रांची: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार को सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड के तीसरे दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं. समारोह में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, सीएम चंपई सोरेन और केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी भी शामिल हुईं. इस मौके पर राष्ट्रपति ने छात्रों को चांसलर मेडल दिया. सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में सबसे ज्यादा बेटियों ने गोल्ड मेडल प्राप्त किए. इस पर राष्ट्रपति ने काफी खुशी जताई. साथ ही राष्ट्रपति के हाथों डिग्री और मेडल पाने के बाद छात्र-छात्राएं भी काफी खुश दिखे.
बाबा बैद्यनाथ की धरती पर आकर अपार खुशी
अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि बाबा बैद्यनाथ की धरती में आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है. इस पवित्र भूमि पर स्थित झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आकर मुझे विशेष हर्ष महसूस हो रहा है. मैं आज डिग्री प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को बधाई देती हूं. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि वह उन सभी छात्रों के माता-पिता, अभिभावकों और प्रोफेसरों को भी बधाई देती हैं जिन्होंने उनकी यात्रा के हर कदम पर छात्रों का समर्थन और मार्गदर्शन किया है.
स्वर्णरेखा नदी का जल ज्ञान का भंडार
राष्ट्रपति ने कहा कि आपके कैंपस के पास स्वर्णरेखा नदी बहती है और कहा जाता है कि स्वर्णरेखा नदी का पानी पीने से ही व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है. ऐसी भूमि और नदी के निकट शिक्षा प्राप्त करना आपके लिए सौभाग्य की बात है. आपके विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य है "ज्ञानात् ही बुद्धि कौशलम्". इसका मतलब यह है कि ज्ञान से ही बुद्धि और कौशल का विकास होता है. मुझे पूरा विश्वास है कि जब आप सभी छात्र जीवन से बाहर निकलेंगे और चुनौतियों से भरी दुनिया में प्रवेश करेंगे, तो आप इस संस्थान द्वारा प्रदान किए गए ज्ञान के महत्व को समझेंगे. अब आप सभी को जीवन की जटिल परीक्षाओं का सामना करना होगा जहां आपको अपनी बुद्धि और कौशल का उपयोग करना होगा और विभिन्न समस्याओं का समाधान ढूंढना होगा.
बेटियों के आगे बढ़ने पर खुशी
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि जब वह राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कार प्रदान करते हुए, शैक्षणिक संस्थानों के दीक्षांत समारोहों में, विभिन्न सेवाओं के अधिकारी प्रशिक्षुओं से मुलाकात करते हुए उन्हें लगता है कि आज हमारी महिलाएं और बेटियां हर क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर अत्यंत खुशी हुई कि आज स्वर्ण पदक पाने वाले विद्यार्थियों में लगभग 50 प्रतिशत हमारी बेटियां हैं. मैं स्वर्ण पदक पाने वाली बेटियों को विशेष रूप से बधाई देती हूं. हर अवरोध और बाधा को पार करके आपके द्वारा पाई गई यह सफलता हमारे समाज और सुनहरे भविष्य का सपना देखने वाली हर बेटी के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड की सराहना
केंद्रीय विश्वविद्यालय के संबंध में राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे बताया गया है कि झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर शिक्षा प्रणाली को अपनाया है. मुझे यह जानकर खुशी हुई कि यह विश्वविद्यालय अनुसंधान के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रहा है. इस संस्थान द्वारा स्थानीय भाषा, साहित्य और संगीत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए विशेष केंद्र बनाए गए हैं. मैं भारतीय संस्कृति और विशेषकर आदिवासी समाज की संस्कृति के संरक्षण, अध्ययन और प्रचार-प्रसार के कार्य के लिए इस विश्वविद्यालय और इसकी टीम को बधाई देती हूं.
भारत युवाओं का देश
छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आप सभी युवा भारत के सबसे बड़े संसाधन और सबसे बड़ी पूंजी हैं. भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है, हमारी 55 प्रतिशत से अधिक आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है. आज अर्थव्यवस्था विश्व में पांचवें स्थान पर है और 2030 तक हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं. आप सभी जानते हैं कि हमने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है. ऐसे में आपके पास सुनहरे भविष्य के निर्माण की न केवल अपार संभावनाएं हैं, बल्कि उनके लिए अनुकूल परिस्थितियां भी हैं.
'झारखंड आकर लगता है घर आ गईं हूं'
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि वह जब भी झारखंड आती हैं तो ऐसा लगता है जैसे अपने घर वापस आ गयी हों. राष्ट्रपति के मुताबिक, झारखंड से उनका जुड़ाव इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि राज्यपाल के तौर पर उन्होंने यहां कई वर्षों तक जनसेवा का काम किया है. उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की पवित्र भूमि पर आने का सौभाग्य मुझे खुशी से भर देता है. झारखंड की लगभग 26 फीसदी आबादी आदिवासी है. यहां के सभी लोगों और विशेषकर आदिवासी भाई-बहनों से मेरा जुड़ाव है.
जनजातीय समाज के उत्थान का बनें भागीदार
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं यहां उपस्थित सभी लोगों को यह कहना चाहती हूं कि आदिवासी लोग भी अब विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं. हम सभी जानते हैं कि जनजातीय लोगों के पास पारंपरिक ज्ञान का भंडार है. उनकी जीवनशैली में कई ऐसी परंपराएं हैं जो दूसरे लोगों और समुदायों के जीवन को भी बेहतर बना सकती हैं. मैंने पहले भी कहा है कि आदिवासी लोग प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर रहते हैं और अगर हम उनकी जीवनशैली और तौर-तरीकों से सीख लें तो ग्लोबल वार्मिंग जैसी बड़ी चुनौती का सामना कर सकते हैं. उन्होंने सभी से जनजातीय समाज, पिछड़े और कमजोर लोगों को उनके उत्थान में मदद करने की अपील की.
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