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केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में ऐतिहासिक फैसला, हिरासत में मरे कैदी, तो परिवार को मिलेगा मुआवजा - Union Territory of Ladakh - UNION TERRITORY OF LADAKH

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है. प्रदेश की जेल में हिरासत में मरने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजा देने की नई नीति लागू की है. यह मुआवजा मृकत कैदियों के कानूनी उत्तराधिकारियों को सहायता के तौर पर प्रदान की जाएगी.

Compensation for custodial death in Ladakh jail
लद्दाख जेल में हिरासत में मौत पर मुआवजा (फोटो - Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 9, 2024, 6:31 PM IST

श्रीनगर: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रशासन ने हिरासत में मरने वाले कैदियों के परिवारों को वित्तीय मुआवजा देने के लिए एक नई नीति लागू की है. 5 जुलाई, 2024 से प्रभावी इस नीति का उद्देश्य अप्राकृतिक मौतों की विभिन्न परिस्थितियों में मृतक कैदियों के कानूनी उत्तराधिकारियों को सहायता प्रदान करना है.

नीति के अनुसार, अन्य कैदियों के साथ संघर्ष या जेल कर्मचारियों द्वारा यातना या पिटाई के परिणामस्वरूप मरने वाले कैदियों के परिजनों को 7.5 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा. ऐसे मामलों में जहां कैदी की मौत जेल, मेडिकल या पैरामेडिकल स्टाफ की ओर से लापरवाही के कारण होती है, तो परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा.

इसके अलावा, अगर कोई कैदी आत्महत्या करता है, तो उसके परिवार को भी 5 लाख रुपये मिलेंगे. नीति दस्तावेज में स्पष्ट किया गया है कि ये मुआवजा उन कैदियों पर लागू होगा, जो अधिसूचना तिथि को या उसके बाद लद्दाख की जेलों में अप्राकृतिक मृत्यु का शिकार होते हैं. केंद्र शासित प्रदेश के गृह सचिव को इन मुआवज़ों को मंज़ूरी देने के लिए अधिकृत किया गया है.

मुआवज़ा प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए, संबंधित जेल के अधीक्षक को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करना आवश्यक है. इस रिपोर्ट में मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट, पोस्टमार्टम निष्कर्ष, मौत का अंतिम कारण, कैदी के प्रवेश के समय का चिकित्सा इतिहास और हिरासत में मौत से पहले प्रदान किए गए किसी भी चिकित्सा उपचार का विवरण शामिल होना चाहिए. इसके बाद यह व्यापक रिपोर्ट लद्दाख में जेलों के प्रमुख को भेजी जाएगी, जो उचित मुआवजे के अनुदान के लिए इसे यूटी प्रशासन को सौंपेंगे.

श्रीनगर: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रशासन ने हिरासत में मरने वाले कैदियों के परिवारों को वित्तीय मुआवजा देने के लिए एक नई नीति लागू की है. 5 जुलाई, 2024 से प्रभावी इस नीति का उद्देश्य अप्राकृतिक मौतों की विभिन्न परिस्थितियों में मृतक कैदियों के कानूनी उत्तराधिकारियों को सहायता प्रदान करना है.

नीति के अनुसार, अन्य कैदियों के साथ संघर्ष या जेल कर्मचारियों द्वारा यातना या पिटाई के परिणामस्वरूप मरने वाले कैदियों के परिजनों को 7.5 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा. ऐसे मामलों में जहां कैदी की मौत जेल, मेडिकल या पैरामेडिकल स्टाफ की ओर से लापरवाही के कारण होती है, तो परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा.

इसके अलावा, अगर कोई कैदी आत्महत्या करता है, तो उसके परिवार को भी 5 लाख रुपये मिलेंगे. नीति दस्तावेज में स्पष्ट किया गया है कि ये मुआवजा उन कैदियों पर लागू होगा, जो अधिसूचना तिथि को या उसके बाद लद्दाख की जेलों में अप्राकृतिक मृत्यु का शिकार होते हैं. केंद्र शासित प्रदेश के गृह सचिव को इन मुआवज़ों को मंज़ूरी देने के लिए अधिकृत किया गया है.

मुआवज़ा प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए, संबंधित जेल के अधीक्षक को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करना आवश्यक है. इस रिपोर्ट में मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट, पोस्टमार्टम निष्कर्ष, मौत का अंतिम कारण, कैदी के प्रवेश के समय का चिकित्सा इतिहास और हिरासत में मौत से पहले प्रदान किए गए किसी भी चिकित्सा उपचार का विवरण शामिल होना चाहिए. इसके बाद यह व्यापक रिपोर्ट लद्दाख में जेलों के प्रमुख को भेजी जाएगी, जो उचित मुआवजे के अनुदान के लिए इसे यूटी प्रशासन को सौंपेंगे.

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