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कितने नंबर तक वेटिंग टिकट हो सकती है कंफर्म? रेलवे ने समझाया पूरा गणित, यात्रा प्लान करने से पहले समझ लें फॉर्मूला - INDIAN RAILWAYS

भारतीय रेलवे के मुताबिक टिकट दो तरह से कंफर्म होते है. पहला सामन्य कैंसिलेशन के जरिए और दूसरा इमरजेंसी कोटे के जरिए.

कितने नंबर तक वेटिंग टिकट हो सकती है कंफर्म?
कितने नंबर तक वेटिंग टिकट हो सकती है कंफर्म? (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. यह रोजाना हजारों ट्रेनों का संचालन करता है और लाखों लोगों को उनकी डेस्टिनेशन तक पहुंचाता. हालांकि, कई बार यात्रियों को कंफर्म टिकट मिलने में समस्या होती है. इसके चलते वे वेटिंग टिकट खरीद लेते हैं और उसके कंफर्म होने का इंतेजार करते हैं.

अक्सर वेटिंग टिकट खरीदने वाले लोगों के मन में असमंजस्‍य रहता है कि उनका टिकट कंफर्म होगा या नहीं. खासकर फेस्टिव सीजन में यह समस्या काफी बढ़ जाती है, क्योंकि इस दौरान ट्रेन टिकट की मांग काफी ज्यादा होती है और कुछ मामलों में वेटिंग लिस्ट 500 से अधिक हो सकती है.

ऐसे समय में कंफर्म टिकट मिलने की संभावना बेहद कम होती है. इसके चलते उन्‍हें यात्रा प्‍लान करने में भी परेशानी होती है. साथ ही यात्रियों को यह भी पता नहीं होता कि कितने नंबर तक वेटिंग टिकट कंफर्म होगी. इस बीच रेलवे ने खुद वेटिंग टिकट कंफर्म करने के प्रोसेस का खुलासा किया है.

दो तरह से कंफर्म होते हैं वेटिंग टिकट
भारतीय रेलवे के मुताबिक टिकट दो तरह से कंफर्म होते है. पहला सामन्य कैंसिलेशन के जरिए और दूसरा इमरजेंसी कोटे के जरिए. सामान्य कैंसिलेशन में औसतन 21 प्रतिशत यात्री बुकिंग के बाद अपना रिजर्वेशन कैंसिल कर देते हैं, जिससे वेटिंग टिकट कंफर्म होने की संभावना 21 फीसदी हो जाती है.

उदाहरण के लिए, 72 सीटों वाले स्लीपर कोच में लगभग 14 सीटें उपलब्ध हो सकती हैं. इसके अलावा कंफर्म टिकट पाने वाले लगभग 4-5 प्रतिशत यात्री यात्रा नहीं करते हैं, जिससे कंफर्म होने की संभावना लगभग 25 फीसदी बढ़ जाती है. यानी हर कोच 18 सीटों की वेटिंग टिकट कंफर्म हो सकती हैं.

वहीं, अगर बात करें इमरजेंसी कोटे की तो भारतीय रेलवे इमरजेंसी कोटे के तहत 10 प्रतिशत सीटें ऐसे व्यक्तियों के लिए आरक्षित रखती है, जिन्हें मेडिकल इमरजेंसी की आवश्यकता होती है. आमतौर पर इमरजेंसी कोटे की केवल 5 प्रतिशत ही सीटें ही इस्तेमाल में आती हैं. ऐसे में बाकी 5 फीसदी वेटिंग लिस्ट टिकटों की पुष्टि होने की संभावना बढ़ जाती है.

कैसे करें कैलकुलेशन?
मान लीजिए अगर किसी 10 स्लीपर कोच हैं और हर कोच में संभावित रूप से 18 वेटिंग लिस्ट टिकट कंफर्म होती हैं, तो इस तरह स्लीपर कोच में कुल 180 टिकट कंफर्म हो सकते हैं. यह फॉर्मूला थर्ड एसी, सेकंड एसी और फर्स्ट एसी कोच पर भी लागू होता है.

इतना ही नहीं कैंसिलेशन और अनयूज इमरजेंसी कोटा आवंटन को मिलाकर, यात्री अपनी वेटिंग लिस्ट टिकट के कंफर्म होना का अनुमान लगा सकते हैं, जिससे अधिक स्पष्टता मिलती है और यात्रा योजना में सुधार होगा.

यह भी पढ़ें- महंगा हो सकता है ट्रेन से सफर करना! संसदीय समिति ने की किराया बढ़ाने की सिफारिश

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. यह रोजाना हजारों ट्रेनों का संचालन करता है और लाखों लोगों को उनकी डेस्टिनेशन तक पहुंचाता. हालांकि, कई बार यात्रियों को कंफर्म टिकट मिलने में समस्या होती है. इसके चलते वे वेटिंग टिकट खरीद लेते हैं और उसके कंफर्म होने का इंतेजार करते हैं.

अक्सर वेटिंग टिकट खरीदने वाले लोगों के मन में असमंजस्‍य रहता है कि उनका टिकट कंफर्म होगा या नहीं. खासकर फेस्टिव सीजन में यह समस्या काफी बढ़ जाती है, क्योंकि इस दौरान ट्रेन टिकट की मांग काफी ज्यादा होती है और कुछ मामलों में वेटिंग लिस्ट 500 से अधिक हो सकती है.

ऐसे समय में कंफर्म टिकट मिलने की संभावना बेहद कम होती है. इसके चलते उन्‍हें यात्रा प्‍लान करने में भी परेशानी होती है. साथ ही यात्रियों को यह भी पता नहीं होता कि कितने नंबर तक वेटिंग टिकट कंफर्म होगी. इस बीच रेलवे ने खुद वेटिंग टिकट कंफर्म करने के प्रोसेस का खुलासा किया है.

दो तरह से कंफर्म होते हैं वेटिंग टिकट
भारतीय रेलवे के मुताबिक टिकट दो तरह से कंफर्म होते है. पहला सामन्य कैंसिलेशन के जरिए और दूसरा इमरजेंसी कोटे के जरिए. सामान्य कैंसिलेशन में औसतन 21 प्रतिशत यात्री बुकिंग के बाद अपना रिजर्वेशन कैंसिल कर देते हैं, जिससे वेटिंग टिकट कंफर्म होने की संभावना 21 फीसदी हो जाती है.

उदाहरण के लिए, 72 सीटों वाले स्लीपर कोच में लगभग 14 सीटें उपलब्ध हो सकती हैं. इसके अलावा कंफर्म टिकट पाने वाले लगभग 4-5 प्रतिशत यात्री यात्रा नहीं करते हैं, जिससे कंफर्म होने की संभावना लगभग 25 फीसदी बढ़ जाती है. यानी हर कोच 18 सीटों की वेटिंग टिकट कंफर्म हो सकती हैं.

वहीं, अगर बात करें इमरजेंसी कोटे की तो भारतीय रेलवे इमरजेंसी कोटे के तहत 10 प्रतिशत सीटें ऐसे व्यक्तियों के लिए आरक्षित रखती है, जिन्हें मेडिकल इमरजेंसी की आवश्यकता होती है. आमतौर पर इमरजेंसी कोटे की केवल 5 प्रतिशत ही सीटें ही इस्तेमाल में आती हैं. ऐसे में बाकी 5 फीसदी वेटिंग लिस्ट टिकटों की पुष्टि होने की संभावना बढ़ जाती है.

कैसे करें कैलकुलेशन?
मान लीजिए अगर किसी 10 स्लीपर कोच हैं और हर कोच में संभावित रूप से 18 वेटिंग लिस्ट टिकट कंफर्म होती हैं, तो इस तरह स्लीपर कोच में कुल 180 टिकट कंफर्म हो सकते हैं. यह फॉर्मूला थर्ड एसी, सेकंड एसी और फर्स्ट एसी कोच पर भी लागू होता है.

इतना ही नहीं कैंसिलेशन और अनयूज इमरजेंसी कोटा आवंटन को मिलाकर, यात्री अपनी वेटिंग लिस्ट टिकट के कंफर्म होना का अनुमान लगा सकते हैं, जिससे अधिक स्पष्टता मिलती है और यात्रा योजना में सुधार होगा.

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