मंडी: 'ये तेरी मेहनत और लगन का परिणाम है, कि आज सबकी नजरों में तेरे लिए सम्मान है'. हिमाचल की एक बेटी आज उस मुकाम पर जा पहुंची है, जहां सिर्फ पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है. फिल्मी पर्दे से लेकर फौज तक बंदूक लेकर बैठे स्नाइपर के रूप में एक पुरुष ही नजर आता है लेकिन मंडी जिले के कुटल गांव की सुमन ने पुरुषों के एकछत्र राज वाली टोली में बेटियों का परचम लहरा दिया है. महिला दिवस पर ऐसी महिला का जिक्र होना लाजमी है.
BSF की पहली महिला स्नाइपर
28 साल की सुमन ठाकुर की यही पहचान है और ये पहचान अब अजर अमर रहेगी क्योंकि जब भी बीएसएफ की पहली महिला स्नाइपर का जिक्र होगा तो सुमन का नाम खुद ब खुद आ जाएगा. इंदौर में 56 पुरुषों के बीच अकेली लड़की ने 8 हफ्ते की कड़ी ट्रेनिंग करके ये मुकाम पाया है. उन्होंने बीएसएफ स्नाइपर कोर्स पूरा करके इंस्ट्रक्टर ग्रेड हासिल किया है. बेटी की इस उपलब्धि पर उनके घर, गांव और पूरे इलाके को गर्व है. दो दिन पहले बिटिया घर लौटी तो परिवार के साथ गांववालों ने उनपर खूब प्यार बरसाया था. परिजनों के मुताबिक सुमन ने बीएसएफ में पहली महिला स्नाइपर बनकर न केवल हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन किया है, बल्कि देश का भी गौरव बढ़ाया है.
ईटीवी भारत से सुमन ठाकुर की खास बातचीत: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने सुमन ठाकुर से खास बातचीत की. इस दौरान सुमन ठाकुर ने स्नाइपर कोर्स प्रशिक्षण का अनुभव साझा किया. 28 वर्षीय सुमन ठाकुर बीएसएफ की पंजाब यूनिट में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं. 2019 में एसएससी परीक्षा देने के बाद सुमन 2021 में बीएसएफ में भर्ती हुई. स्नाइपर हमलों के खतरे का अहसास होने के बाद सुमन ने स्वेच्छा से स्नाइप कोर्स करने का फैसला लिया और इसके लिए अप्लाई कर दिया. उनके इस फैसले को सीनियर्स से लेकर परिवारवालों तक का साथ मिला और सभी ने उनका मनोबल बढ़ाया.
सुमन को परिवार का हमेशा मिला सहारा: सुमन ने बताया कि परिवार का हमेशा सहारा मिलता रहा है. किसी भी क्षेत्र में जाने के लिए परिवार ने कभी भी इनकार नहीं किया. फौज ज्वाइन करने का उनका बचपन का सपना था, जिसे पूरा करने में माता-पिता का भरपूर सहयोग रहा है. बीएसएफ ज्वाइन करने पर कुछ रिश्तेदार नाराज हुए थे कि लड़की को फौज में नहीं जाना चाहिए.
'स्नाइपर बनना चुनौती': सुमन ने बताया कि स्नाइपर कोर्स के दौरान कई बाधाएं भी सामने आई लेकिन उन्होंने सभी दिक्कतों का सामना पार करते हुए सभी टास्क को पूरा किया. कुछ टास्क ऐसे भी थे, जिन्हें पूरा करने के लिए एक महिला होने के नाते शारीरिक तौर पर उन्हें ज्यादा मेहनत करने पड़ी. इस कोर्स को पूरा करने के लिए पूरी तरह से शारीरिक और मानसिक सहनशक्ति की जरूरत होती है. क्योंकि एक स्नाइपर जब किसी निशाने पर नजरें टिकाए रखता है तो एक ही पॉजीशन में कई घंटे भी रहना पड़ सकता है, जो शारीरिक से ज्यादा मानसिक रूप से ज्यादा चैलेंजिंग होता है. एक अच्छा प्रशिक्षित स्नाइपर 2 से 3 किलोमीटर दूर से निशाना लगा सकता है.
'गलत के खिलाफ आवाज उठाने से पीछे न हटें महिलाएं': वहीं, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सुमन ठाकुर ने महिलाओं को संदेश दिया. उन्होंने कहा पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की आवाज को सुना तो जरूर जाता है लेकिन उनकी बातों को प्राथमिकता नहीं दी जाती है. बेहतर कार्यों और निर्णयों के लिए पुरुषों के साथ प्रशंसा की हकदार महिलाएं भी होती हैं. समाज में महिलाओं को भी प्रशंसा मिलनी चाहिए. समाज में यदि कहीं गलत हो रहा है तो महिलाओं को आगे आकर आवाज उठानी चाहिए.
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