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252 किलोमीटर की मैराथन रेस पूरी कर मिसाल बने कर्नल जंगवीर लांबा, 50 डिग्री टेम्परेचर में पूरी की रेस - Colonel Jangvir Lamba - COLONEL JANGVIR LAMBA

भारतीय सेना में कार्यरत कर्नल जंगवीर लांबा हाल ही में एक उपलब्धि अर्जित कर स्वदेश लौटे हैं. उन्होंने 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान में सहारा मरुस्थल में 252 किलोमीटर लंबी मैराथन को पूरा करने में सफलता हासिल की है. मोरक्को सहारा में हाल ही में '38वीं डेस सैबल्स' मैराथन का आयोजन किया गया था.

राजस्थान के कर्नल जंगवीर लांबा की उपलब्धि
राजस्थान के कर्नल जंगवीर लांबा की उपलब्धि
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 25, 2024, 1:27 PM IST

जयपुर. 52 साल की भारतीय सेना के अधिकारी और अपने सहकर्मियों में 'आयरन मैन' के नाम से पहचाने जाने वाले कर्नल जंगवीर लांबा ने देश का गौरव बढ़ाया है. उन्होंने 14 से 20 अप्रैल 2024 तक मोरक्को सहारा में आयोजित 38वीं पौराणिक मैराथन 'डेस सेबल्स' में भाग लिया और सफलतापूर्वक पूरा किया. ग़ौरतलब है कि इस मैराथन को दुनिया की सबसे दुर्गम प्रतिस्पर्धाओं में से एक माना जाता है. इस मैराथन में 60 देशों के करीब 900 एथलीटों ने भाग लिया था. जहां का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया जाता है.

67 घंटे 7 मिनट में पूरा किया सफर : दुनिया की सबसे मुश्किल पैदल दौड़ में शुमार सहारा के मरुस्थल में यह मैराथन 252 किलोमीटर लंबी होती है. कर्नल जंगवीर लांबा ने इसे पूरा करने में 67 घंटे और 7 मिनट का वक्त लिया. जाहिर है कि यह मैराथन अंतहीन रेत के टीलों, चट्टानी जेबेल्स और रेतीले नमक के मैदानों के बीच आयोजित की जाती है. जो इसके प्रतिभागियों की मानसिक दृढ़ता की अग्नि परीक्षा के रूप में देखी जाती है. दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान में कर्नल लांबा के लिए भी यह मैराथन इतनी आसान नहीं थी. उन्हें भी विपरीत परिस्थितियों में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा. कर्नल लांबा ने अपने शारीरिक कौशल और मानसिक लचीलेपन के अनूठे मिश्रण के साथ मैराथन 'डेस सेबल्स' को पूरा करने की उपलब्धि को हासिल किया.

'38वीं डेस सैबल्स' मैराथन
'38वीं डेस सैबल्स' मैराथन

पढ़ें: लोगों ने मारे ताने, लेकिन दादा का सपना किया पूरा, जानिए दिव्यांग राची की सफलता की कहानी

सालों की ट्रेनिंग के बाद मिली सफलता : कर्नल जंगवीर लांबा के मुताबिक “मैराथन डेस सेबल्स सिर्फ एक दौड़ नहीं थी, बल्कि यह सहनशक्ति की परीक्षा थी. सालों की ट्रेनिंग और कमिटमेंट के परिणाम के रूप में उन्हें सफलता मिली है. इस मैराथन के दौरान जरूरत के सामान का वजन भी उठाना पड़ता है. जो आग बरसाती रेत के ऊपर अंतिम टीलों पर काफी मुश्किल हो जाता है. इस रेगिस्तान की हर कदम पर मुश्किलें और चुनौतियां होती है, जो किसी भी शख्स की मानसिक और शारीरिक की सेहत की कड़ी परीक्षा से कम नहीं होती है.

50 डिग्री टेम्परेचर में पूरी की रेस
50 डिग्री टेम्परेचर में पूरी की रेस

चार पीढ़ी से सेना से जुड़ा है लांबा परिवार : कर्नल जंगवीर लांबा भारतीय सेना से जुड़े चौथी पीढ़ी के अधिकारी हैं. जयपुर के रहने वाले कर्नल जंगवीर लांबा ने पहले 07 अक्टूबर 2023, को ट्रायथलॉन मलेशिया (लैंगकावी) में 3.8 किमी तैराकी, 180 किमी साइकिलिंग और 42.2 किमी मैराथन में 16 घंटे और 41 मिनट में सफलतापूर्वक पूरा किया था. इसके अलावा आयरनमैन ट्रायथलॉन की पैसिफिक चैंपियनशिप एशिया 18 जून, 2023 को केर्न्स, क्वींसलैंड ऑस्ट्रेलिया और 3 नवंबर 2022 को गोवा में उन्होंने भाग लिया और सफलता पूर्वक पूरा किया था. कर्नल लांबा एक पेशेवर बॉडी बिल्डर और इंडियन बॉडी बिल्डर्स फेडरेशन के साथ राष्ट्रीय स्तर के बॉडी बिल्डिंग जज भी रहे हैं.

जयपुर. 52 साल की भारतीय सेना के अधिकारी और अपने सहकर्मियों में 'आयरन मैन' के नाम से पहचाने जाने वाले कर्नल जंगवीर लांबा ने देश का गौरव बढ़ाया है. उन्होंने 14 से 20 अप्रैल 2024 तक मोरक्को सहारा में आयोजित 38वीं पौराणिक मैराथन 'डेस सेबल्स' में भाग लिया और सफलतापूर्वक पूरा किया. ग़ौरतलब है कि इस मैराथन को दुनिया की सबसे दुर्गम प्रतिस्पर्धाओं में से एक माना जाता है. इस मैराथन में 60 देशों के करीब 900 एथलीटों ने भाग लिया था. जहां का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया जाता है.

67 घंटे 7 मिनट में पूरा किया सफर : दुनिया की सबसे मुश्किल पैदल दौड़ में शुमार सहारा के मरुस्थल में यह मैराथन 252 किलोमीटर लंबी होती है. कर्नल जंगवीर लांबा ने इसे पूरा करने में 67 घंटे और 7 मिनट का वक्त लिया. जाहिर है कि यह मैराथन अंतहीन रेत के टीलों, चट्टानी जेबेल्स और रेतीले नमक के मैदानों के बीच आयोजित की जाती है. जो इसके प्रतिभागियों की मानसिक दृढ़ता की अग्नि परीक्षा के रूप में देखी जाती है. दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान में कर्नल लांबा के लिए भी यह मैराथन इतनी आसान नहीं थी. उन्हें भी विपरीत परिस्थितियों में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा. कर्नल लांबा ने अपने शारीरिक कौशल और मानसिक लचीलेपन के अनूठे मिश्रण के साथ मैराथन 'डेस सेबल्स' को पूरा करने की उपलब्धि को हासिल किया.

'38वीं डेस सैबल्स' मैराथन
'38वीं डेस सैबल्स' मैराथन

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सालों की ट्रेनिंग के बाद मिली सफलता : कर्नल जंगवीर लांबा के मुताबिक “मैराथन डेस सेबल्स सिर्फ एक दौड़ नहीं थी, बल्कि यह सहनशक्ति की परीक्षा थी. सालों की ट्रेनिंग और कमिटमेंट के परिणाम के रूप में उन्हें सफलता मिली है. इस मैराथन के दौरान जरूरत के सामान का वजन भी उठाना पड़ता है. जो आग बरसाती रेत के ऊपर अंतिम टीलों पर काफी मुश्किल हो जाता है. इस रेगिस्तान की हर कदम पर मुश्किलें और चुनौतियां होती है, जो किसी भी शख्स की मानसिक और शारीरिक की सेहत की कड़ी परीक्षा से कम नहीं होती है.

50 डिग्री टेम्परेचर में पूरी की रेस
50 डिग्री टेम्परेचर में पूरी की रेस

चार पीढ़ी से सेना से जुड़ा है लांबा परिवार : कर्नल जंगवीर लांबा भारतीय सेना से जुड़े चौथी पीढ़ी के अधिकारी हैं. जयपुर के रहने वाले कर्नल जंगवीर लांबा ने पहले 07 अक्टूबर 2023, को ट्रायथलॉन मलेशिया (लैंगकावी) में 3.8 किमी तैराकी, 180 किमी साइकिलिंग और 42.2 किमी मैराथन में 16 घंटे और 41 मिनट में सफलतापूर्वक पूरा किया था. इसके अलावा आयरनमैन ट्रायथलॉन की पैसिफिक चैंपियनशिप एशिया 18 जून, 2023 को केर्न्स, क्वींसलैंड ऑस्ट्रेलिया और 3 नवंबर 2022 को गोवा में उन्होंने भाग लिया और सफलता पूर्वक पूरा किया था. कर्नल लांबा एक पेशेवर बॉडी बिल्डर और इंडियन बॉडी बिल्डर्स फेडरेशन के साथ राष्ट्रीय स्तर के बॉडी बिल्डिंग जज भी रहे हैं.

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