इंदौर। रेल में रिजर्वेशन के साथ टिकट बुक करने पर रेल यात्री को सेट दिलवाना रेलवे की जवाबदारी है. ऐसा नहीं करने पर रेलवे को भारी भरकम जुर्माना भुगतना पड़ सकता है. दरअसल, ऐसे ही एक मामले के तहत इंदौर के कंज्यूमर कोर्ट ने रेलवे के खिलाफ 12 लाख 90000 रुपए का जुर्माना किया है. इतना ही नहीं रिजर्वेशन टिकट लेने के बाद भी यात्रियों को सीट नहीं दिलवाने के लिए रेलवे के टीटी को जिम्मेदार माना गया है.
जैन यात्रियों की शिकायत पर रेलवे ने नहीं दिया ध्यान
दरअसल, जनवरी 2019 में इंदौर से शिखरजी दर्शन करने के लिए 256 जैन समाज के यात्रियों ने इंदौर से शिप्रा एक्सप्रेस में रिजर्वेशन कराया था, लेकिन जब यात्रा के दिन सभी यात्री रेलवे स्टेशन पहुंचे, तो पता चला शिप्रा एक्सप्रेस के सभी यात्रियों की सीटों पर बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के लोग पहले से ही सीट पर कब्जा जमाए बैठे थे. तमाम कोशिशें के बाद भी रिजर्वेशन सीट पर बैठे यात्री नहीं उठे तो सभी तीर्थ यात्रियों को इंदौर से लेकर झारखंड के शिखरजी तक यात्रा के दौरान भारी परेशानी हुई. इतना ही नहीं इस पूरी यात्रा के दौरान रेल में टिकट चेकर भी नहीं आया. इस स्थिति के चलते सभी यात्रियों ने इंदौर से शिखरजी तक के स्टेशनों पर भी लगातार शिकायत की, लेकिन रेलवे द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गई.
कंज्यूमर कोर्ट ने लगाया रेलवे पर 12 लाख 90000 का जुर्माना
यात्रा के बाद सभी यात्रियों ने रेल मंत्री समेत रेल प्रशासन को लगातार ट्वीट के जरिए भी शिकायत भेजी. तब भी रेलवे ने ध्यान नहीं दिया. नतीजतन परेशान होकर सभी यात्रियों ने इस मामले में इंदौर के कंज्यूमर कोर्ट में परिवार दायर किया था. कंज्यूमर कोर्ट के 4 साल बाद आए फैसले में आखिरकार कोर्ट ने इस गलती के लिए रेलवे प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. इतना ही नहीं रेलवे के खिलाफ अपनी तरह के इस पहले मामले में कंज्यूमर कोर्ट ने 12 लाख 90000 रुपए का जुर्माना किया है. इसके अलावा कोर्ट में लगाए गए परिवार की राशि भी रेल प्रशासन को जमा करने के आदेश दिए हैं.
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समय पर पैसे न देने पर लगेगा ब्याज
इंदौर से शिखरजी दर्शन के लिए जाने वाले 256 यात्रियों को रेलवे कोच में हुई असुविधा पर उपभोक्ता कोर्ट में लगे केस का फैसला आया. जिसमें प्रत्येक यात्रियों को किराए से 10 गुना अधिक राशि देने का आदेश दिया गया है. उपभोक्ता कोर्ट ने रेलवे को मामले में दोषी पाते हुए प्रत्येक परिवादी को मानसिक शारीरिक आर्थिक संत्रास के लिए प्रति यात्री 5 हजार रुपए 30 दिन के भीतर अदा करने के आदेश जारी किए हैं. तीर्थ यात्रियों के अधिवक्ता रोहित जैन ने जानकारी देते हुए आगे बताया कि कोर्ट के अनुसार यदि समय अवधि में रेलवे यात्रियों को पैसा नहीं देता है, तो 8% वार्षिक दर से ब्याज भी लगाने की बात कोर्ट के आदेश में स्पष्ट है.