: रिटायर प्रोफेसर डॉ एस कामराज ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव की ईशा फाउंडेशन पर आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों को उनकी इच्छा के खिलाफ फाउंडेशन में रखा जा रहा है. मामले में आध्यात्मिक गुरु को राहत मिल गई है.

सद्गुरु जग्गी वासुदेव
सद्गुरु जग्गी वासुदेव (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 3, 2024, 12:09 PM IST

Updated : Oct 3, 2024, 2:00 PM IST

नई दिल्ली: आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. हाई कोर्ट ने दो लड़कियों के ब्रेन वॉश को लेकर पुलिस जांच के आदेश दिए थे. इस मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.

इससे पहले सद्गुरु जग्गी वासुदेव की ईशा फाउंडेशन ने मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें उनके और फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों पर तमिलनाडु सरकार से रिपोर्ट मांगी गई थी.

फाउंडेशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई की मांग की है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हम संभवत हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा देंगे, क्योंकि यह बिना किसी प्रथम दृष्टया कारण के पारित किया गया है."

अंतरिम आदेश जारी करने से पहले सीजेआई की पीठ उन दो महिलाओं से भी अपने कक्ष में बातचीत करेगी, जिनका कथित तौर पर ब्रेनवॉश किया गया था और जिन्हें फाउंडेशन द्वारा हिरासत में लिया गया था.

फाउंडेशन के योग सेंटर का निरीक्षण
इससे पहले मंगलवार को तमिलनाडु के कोयंबटूर में फाउंडेशन के योग सेंटर का निरीक्षण करने के लिए लगभग 150 पुलिसकर्मियों और सरकारी अधिकारियों की एक टुकड़ी ने सेंटर की स्थितियों का निरीक्षण किया था.

क्या है मामला?
एक रिटायर प्रोफेसर डॉ एस कामराज ने आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों, गीता कामराज और लता कामराज को उनकी इच्छा के खिलाफ फाउंडेशन में रखा जा रहा है. कामराज ने दावा किया कि संगठन ने उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया और उन्हें मठवासी जीवन जीने के लिए मजबूर किया.

मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने कोयंबटूर ग्रामीण पुलिस को जांच करने और रिपोर्ट करने का आदेश दिया. साथ ही ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज किसी भी आपराधिक मामले की डिटेल भी मांगी थी.जानकारी के मुताबिक डॉ एस कामराज की बड़ी बेटी, गीता, यूके की एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से मेक्ट्रोनिक्स में पोस्ट ग्रेजुएट हैं. 2008 में उनका तलाक हुआ था. तलाक के बाद उन्होंने ईशा फाउंडेशन में योग क्लास में शामिल होना शुरू किया.

वहीं उनकी छोटी बहन, लता एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. वह भी उनके साथ-साथ सेंटर जाने लगीं और फिर उन्होंने हमेशा ही केंद्र में रहने का फैसला किया. याचिका के अनुसार फाउंडेशन ने बहनों को कथित तौर पर खाना और दवाइयां दीं. इन दवाओं का सेवन करने से उनकी सोचने समझने की ताकत कमजोर हो गईं. इसके चलते उन्हें अपने परिवार के साथ अपने संबंध तोड़ने पड़े.

यह भी पढ़ें- सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई आज

नई दिल्ली: आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. हाई कोर्ट ने दो लड़कियों के ब्रेन वॉश को लेकर पुलिस जांच के आदेश दिए थे. इस मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.

इससे पहले सद्गुरु जग्गी वासुदेव की ईशा फाउंडेशन ने मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें उनके और फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों पर तमिलनाडु सरकार से रिपोर्ट मांगी गई थी.

फाउंडेशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई की मांग की है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हम संभवत हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा देंगे, क्योंकि यह बिना किसी प्रथम दृष्टया कारण के पारित किया गया है."

अंतरिम आदेश जारी करने से पहले सीजेआई की पीठ उन दो महिलाओं से भी अपने कक्ष में बातचीत करेगी, जिनका कथित तौर पर ब्रेनवॉश किया गया था और जिन्हें फाउंडेशन द्वारा हिरासत में लिया गया था.

फाउंडेशन के योग सेंटर का निरीक्षण
इससे पहले मंगलवार को तमिलनाडु के कोयंबटूर में फाउंडेशन के योग सेंटर का निरीक्षण करने के लिए लगभग 150 पुलिसकर्मियों और सरकारी अधिकारियों की एक टुकड़ी ने सेंटर की स्थितियों का निरीक्षण किया था.

क्या है मामला?
एक रिटायर प्रोफेसर डॉ एस कामराज ने आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों, गीता कामराज और लता कामराज को उनकी इच्छा के खिलाफ फाउंडेशन में रखा जा रहा है. कामराज ने दावा किया कि संगठन ने उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया और उन्हें मठवासी जीवन जीने के लिए मजबूर किया.

मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने कोयंबटूर ग्रामीण पुलिस को जांच करने और रिपोर्ट करने का आदेश दिया. साथ ही ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज किसी भी आपराधिक मामले की डिटेल भी मांगी थी.जानकारी के मुताबिक डॉ एस कामराज की बड़ी बेटी, गीता, यूके की एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से मेक्ट्रोनिक्स में पोस्ट ग्रेजुएट हैं. 2008 में उनका तलाक हुआ था. तलाक के बाद उन्होंने ईशा फाउंडेशन में योग क्लास में शामिल होना शुरू किया.

वहीं उनकी छोटी बहन, लता एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. वह भी उनके साथ-साथ सेंटर जाने लगीं और फिर उन्होंने हमेशा ही केंद्र में रहने का फैसला किया. याचिका के अनुसार फाउंडेशन ने बहनों को कथित तौर पर खाना और दवाइयां दीं. इन दवाओं का सेवन करने से उनकी सोचने समझने की ताकत कमजोर हो गईं. इसके चलते उन्हें अपने परिवार के साथ अपने संबंध तोड़ने पड़े.

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Last Updated : Oct 3, 2024, 2:00 PM IST
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