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Jharkhand Assembly Election 2024: बीजेपी के 'घुसपैठ' का इंडिया ने निकाला काट, इस रणनीति के तहत बढ़ रहे आगे

भाजपा के बांग्लादेशी घुसपैठियों के एजेंंडे को लेकर इंडिया गठबंधन ने उठाया कदम. नैय्यर आजाद की रिपोर्ट.

Jharkhand Assembly Election 2024
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 7 hours ago

Updated : 2 hours ago

हैदराबाद: भाजपा झारखंड में विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए लगातार बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों का मुद्दा उठा रही है. इसका मुकाबला करने के लिए झामुमो और उनके सहयोगी दल मुसलमानों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. इस उद्देश्य से झामुमो और उनके सहयोगी दलों की कई टीमें अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों तक पहुंचने की कोशिश में जुटी हैं. सूत्रों के अनुसार, वे मुसलमानों के अलावा ईसाई समुदायों के बीच भी जाकर इंडिया गठबंधन को वोट देने की अपील कर रहे हैं.

एक आकलन के अनुसार, झारखंड में मुसलमानों की कुल जनसंख्या लगभग 15 प्रतिशत है और उनका वोट बैंक राज्य के कम से कम पंद्रह विधानसभा क्षेत्रों में प्रभावी है. वहीं, राज्य में ईसाई समुदाय की जनसंख्या लगभग 4 प्रतिशत है, ये दोनों समुदाय आमतौर पर झामुमो और कांग्रेस के समर्थक माने जाते हैं, इसके अलावा, झारखंड में आदिवासी समुदाय, जिनकी जनसंख्या लगभग 26 प्रतिशत है. माना जाता है कि इस समाज का एक बड़ा हिस्सा झामुमो के पक्ष में वोट करता है.

झारखंड के लगभग 12 विधानसभा क्षेत्र जैसे कि हटिया, धनबाद और महगामा में मुसलमानों की संख्या लगभग 15 से 20 प्रतिशत है. यहां ये समुदाय निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. जानकारों का कहना है कि झारखंड में स्थानीय नेताओं की बजाय झामुमो और कांग्रेस को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा लगातार घुसपैठ के मुद्दे को उठाने से नुकसान का डर है. हिमंता संथाल के आदिवासी बहुल इलाकों का दौरा कर रहे हैं और बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रभाव से होने वाले नुकसान के बारे में बताकर भाजपा के वोटबैंक को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.

पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपने चुनावी भाषणों में घुसपैठ का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था. उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने के लिए एक प्रभावी कानून लाने की भी घोषणा की थी. हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इंडिया गठबंधन को हिमंता बिस्वा सरमा के जवाब में असम के ही कांग्रेस नेता गौरव गोगोई को चुनावी मैदान में उतारना चाहिए था. उनका मानना है कि वर्तमान में कांग्रेस के पास ऐसा कोई नेता नहीं है जो हिमंता बिस्वा सरमा के एजेंडे के खिलाफ एक प्रभावी विकल्प प्रस्तुत कर सके.

भाजपा और आजसू द्वारा ऊंचे स्वर में उठाए गए घुसपैठ मुद्दे के कारण आदिवासी वोट बैंक में बड़े नुकसान की आशंका को देखते हुए, सत्तारूढ़ झामुमो ने उन सीटों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है जहां मुस्लिम और ईसाई समुदाय की संख्या अधिक है. वे अपनी योजनाओं का प्रचार कर रहे हैं और डोर-टू-डोर कैंपेन के माध्यम से इन समुदायों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें:

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एक आकलन के अनुसार, झारखंड में मुसलमानों की कुल जनसंख्या लगभग 15 प्रतिशत है और उनका वोट बैंक राज्य के कम से कम पंद्रह विधानसभा क्षेत्रों में प्रभावी है. वहीं, राज्य में ईसाई समुदाय की जनसंख्या लगभग 4 प्रतिशत है, ये दोनों समुदाय आमतौर पर झामुमो और कांग्रेस के समर्थक माने जाते हैं, इसके अलावा, झारखंड में आदिवासी समुदाय, जिनकी जनसंख्या लगभग 26 प्रतिशत है. माना जाता है कि इस समाज का एक बड़ा हिस्सा झामुमो के पक्ष में वोट करता है.

झारखंड के लगभग 12 विधानसभा क्षेत्र जैसे कि हटिया, धनबाद और महगामा में मुसलमानों की संख्या लगभग 15 से 20 प्रतिशत है. यहां ये समुदाय निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. जानकारों का कहना है कि झारखंड में स्थानीय नेताओं की बजाय झामुमो और कांग्रेस को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा लगातार घुसपैठ के मुद्दे को उठाने से नुकसान का डर है. हिमंता संथाल के आदिवासी बहुल इलाकों का दौरा कर रहे हैं और बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रभाव से होने वाले नुकसान के बारे में बताकर भाजपा के वोटबैंक को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.

पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपने चुनावी भाषणों में घुसपैठ का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था. उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने के लिए एक प्रभावी कानून लाने की भी घोषणा की थी. हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इंडिया गठबंधन को हिमंता बिस्वा सरमा के जवाब में असम के ही कांग्रेस नेता गौरव गोगोई को चुनावी मैदान में उतारना चाहिए था. उनका मानना है कि वर्तमान में कांग्रेस के पास ऐसा कोई नेता नहीं है जो हिमंता बिस्वा सरमा के एजेंडे के खिलाफ एक प्रभावी विकल्प प्रस्तुत कर सके.

भाजपा और आजसू द्वारा ऊंचे स्वर में उठाए गए घुसपैठ मुद्दे के कारण आदिवासी वोट बैंक में बड़े नुकसान की आशंका को देखते हुए, सत्तारूढ़ झामुमो ने उन सीटों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है जहां मुस्लिम और ईसाई समुदाय की संख्या अधिक है. वे अपनी योजनाओं का प्रचार कर रहे हैं और डोर-टू-डोर कैंपेन के माध्यम से इन समुदायों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.

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Last Updated : 2 hours ago
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