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इस साल मानसून में औसत से अधिक बारिश का अनुमान - IMD forecasts above average monsoon

IMD forecasts, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने इस साल औसत से अधिक बारिश होने का अनुमान जताया है. इस बारे में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव ने एम रविचंद्रन ने मीडिया से बातचीत में यह जानकारी दी. पढ़िए पूरी खबर..

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By IANS

Published : Apr 15, 2024, 9:50 PM IST

नई दिल्ली : भारत मौसम विज्ञान विभाग ने सोमवार को 2024 में औसत से अधिक मानसूनी बारिश का अनुमान लगाया है, जो देश के कृषि क्षेत्र के लिए अच्छी खबर है. पिछले साल अनियमित मौसम से कृषि क्षेत्र प्रभावित हुआ था.

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने कहा कि मानसून आम तौर पर 1 जून के आसपास केरल में आता है और सितंबर के मध्य में वापस चला जाता है. इस साल औसत बारिश 106 फीसदी होने की उम्मीद है. रविचंद्रन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'पूर्वानुमान से पता चलता है कि जून से सितंबर के दौरान मानसून मौसमी वर्षा लंबी अवधि के औसत का 106 फीसदी होने की संभावना है.'

आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि अल नीनो, जो मानसून को बाधित करता है, कमजोर हो रहा है और मानसून आने तक यह हट जाएगा. ला नीना भारत में अधिक वर्षा का कारण बनती है. यह अगस्त तक स्थापित हो जाएगा.

भारतीय अर्थव्यवस्था में मानसून एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. देश की लगभग 50 फीसदी कृषि भूमि के पास सिंचाई का कोई अन्य साधन नहीं है. मानसून की बारिश देश के जलाशयों और जलभृतों को रिचार्ज करने के लिए भी महत्वपूर्ण है, जहां से पानी का उपयोग साल के अंत में फसलों की सिंचाई के लिए किया जा सकता है.

भारत खाद्यान्न के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरा है, लेकिन पिछले साल अनियमित मानसून के चलते कृषि उत्पादन प्रभावित हुआ. इससे आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए चीनी, चावल, गेहूं और प्याज के विदेशी शिपमेंट पर अंकुश लगाना पड़ा. कृषि क्षेत्र में मजबूत वृद्धि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद करती है.

ये भी पढ़ें - मौसम अपडेट: कहीं बारिश तो कहीं लू की संभावना, जानें अपने शहर में मौसम का हाल

नई दिल्ली : भारत मौसम विज्ञान विभाग ने सोमवार को 2024 में औसत से अधिक मानसूनी बारिश का अनुमान लगाया है, जो देश के कृषि क्षेत्र के लिए अच्छी खबर है. पिछले साल अनियमित मौसम से कृषि क्षेत्र प्रभावित हुआ था.

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने कहा कि मानसून आम तौर पर 1 जून के आसपास केरल में आता है और सितंबर के मध्य में वापस चला जाता है. इस साल औसत बारिश 106 फीसदी होने की उम्मीद है. रविचंद्रन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'पूर्वानुमान से पता चलता है कि जून से सितंबर के दौरान मानसून मौसमी वर्षा लंबी अवधि के औसत का 106 फीसदी होने की संभावना है.'

आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि अल नीनो, जो मानसून को बाधित करता है, कमजोर हो रहा है और मानसून आने तक यह हट जाएगा. ला नीना भारत में अधिक वर्षा का कारण बनती है. यह अगस्त तक स्थापित हो जाएगा.

भारतीय अर्थव्यवस्था में मानसून एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. देश की लगभग 50 फीसदी कृषि भूमि के पास सिंचाई का कोई अन्य साधन नहीं है. मानसून की बारिश देश के जलाशयों और जलभृतों को रिचार्ज करने के लिए भी महत्वपूर्ण है, जहां से पानी का उपयोग साल के अंत में फसलों की सिंचाई के लिए किया जा सकता है.

भारत खाद्यान्न के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरा है, लेकिन पिछले साल अनियमित मानसून के चलते कृषि उत्पादन प्रभावित हुआ. इससे आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए चीनी, चावल, गेहूं और प्याज के विदेशी शिपमेंट पर अंकुश लगाना पड़ा. कृषि क्षेत्र में मजबूत वृद्धि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद करती है.

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