हैदराबाद: 17 जुलाई अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय दिवस है. यह 17 जुलाई 1998 को रोम संविधि को अपनाने की वर्षगांठ का प्रतीक है. ICC की संस्थापक संधि, जो लोगों को नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराध और आक्रामकता के अपराध से बचाने का प्रयास करती है. 17 जुलाई उन सभी लोगों को एकजुट करता है जो न्याय का समर्थन करना चाहते हैं, पीड़ितों के अधिकारों को बढ़ावा देना चाहते हैं और दुनिया की शांति, सुरक्षा और भलाई को खतरा पहुंचाने वाले अपराधों को रोकने में मदद करना चाहते हैं.
ICC क्या है?:
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) सबसे गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराधों, जैसे नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध और युद्ध अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए स्थापित पहला स्थायी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय है. 17 जुलाई 2018 से, न्यायालय के पास आक्रामकता के अपराध पर भी अधिकार क्षेत्र है. न्यायालय का उद्देश्य कानून के शासन को बढ़ावा देना और यह सुनिश्चित करना है कि सबसे गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराधों के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाए.
ICC के सदस्य: 1988 से अब तक 139 देश इसके सदस्य बन चुके हैं. इसका मतलब है कि ये देश ICC द्वारा दिए गए फैसलों को स्वीकार करेंगें. हालांकि, भारत, चीन, रूस और अमेरिका समेत कई देश इस न्यायालय के आलोचक हैं और इसमें शामिल नहीं हुए हैं.
इस दिन का महत्व: यह दिन हमें अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के महत्व और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए इसके द्वारा किए जाने वाले कामों को उजागर करने की याद दिलाता है. यह सभी देशों से दंड से मुक्ति के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने का आह्वान करता है, ताकि अपराध करने वालों को सजा मिले और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिले. यह दिन दुनिया भर के लोगों को गंभीर मुद्दों पर ध्यान देने और उन लोगों को चेतावनी देने के लिए भी आकर्षित करता है जो जोखिम में पड़े देशों की शांति, सुरक्षा और भलाई को प्रभावित करते हैं.
इस दिन का इतिहास: यह दिन 17 जुलाई 1998 को रोम के कानून को अपनाने की वर्षगांठ का प्रतीक है, जिस संधि ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का निर्माण किया. यह तब हुआ जब 120 राज्यों ने रोम में एक कानून को अपनाया। इसे अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के रोम के कानून के रूप में जाना जाता था, सभी देश जो कानून को अपनाने के लिए सहमत हुए, उन्होंने ICC के अधिकार क्षेत्र को स्वीकार कर लिया.
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की शक्तियां क्या हैं?:
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण न्यायिक अंग है. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना 1945 में हॉलैंड के हेग शहर में हुई थी. इसके बाद इसने 1946 में अपना काम शुरू किया. इसका मुख्यालय नीदरलैंड के हेग शहर में है. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के अनुसार, इसका काम कानूनी विवादों का निपटारा करना है. साथ ही, इसे संयुक्त राष्ट्र के अंगों और विशेष एजेंसियों द्वारा उठाए गए कानूनी सवालों पर राय देनी होती है. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी और फ्रेंच है.
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाले अपराध
युद्ध अपराध: युद्ध अपराधों में यातना, अंग-भंग, शारीरिक दंड, बंधक बनाना और आतंकवादी गतिविधियां शामिल हैं. इस श्रेणी में मानवीय गरिमा का उल्लंघन जैसे बलात्कार और जबरन वेश्यावृत्ति, लूटपाट और बिना किसी मुकदमे के फांसी देना भी शामिल है. मानवता के विरुद्ध अपराधों के विपरीत, युद्ध अपराध हमेशा युद्ध के समय किए जाते हैं.
नरसंहार: इसमें किसी राष्ट्रीय, जातीय या धार्मिक समूह को नष्ट करने के इरादे से किए गए सभी कार्य शामिल हैं.
मानवता के विरुद्ध अपराध: मानवता के विरुद्ध अपराध किसी भी नागरिक आबादी के विरुद्ध व्यापक या व्यवस्थित हमले के हिस्से के रूप में किए गए कार्य हैं, जैसे हत्या, निर्वासन, यातना और बलात्कार. ICC अपराधियों पर मुकदमा चलाता है, भले ही अपराध युद्ध के समय में न किए गए हों.
2023 विवाद समाधान की मुख्य बातें:
2023 में, ICC न्यायालय ने कुल 890 नए मामले दर्ज किए, जो इसके इतिहास में तीसरा सबसे अच्छा वर्ष था. पंजीकृत 890 मामलों में से 870 विश्वसनीय ICC मध्यस्थता नियमों के तहत और 20 ICC नियुक्ति प्राधिकरण नियमों के तहत आयोजित किए गए थे. 2023 के आंकड़ों ने त्वरित प्रक्रिया प्रावधानों के तहत प्रशासित 189 नए मामलों की रिकॉर्ड संख्या भी प्रकट हुई. अन्य महत्वपूर्ण आंकड़ों में पक्षों और मध्यस्थता के स्थानों की भौगोलिक विविधता और महिला मध्यस्थों की बढ़ती संख्या शामिल है.
अंतरराष्ट्रीय न्याय मामले:
- मार्च 2012 में न्यायालय का पहला फैसला, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक मिलिशिया के नेता थॉमस लुबांगा के खिलाफ था. उन्हें उस देश के संघर्ष में बच्चों के उपयोग से संबंधित युद्ध अपराधों का दोषी ठहराया गया था और जुलाई में 14 साल की सजा सुनाई गई थी.
- अब तक, अफगानिस्तान, बुरुंडी, कांगो, सूडान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, जॉर्जिया, केन्या, लीबिया, माली, युगांडा, बांग्लादेश और म्यांमार के मामलों की जांच अंतररर्ष्ट्रीय न्यायालय में की जा चुकी है.
- ICC में लाए जाने वाले सबसे उच्च प्रोफाइल व्यक्ति आइवरी कोस्ट के पूर्व राष्ट्रपति लॉरेंट ग्बाग्बो हैं, जिन पर 2011 में हत्या, बलात्कार और अन्य प्रकार की यौन हिंसा, उत्पीड़न और 'अन्य अमानवीय कृत्यों' के आरोप लगाए गए थे.
- अन्य उल्लेखनीय मामलों में केन्या के राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप शामिल थे, जिन पर 2007-08 में चुनाव के बाद जातीय हिंसा के संबंध में 2011 में अभियोग लगाया गया था. इसमें 1,200 लोग मारे गए थे. ICC ने दिसंबर 2014 में श्री केन्याटा के खिलाफ आरोप हटा दिए.