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आंत को सड़ा देती है ये खतरनाक बीमारी, विश्वभर में बढ़ रही मरीजों की संख्या, जानें क्या है IBD और इसके लक्षण व बचाव - Inflammatory Bowel Disease Ibd

Inflammatory Bowel Disease: इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज में दो स्थितियां शामिल हैं, पहला क्रोहन रोग और दूसरा अल्सरेटिव कोलाइटिस. ऐस में आइए चंडीगढ़ पीजीआई गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की हेड डॉ. उषा दत्ता से जानते हैं इस खतरनाक बीमारी के लक्षण और इससे बचने के उपाय.

Inflammatory Bowel Disease IBD
Inflammatory Bowel Disease IBD (ईटीवी भारत चंडीगढ़ रिपोर्टर)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : May 24, 2024, 7:44 PM IST

Updated : May 24, 2024, 8:40 PM IST

चंडीगढ़: पीजीआई चंडीगढ़ में हजारों लोग पेट की बीमारी का इलाज करवाने के लिए पहुंच रहे हैं. पीजीआई में तीन दिनों से OPD में इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज यानी पेट में अचानक उठने वाला दर्द या दूसरी भाषा में कहा जाए तो आंतों में सूजन आना. पेट में सूजन संबंधी बीमारियों में आंत में सूजन आ जाती है. जिससे अक्सर पेट में दर्द और दस्त होते हैं. यह बीमारी एक खतरनाक रूप लेते हुए गट कैंसर भी बन सकती है.

विश्व स्तर पर IBD की स्थिति: चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टरों ने बताया कि विश्व आईबीडी दिवस हर साल 19 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है. इस वर्ष इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज का विषय है. आईबीडी की कोई सीमा नहीं है. आईबीडी को कभी पश्चिमी बीमारी माना जाता था. लेकिन अब वास्तव में एक वैश्विक बीमारी है. ये बीमारी सभी महाद्वीपों में पाई जाती है.

जानें क्या है IBD और इसके लक्षण व बचाव (ETV BHARAT)

लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या: पीजीआई गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की हेड डॉ. उषा दत्ता ने बताया कि पेट से जुड़ी समस्या का मुख्य कारण हमारे रोजाना के खानपान से जुड़ा हुआ है. खाना अगर कच्चा होगा या घंटा पहले पका हुआ खाना होगा तो पेट को नुकसान होगा. पहले से ही पेट में कुछ ऐसे बैक्टीरिया होते हैं, जो हमारे खाने से जरूरत की चीज को निकाल कर बाकी वेस्ट बना देता है. लेकिन अगर हम खाना ही गलत खा रहे हैं, तो शरीर में पाए जाने वाले बैक्टीरिया उसे और खतरनाक बना देते हैं.

धीरे-धीरे बन जाता है कैंसर: आमतौर पर खाने के एक घंटे बाद पेट में उठने वाले दर्द होने पर लोग अजवाइन और ईनो पी लेते हैं. लेकिन यह दर्द कोई आम दर्द नहीं होता, बल्कि पेट में पहुंच चुके खाने से होने वाले नुकसान का संकेत होता है. जो धीरे-धीरे गट कैंसर बन जाता है. जिससे मरीज का वजन लगातार घटता जाता है. गर्मियों के चलते बाजारों में मिलने वाले खाने की समय सीमा कुछ ही घंटों में खत्म हो जाती है. उसके बाद वह एक नुकसान देने वाला पदार्थ बनकर रह जाता है. विदेशों के मुकाबले भारत में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं है. जिसके चलते घंटों पहले पकाया हुआ खाना आम लोगों को परोसा जाता है. जिससे उन्हें अल्सर, पेट में सूजन और लैट्रिन में बार बार आने वाला खून इसकी मुख्य कारण है.

IBD क्या है?: आईबीडी एक आंत्र रोग (क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस सहित) है, जो दुनिया भर में लगभग पांच मिलियन लोगों को प्रभावित करता है. माना जाता है कि भारत दुनिया भर में आईबीडी मामलों में दूसरे स्थान पर है. इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है. कोई स्पष्ट रूप से स्थापित कारण नहीं है. आईबीडी रोगियों को अपने दैनिक जीवन में जिस दर्द और पुरानी पीड़ा का सामना करना पड़ता है. उसके बारे में जागरूकता नहीं है.

IBD का क्या कारण है?: माना जाता है कि आईबीडी कई कारणों से होता है. आईबीडी में जठरांत्र संबंधी मार्ग की सूजन, अल्सर, आंतों की सिकुड़न हो सकता है. ऐसा माना जाता है कि ये हमारी आंत पर एक ऑटोइम्यून हमले के परिणामस्वरूप होता है. जो उन व्यक्तियों में पर्यावरणीय एंटीजन होता है. ये ज्यादातर उन लोगों को ही होता है, जिनमें पर्यावरणीय उत्तेजनाएं होते हैं और मुख्य रूप से आहार से संबंधित होता है.

भारत में कितना बढ़ा आईबीडी: देशभर में आईबीडी की देखभाल करने वाले गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट ने अपनी ओपीडी में संख्या देखी जाने की बात करते हैं. इंडियन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट में प्रकाशित एक हालिया विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले तीन दशकों में आईबीडी रोगियों की संख्या दोगुनी हो गई है. संख्या में वृद्धि लगातार हो रही है. भारत आईबीडी बढ़ोतरी के चरण में है यानी कुछ दशकों तक संख्या में वृद्धि जारी रहने की संभावना है.

क्या है आईबीडी बढ़ने का कारण: जीवनशैली और आहार का पश्चिमीकरण इसके लिए प्रमुख जिम्मेदार माना जाता है. हाल के वर्षों में भारतीयों के आहार और जीवनशैली में बड़ा बदलाव आया है. उच्च वसा और कार्बोहाइड्रेट का सेवन बढ़ गया है. अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ गया है. फलों-सब्जियों के सेवन में कमी आई है. भारत सहित दक्षिण एशिया से पश्चिमी देशों में आने वाले प्रवासियों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि उनमें आईबीडी का खतरा बढ़ जाता है. जो स्पष्ट रूप से पर्यावरणीय कारकों की भूमिका की ओर इशारा करता है.

आईबीडी के लक्षण: IBD के लक्षण अक्सर अन्य बीमारियों से भ्रमित कर सकते हैं. अधिकांश रोगियों को दीर्घकालीन दस्त चार सप्ताह से ज्यादा, मलाशय से रक्तस्राव, पेट में दर्द, आंतों में सूजन, वजन में कमी आदि की समस्या.

बीमारी से बचने की सावधानियां: हम मरीजों को सक्रिय रहने और अपनी सामान्य जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. मरीजों को स्वच्छ, ठंडा भोजन लेना चाहिए और बाहर का खाना खाने से बचना चाहिए. फाइबर, सब्जियों और फलों से भरपूर आहार खाना फायदेमंद है. जबकि उच्च वसा और उच्च चीनी वाले आहार से बचना चाहिए. मरीजों को विभिन्न बीमारियों के लिए टीकाकरण कराने पर विचार करना चाहिए. जिनके लिए व्यस्क टीकाकरण उपलब्ध है.

ये भी पढ़ें: बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा प्रभावित करता है मलेरिया, जानें बीमारी के लक्षण और बचाव के उपाय - World Malaria Day 2024

ये भी पढ़ें: कोविशील्ड वैक्सीन लगाने वालों को नहीं डरने की जरूरत! चंडीगढ़ PGI में वैक्सीन शोधकर्ता ने बताया सच - corona vaccine covishield

चंडीगढ़: पीजीआई चंडीगढ़ में हजारों लोग पेट की बीमारी का इलाज करवाने के लिए पहुंच रहे हैं. पीजीआई में तीन दिनों से OPD में इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज यानी पेट में अचानक उठने वाला दर्द या दूसरी भाषा में कहा जाए तो आंतों में सूजन आना. पेट में सूजन संबंधी बीमारियों में आंत में सूजन आ जाती है. जिससे अक्सर पेट में दर्द और दस्त होते हैं. यह बीमारी एक खतरनाक रूप लेते हुए गट कैंसर भी बन सकती है.

विश्व स्तर पर IBD की स्थिति: चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टरों ने बताया कि विश्व आईबीडी दिवस हर साल 19 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है. इस वर्ष इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज का विषय है. आईबीडी की कोई सीमा नहीं है. आईबीडी को कभी पश्चिमी बीमारी माना जाता था. लेकिन अब वास्तव में एक वैश्विक बीमारी है. ये बीमारी सभी महाद्वीपों में पाई जाती है.

जानें क्या है IBD और इसके लक्षण व बचाव (ETV BHARAT)

लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या: पीजीआई गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की हेड डॉ. उषा दत्ता ने बताया कि पेट से जुड़ी समस्या का मुख्य कारण हमारे रोजाना के खानपान से जुड़ा हुआ है. खाना अगर कच्चा होगा या घंटा पहले पका हुआ खाना होगा तो पेट को नुकसान होगा. पहले से ही पेट में कुछ ऐसे बैक्टीरिया होते हैं, जो हमारे खाने से जरूरत की चीज को निकाल कर बाकी वेस्ट बना देता है. लेकिन अगर हम खाना ही गलत खा रहे हैं, तो शरीर में पाए जाने वाले बैक्टीरिया उसे और खतरनाक बना देते हैं.

धीरे-धीरे बन जाता है कैंसर: आमतौर पर खाने के एक घंटे बाद पेट में उठने वाले दर्द होने पर लोग अजवाइन और ईनो पी लेते हैं. लेकिन यह दर्द कोई आम दर्द नहीं होता, बल्कि पेट में पहुंच चुके खाने से होने वाले नुकसान का संकेत होता है. जो धीरे-धीरे गट कैंसर बन जाता है. जिससे मरीज का वजन लगातार घटता जाता है. गर्मियों के चलते बाजारों में मिलने वाले खाने की समय सीमा कुछ ही घंटों में खत्म हो जाती है. उसके बाद वह एक नुकसान देने वाला पदार्थ बनकर रह जाता है. विदेशों के मुकाबले भारत में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं है. जिसके चलते घंटों पहले पकाया हुआ खाना आम लोगों को परोसा जाता है. जिससे उन्हें अल्सर, पेट में सूजन और लैट्रिन में बार बार आने वाला खून इसकी मुख्य कारण है.

IBD क्या है?: आईबीडी एक आंत्र रोग (क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस सहित) है, जो दुनिया भर में लगभग पांच मिलियन लोगों को प्रभावित करता है. माना जाता है कि भारत दुनिया भर में आईबीडी मामलों में दूसरे स्थान पर है. इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है. कोई स्पष्ट रूप से स्थापित कारण नहीं है. आईबीडी रोगियों को अपने दैनिक जीवन में जिस दर्द और पुरानी पीड़ा का सामना करना पड़ता है. उसके बारे में जागरूकता नहीं है.

IBD का क्या कारण है?: माना जाता है कि आईबीडी कई कारणों से होता है. आईबीडी में जठरांत्र संबंधी मार्ग की सूजन, अल्सर, आंतों की सिकुड़न हो सकता है. ऐसा माना जाता है कि ये हमारी आंत पर एक ऑटोइम्यून हमले के परिणामस्वरूप होता है. जो उन व्यक्तियों में पर्यावरणीय एंटीजन होता है. ये ज्यादातर उन लोगों को ही होता है, जिनमें पर्यावरणीय उत्तेजनाएं होते हैं और मुख्य रूप से आहार से संबंधित होता है.

भारत में कितना बढ़ा आईबीडी: देशभर में आईबीडी की देखभाल करने वाले गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट ने अपनी ओपीडी में संख्या देखी जाने की बात करते हैं. इंडियन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट में प्रकाशित एक हालिया विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले तीन दशकों में आईबीडी रोगियों की संख्या दोगुनी हो गई है. संख्या में वृद्धि लगातार हो रही है. भारत आईबीडी बढ़ोतरी के चरण में है यानी कुछ दशकों तक संख्या में वृद्धि जारी रहने की संभावना है.

क्या है आईबीडी बढ़ने का कारण: जीवनशैली और आहार का पश्चिमीकरण इसके लिए प्रमुख जिम्मेदार माना जाता है. हाल के वर्षों में भारतीयों के आहार और जीवनशैली में बड़ा बदलाव आया है. उच्च वसा और कार्बोहाइड्रेट का सेवन बढ़ गया है. अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ गया है. फलों-सब्जियों के सेवन में कमी आई है. भारत सहित दक्षिण एशिया से पश्चिमी देशों में आने वाले प्रवासियों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि उनमें आईबीडी का खतरा बढ़ जाता है. जो स्पष्ट रूप से पर्यावरणीय कारकों की भूमिका की ओर इशारा करता है.

आईबीडी के लक्षण: IBD के लक्षण अक्सर अन्य बीमारियों से भ्रमित कर सकते हैं. अधिकांश रोगियों को दीर्घकालीन दस्त चार सप्ताह से ज्यादा, मलाशय से रक्तस्राव, पेट में दर्द, आंतों में सूजन, वजन में कमी आदि की समस्या.

बीमारी से बचने की सावधानियां: हम मरीजों को सक्रिय रहने और अपनी सामान्य जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. मरीजों को स्वच्छ, ठंडा भोजन लेना चाहिए और बाहर का खाना खाने से बचना चाहिए. फाइबर, सब्जियों और फलों से भरपूर आहार खाना फायदेमंद है. जबकि उच्च वसा और उच्च चीनी वाले आहार से बचना चाहिए. मरीजों को विभिन्न बीमारियों के लिए टीकाकरण कराने पर विचार करना चाहिए. जिनके लिए व्यस्क टीकाकरण उपलब्ध है.

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Last Updated : May 24, 2024, 8:40 PM IST
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