देहरादून (उत्तराखंड): स्त्री शक्ति को नमन करने के उद्देश्य से 8 मार्च को दुनियाभर में महिला दिवस मनाया जाता है. दुनियाभर में महिला दिवस मनाने का मकसद महिलाओं को सशक्त करना और उनकी उपलब्धियों को विश्व पटल पर लाना है. महिला दिवस महिलाओं के अधिकारों का दिन है. आज देश-दुनिया में महिलाओं और अपनी पहचान साबित करने के लिए किसी व्यक्ति विशेष की जरूरत नहीं है. महिलाएं अपनी एबिलिटी और परफॉर्मेंस के दम पर हर क्षेत्र में नाम कमा रही हैं. भारत देश इसका एक सशक्त उदाहरण है और उत्तराखंड में भी देवभूमि में 'देवियां' अपनी काबिलियत साबित कर रही हैं.
भारत देश, जहां एक आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू आज देश का राष्ट्रपति हैं. देश के वित्त मंत्रालय की कमान एक सशक्त महिला निर्मला सीतारमण के हाथों में है. संसद में बतौर जनप्रतिनिधि देश के कोने-कोने से महिलाएं अपनी आवाज बुलंद करती हैं. इसी भारत देश के छोटे से पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की बात करें तो यहां भी महिलाओं ने अपने कार्य और मेहनत के बल पर सर्वोच्च पदों को हासिल किया है और अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभा रही हैं.
उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव हैं राधा रतूड़ी: वर्तमान समय में उत्तराखंड में ब्यूरोक्रेसी के बॉस के पद पर एक महिला IAS अधिकारी तैनात हैं. इनका नाम राधा रतूड़ी है. राधा रतूड़ी ने पत्रकारिता से अपने करियर की शुरुआत की. उनका सफर इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस और इंडियन पुलिस सर्विस के बाद इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस तक पहुंचा है. राधा रतूड़ी मूल रूप से मध्य प्रदेश की रहने वाली हैं और देश के चार राज्यों में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं.
इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में चयन के बाद उन्होंने उज्जैन में अपनी प्रशासन की ट्रेनिंग ली. मध्य प्रदेश में काम करने के बाद अपने कैडर चेंज होने पर उन्हें उत्तर प्रदेश के बरेली में पोस्टिंग मिली. इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश में विभिन्न जिम्मेदारियां को देखा. इसी दौरान राधा रतूड़ी के पति आईपीएस अनिल रतूड़ी के नेशनल पुलिस अकादमी हैदराबाद जाने पर उन्होंने स्टडी लीव लेने का फैसला लिया. जबकि इसके बाद वह प्रतिनियुक्ति पर आंध्र प्रदेश में भी पोस्टिंग लेकर उन्होंने दो साल जॉइंट सेक्रेटरी के रूप में काम किया.
साल 1999 में वह वापस उत्तर प्रदेश आ गईं. इसके बाद 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड अलग राज्य के रूप में स्थापित हुआ, जिसके बाद राधा रतूड़ी ने उत्तराखंड कैडर ले लिया. राधा रतूड़ी महिला एवं बाल विकास को लेकर बेहद ज्यादा गंभीर रहती हैं. 31 जनवरी 2024 को राधा रतूड़ी ने उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव का कार्यभार संभाला.
हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रितु बाहरी: अभी हाल ही में उत्तराखंड को जस्टिस रितु बाहरी के तौर पर पहली महिला मुख्य न्यायाधीश मिली हैं. उत्तराखंड पहला प्रदेश है जहां ब्यूरोक्रेसी और न्यायपालिका के सर्वोच्च शिर पर महिलाएं आसीन हैं. जस्टिस रितु बाहरी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की पहली महिला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश थीं. उन्होंने 14 अक्टूबर 2023 को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का चार्ज लिया था. साल 1962 में पंजाब के जालंधर में जन्मी रितु बाहरी ने अपनी पढ़ाई चंडीगढ़ में की. 1985 में पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की. वहीं, साल 1986 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में वकालत शुरू की. इसके बाद हरियाणा एडवोकेट जनरल कार्यालय में रितु बाहरी ने अपनी सेवाएं दीं. वहीं, 16 अगस्त 2010 को उन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया.
पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी: उत्तराखंड विधानसभा की कमान भी इस समय एक महिला के हाथों में हैं. ऋतु खंडूड़ी इस समय उत्तराखंड की विधानसभा अध्यक्ष हैं. ऋतु खंडूड़ी पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटी हैं. मगर ऋतु खंडूड़ी का परिचय इतना भर नहीं है. ऋतु खंडूड़ी ने मेरठ के रघुनाथ गर्ल्स कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली. राजस्थान विश्वविद्यालय से उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया. ऋतु ने पत्रकारिता में डिप्लोमा भी किया है. साल 2006 से लेकर 2017 तक उन्होंने नोएडा की ऐमिटी यूनिवर्सिटी में फैकल्टी के रूप में भी काम किया. इसके बाद 2017 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा. पौड़ी की यमकेश्वर विधानसभा सीट से जीत हासिल की. साल 2022 में ऋतु खंडूड़ी कोटद्वार सीट चुनाव लड़ीं. यहां उन्होंने अपने पिता की हार का बदला लिया. 2022 विधानसभा जीत के बाद उन्होंने पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी दी. उन्हें बीजेपी ने विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त किया.
पहली महिला सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह: टिहरी सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह उत्तराखंड में महिलाओं के लिए बड़ी मिसाल है. टिहरी सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह लगातार तीन बार से टिहरी लोकसभा सांसद हैं. इस बार भी बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए माला राज्यलक्ष्मी शाह पर दांव खेला है. माला राज्यलक्ष्मी शाह टिहरी राजशाही परिवार से आती हैं. वो टिहरी राजघराने की बहू हैं. माला राज्य लक्ष्मी उत्तराखंड की पहली महिला सांसद हैं. 2012 में अपने सांसद ससुर मानवेन्द्र शाह के निधन के बाद पहली दफा उपचुनाव में जीती थी. पहली बार उन्होंने उपचुनाव में विजय बहुगुणा के पुत्र साकेत बहुगुणा को हराया. माला राज्य लक्ष्मी शाह 2012 से लगातार 3 बार की सांसद हैं.
राज्यसभा सांसद कल्पना सैनी: डॉ. कल्पना सैनी इस समय उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद हैं. कल्पना सैनी उत्तराखंड से राज्यसभा पहुंचने वाली दूसरी महिला सांसद हैं. उनसे पहले साल 2014 में मनोरमा डोबरियाल कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा पहुंची थी. बात अगर कल्पना सैनी की करें तो वो 31 साल की उम्र में 1990 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ीं. उन्होंने रुड़की में प्रिंसिपल के रूप में काम किया. इस दौरान संगठन से जुड़ी रहीं. 1995 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी के रुड़की के लिए पार्षद नियुक्त किया गया. वह उत्तराखंड बीजेपी बड़ी महिला नेता के तौर पर जानी जाती हैं. डॉ. कल्पना सैनी का जन्म 1 अक्टूबर 1959 को हरिद्वार जिले के रुड़की में एक छोटे से गांव (शिवदासपुर- तेलीवाला) में एक सैनी परिवार में हुआ था. उनके पिता पृथ्वी सिंह विकास और उनकी मां कमला देवी थीं. वह किसान परिवार में पैदा हुईं थी. मेरठ विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी के परिणाम प्राप्त करते हुए संस्कृत में पीएचडी की डिग्री हासिल की.
महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रेखा आर्य: उत्तराखंड में ब्यूरोक्रेसी और न्यायपालिका के साथ ही विधायिका में भी महिलाओं की धमक है. रेखा आर्य उत्तराखंड की धामी सरकार की हेवीवेट मंत्री हैं. रेखा आर्य के पास महिला एंव बाल कल्याण विभाग है. इसके साथ ही वो खेल मंत्रालय भी संभालती हैं. रेखा आर्य ने अपने संघर्ष कर वो मुकाम हासिल किया जिस पर आज वो खड़ी हैं. रेखा आर्य की बचपन आर्थिक संकट के बीच गुजरा. इसके बाद भी उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी. रेखा आर्य ने एम कॉम की पढ़ाई पूरी. इसके बाद उन्होंने बीएड किया. बाद में वो राजनीति में आ गई. उन्होंने जिला स्तर से राजनीति शुरुआत की.
रेखा आर्य ने पहले उन्होंने अल्मोड़ा जिला पंचायत का चुनाव लड़ा. साल 2012 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने रेखा आर्य का टिकट काटा. रेखा ने सोमेश्वर से निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन वो ये चुनाव हार गईं. साल 2014 के उपचुनाव में कांग्रेस ने रेखा आर्य पर दांव खेला. रेखा आर्य इस चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची. इसके बाद 2016 में रेखा आर्य ने बीजेपी का दामन थामा. रेखा आर्य सोमेश्वर सीट से विधायक हैं. वो सूबे की मंत्री पद संभाल रही हैं और धामी कैबिनेट की अकेली महिला मंत्री हैं.
प्रशासन में भी महिलाओं की धमक: उत्तराखंड में महिलाओं की प्रशासन में भी धमक हैं. यहां कई महिलाएं जिलाधिकारी की कमान संभाल रही है. इनमें सोनिका सिंह देहरादून जिलाधिकारी के पद पर तैनात हैं. वंदना सिंह नैनीताल जिले की जिम्मेदारी संभाल रही हैं. अनुराधा पाल बागेश्वर और रीना जोशी पिथौरागढ़ जैसे सीमांत जिले में सेवाएं दे रही हैं.
पुलिस में भी महिलाएं एक्टिव: उत्तराखंड पुलिस में भी महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं. विम्मी सचदेवा आईजी पीएचक्यू, बिमला गुंज्याल आईजी, रिधिमा अग्रवाल आईजी एसडीआरएफ होम, नीरू गर्ग आईडी फायर, निवेदिता कुकरेती एडिशनल सेकेट्री होम और डीआईजी फायर, पी. रेणुका देवी डीआईजी लॉ जीआरपी, प्रीति प्रियदर्शनी कमांडेंट पीएसी, तृप्ति भट्ट एसपी इंटेलिजेंस, श्वेता चौबे एससएपी पौड़ी, विशाखा अशोक एसपी रुद्रप्रयाग, रेखा यादव एसपी चमोली की जिम्मेदारी निभा रही हैं.