नई दिल्ली: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के कूटनीतिक प्रयासों को बढ़ावा देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू फिजी के राष्ट्रपति रातू विलियम मैवालिली काटोनीवरे के निमंत्रण पर 5-6 अगस्त को फिजी की यात्रा पर जाएंगी. यह भारत के किसी राष्ट्राध्यक्ष की फिजी की पहली यात्रा होगी. अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा एक नए भारतीय चांसरी, सांस्कृतिक केंद्र और कर्मचारी आवास के निर्माण के लिए प्रस्तावित स्थलों के साथ-साथ राजधानी में 100 बिस्तरों वाले विशेष अस्पताल के निर्माण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने की उम्मीद है.
राष्ट्रपति मुर्मू राष्ट्रपति कैटोनीवर और प्रधानमंत्री सीटिवेनी राबुका के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगी. राष्ट्रपति मुर्मू का फिजी की संसद को संबोधित करने और फिजी में भारतीय प्रवासियों से बातचीत करने का भी कार्यक्रम है. यह यात्रा फिजी के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है. फिजी सरकार के मुताबिक मुर्मू की यात्रा के समन्वय के लिए एक समिति का गठन किया गया है.
साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक कार्यक्रम तत्व की योजना बनाई जाए और अपेक्षित मानकों के अनुसार उसे क्रियान्वित किया जाए. फिजी और भारत के बीच संबंध 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी के प्रारंभ से चले आ रहे हैं, जब ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन द्वारा भारतीयों को गिरमिटिया मजदूरों के रूप में फिजी लाया गया था. 1879 और 1916 के बीच, 60,000 से ज्यादा भारतीयों को मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे उत्तरी राज्यों से, गन्ने के खेतों में काम करने के लिए फ़िजी लाया गया था. इस प्रवास ने फिजी के जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक परिदृश्य को काफी हद तक प्रभावित किया.
भारत-फिजी समुदाय फिजी की राष्ट्रीय पहचान और सांस्कृतिक विविधता को आकार देने में अभिन्न रहा है. फिजी की स्वतंत्रता के तुरंत बाद ही फिजी और भारत ने औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए थे. पिछले कुछ वर्षों में उनके संबंध विकसित हुए हैं तथा दोनों राष्ट्र विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों और सहयोग में संलग्न हैं. इतना ही नहीं दोनों देशों ने व्यापार, निवेश और विकास सहायता सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग किया है.
भारत ने फिजी को बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के लिए वित्तपोषण सहित विकास सहायता प्रदान की है. दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ा है तथा भारत फिजी का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है. फिजी और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंध काफी मजबूत हैं, क्योंकि यहां काफी संख्या में भारतीय-फिजी लोग रहते हैं. भारत ने फिजी में शैक्षणिक पहलों का समर्थन किया है, जिसमें भारत में अध्ययन करने के लिए फिजी के छात्रों को छात्रवृत्तियां और संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग शामिल हैं. दोनों राष्ट्र अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए बातचीत में लगे हुए हैं.
भारत ने फिजी की संप्रभुता के लिए समर्थन व्यक्त किया है और विभिन्न क्षेत्रीय मंचों में शामिल रहा है, जहां फिजी सक्रिय भागीदार है. दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी सहयोग किया है क्योंकि फिजी पर्यावरणीय चुनौतियों के प्रति संवेदनशील है. गौरतलब है कि फिजी ने विभिन्न समयों पर राजनीतिक अस्थिरता का अनुभव किया है, जिसमें तख्तापलट और सरकार में परिवर्तन भी शामिल हैं. भारत ने फिजी में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और स्थिरता का समर्थन करने का अपना निरंतर रुख बनाए रखा है. भारतीय-फिजी समुदाय को फिजी के भीतर जातीय तनाव और राजनीतिक मुद्दों सहित चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. इन चुनौतियों के बावजूद, फिजी और भारत के बीच संबंध आमतौर पर सकारात्मक बने हुए हैं तथा दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए कार्य कर रहे हैं.
दोनों देश अपने-अपने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में आगे बढ़ते हुए संबंधों को विकसित कर रहे हैं. दक्षिण प्रशांत महासागर में फिजी का स्थान इसे व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बनाता है. यह प्रशांत और हिंद महासागर के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों को जोड़ते हुए समुद्री सुरक्षा और संपर्क के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करता है. समुद्री मार्गों और व्यापार मार्गों को बनाए रखने और सुरक्षित रखने के लिए इसकी स्थिति रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, जो भारत की व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. फिजी प्रशांत द्वीप समूह फोरम का एक प्रमुख सदस्य है, जो एक क्षेत्रीय संगठन है जो जलवायु परिवर्तन, आर्थिक विकास और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विचार करता है. फिजी के साथ सहयोग करके भारत क्षेत्रीय नीतियों को प्रभावित कर सकता है तथा इस मंच में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर सकता है.
क्षेत्रीय संगठनों में फिजी का नेतृत्व तथा विभिन्न प्रशांत द्वीप देशों और बड़ी शक्तियों के बीच सेतु के रूप में कार्य करने की इसकी क्षमता, क्षेत्रीय कूटनीति में इसके महत्व को बढ़ाती है. भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विशेष रूप से चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए फिजी के साथ अपने कूटनीतिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की है. फिजी के साथ संबंधों को मजबूत करके भारत का लक्ष्य दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में अपनी स्थिति और प्रभाव को मजबूत करना है.
भारत और फिजी ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग में भाग लिया है, जिसमें संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास और समुद्री सुरक्षा पर चर्चा शामिल है. यह सहयोग भारत को क्षेत्र में अपनी सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने और समुद्री डकैती और अवैध मछली पकड़ने जैसी आम चुनौतियों से निपटने में मदद करता है. अपनी यात्रा के दूसरे चरण में राष्ट्रपति मुर्मू न्यूजीलैंड की गवर्नर जनरल डेम सिंडी कीरो के निमंत्रण पर 7-9 अगस्त को न्यूजीलैंड का दौरा करेंगी. राजकीय यात्रा के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू गवर्नर जनरल कीरो के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगी तथा प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लुक्सन से मिलेंगी.
राष्ट्रपति मुर्मू एक शिक्षा सम्मेलन को संबोधित करेंगी और भारतीय समुदाय तथा भारत के मित्रों से बातचीत करेंगी. यह यात्रा भारत-न्यूजीलैंड द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ावा देगी. राष्ट्रपति मुर्मू 10 अगस्त को राष्ट्रपति जोस रामोस-होर्ता के निमंत्रण पर तिमोर-लेस्ते लोकतांत्रिक गणराज्य का दौरा करेंगी. यात्रा के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू राष्ट्रपति होर्ता के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगी. तिमोर-लेस्ते के प्रधानमंत्री के राला ज़ानाना गुस्माओ राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात करेंगे. इसके अलावा, राष्ट्रपति मुर्मू भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत करेंगी. यह तिमोर-लेस्ते की भारत की ओर से किसी राष्ट्राध्यक्ष की पहली यात्रा होगी. विदेश मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रपति मुर्मू की फिजी, न्यूजीलैंड और तिमोर-लेस्ते की राजकीय यात्रा इस बात को रेखांकित करती है कि भारत इन देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को कितना महत्व देता है और एक्ट ईस्ट नीति पर हमारा मजबूत फोकस दर्शाता है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दस वर्ष पहले 2014 में 9वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में की थी.
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