कोझिकोड: भारत की तीसरी सबसे बड़ी जुड़वा सुरंग हकीकत बनने जा रही है. वायनाड को कोझिकोड से जोड़ने वाली सुरंग का निर्माण कार्य तीन महीने के भीतर शुरू हो सकता है. चुनाव आचार संहिता हटने के बाद कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन सर्वेक्षण कार्य शुरू करेगा. वायनाड को कोझिकोड से जोड़ने वाली सुरंग का निर्माण कार्य तीन महीने के भीतर शुरू हो सकता है.
तिरुवंबडी के विधायक लिंटो थॉमस ने ईटीवी भारत से कहा कि अगर चुनाव आचार संहिता में ढील दी गई तो मई महीने में ही काम शुरू किया जा सकता है. एमएलए ने कहा कि 'अगले माह तक टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. प्रोजेक्ट रिपोर्ट के मुताबिक 45 लोगों की जमीन अधिग्रहीत की जानी है. उनमें से 43 ने अपनी जमीन सौंप दी है. इनमें से 15 लोगों को मुआवजा राशि का भुगतान भी कर दिया गया.जंप यार्ड (कचरा निस्तारण स्थल) के लिए आवश्यक 12 एकड़ में से 6 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है. 2 जमीन मालिकों की शिकायत के बाद हाई कोर्ट ने जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. चूंकि यह एक राष्ट्रीय परियोजना है, इसलिए कोंकण रेल कॉर्पोरेशन (केआरसी) इसके खिलाफ अपील करेगा. फिलहाल काम शुरू करने में कोई बाधा नहीं है.'
परियोजना के प्रारंभिक चरण के हिस्से के रूप में, सरकार ने सुरंग की सहायक सड़क को राज्य राजमार्ग (दो जिलों को जोड़ने वाली सड़क) घोषित किया. सरकार ने कुंडमंगलम से मेप्पडी तक की सड़क को राज्य राजमार्ग 83 के रूप में अधिसूचित किया है. केरल विधानसभा में इस साल के राज्यपाल के अभिभाषण में भी अनाकम्पपोइल - कल्लाडी - मेप्पाडी सुरंग के बारे में उल्लेख किया गया था.
राज्यपाल के अभिभाषण में सुरंग को लेकर ये था जिक्र : 'KIFB ने 82,383 करोड़ रुपये की लागत से 1073 परियोजनाओं को मंजूरी दी. 8.11 किमी लंबी अनाकम्पोइल - कल्लाडी - मेप्पाडी सुरंग चार लेन वाली दोहरी सुरंग होने की अनूठी विशेषता के साथ एक उल्लेखनीय परियोजना है. इससे तामरासेरी घाट रोड पर यातायात की भीड़ कम होगी और कोझिकोड और वायनाड जिलों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ेगी.'
अनाकम्पपोइल-कल्लाडी-मेप्पाडी सुरंग की अनुमानित परियोजना लागत 1643.33 करोड़ रुपये है. सुरंग मार्ग की घोषणा 2020 में 100-दिवसीय कार्य योजना के हिस्से के रूप में की गई थी. तब कोंकण रेलवे के अधिकारियों ने इसका सर्वेक्षण किया था. सर्वेक्षण पूरा हो गया है और निविदा आमंत्रित की गई है.
चूंकि निविदाएं जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ा दी गई थी, इसलिए प्रक्रिया लंबी हो गई थी. कोंकण रेलवे निर्माण कंपनी को अंतिम रूप देने और तीन महीने के भीतर परियोजना सौंपने की कोशिश कर रहा है. चार साल के अंदर निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है.
राष्ट्रीय राजमार्ग 766 का हिस्सा तामरासेरी घाट पर ट्रैफिक की भीड़ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. ऐसे अनगिनत लोग हैं जो ट्रैफिक जाम के कारण घाट रोड पर फंसे रहते हैं. मालाबेरियाई लोग मुख्य रूप से मैसूरु और बेंगलुरु जैसी जगहों पर जाने के लिए इस दर्रे पर भरोसा करते हैं.
अनुमान है कि घाट रोड से प्रतिदिन लगभग 30,000 वाहन गुजरते हैं. लेकिन घाट रोड में इतने वाहनों को खड़ा करने की क्षमता नहीं है. वैकल्पिक सड़क की मांग का इतिहास दशकों पुराना है.
पूरा होने पर यह जुड़वा सुरंग देश की सबसे लंबी सुरंगों में शुमार हो जाएगी. हिमालय में स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सुरंग जिसे चेनानी-नाशरी सुरंग के नाम से जाना जाता है वह पहली और हिमाचल प्रदेश में लेह-मनाली राजमार्ग पर अटल सुरंग दूसरी सबसे लंबी हैं.
जम्मू-कश्मीर में बनिहाल-खासीगुंड और त्रिशूर में खुथिरन भी लंबाई के मामले में काफी पीछे हैं. लेकिन हिमालय में सोजी ला सुरंग, जो अभी भी निर्माणाधीन है, पूरी होने के बाद सभी रिकॉर्ड टूट जाएंगे. 2018 में शुरू हुआ इसका निर्माण शुरू हुआ था, ये सुरंग 14.2 किमी लंबी है और घोड़े की नाल के आकार में पूरी होगी.