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हिमाचल के सियासी संकट से ताजा हुई उत्तराखंड की यादें, 9 विधायकों ने कांग्रेस को दिया था झटका, अल्पमत में आ गई थी सरकार

Himachal Political Crisis, Defection in Uttarakhand हिमाचल का सियासी संकट देशभर में चर्चाओं में हैं. राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग, विधायकों के बागी तेवरों के बाद सुक्खू सरकार संकट में नजर में आ रही है. वहीं, हिमाचल में मची इस सियासी गदर से उत्तराखंड में घटित 2016 के पॉलिटिकल घटनाक्रम का यादें ताजा हो गई हैं.

Himachal Political Crisis
हिमाचल के सियासी संकट से ताजा हुआ उत्तराखंड की यादें
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 28, 2024, 7:22 PM IST

Updated : Feb 28, 2024, 7:39 PM IST

हिमाचल के सियासी संकट

देहरादून: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग से हर कोई हैरान है. हिमाचल में कांग्रेस के 6 विधायकों ने पार्टी लाइन के खिलाफ वोट किया. जिसके बाद से ही हिमाचल की सुक्खू सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. इसके बाद आज हिमाचल का बजट सत्र भी हंमामेदार रहा. हिमाचल विधानसभा में आज कमोवेश वैसी ही स्थिति नजर आई जैसी 2016 में उत्तराखंड में नजर आई थी.

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के 6 विधायकों ने अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ वोटिंग करते हुए सुक्खू सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर दी. हालांकि, अब कांग्रेस इन स्थितियों से निपटने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह हालत पार्टी में बिखराव की स्थिति को भी दिख रहे हैं. हिमाचल में विधायकों के इस तरह पार्टी के खिलाफ जाने के बीच उत्तराखंड में इसको लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है. ऐसा इसलिए क्योंकि हिमाचल, उत्तराखंड का पड़ोसी राज्य है. यहां की राजनीति उत्तराखंड से काफी हद तक मेल भी खाती है. दूसरी तरफ इस घटनाक्रम ने उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं को साल 2016 के दौरान हुए दल बदल की यादें भी ताजा करा दी हैं.

इसी को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस के विधायक राजेंद्र भंडारी कहते हैं हिमाचल में यह दल बदल केवल खरीद फ़रोख़्त का ही नतीजा है. भाजपा विधायकों की बोली लगाकर लोकतंत्र को खंडित करने का काम कर रही है. भाजपा ने विधायको को घूस देकर खरीदा है.उत्तराखंड में साल 2016 के दौरान हरीश रावत सरकार में विधायक राजेंद्र भंडारी ने भी भाजपा द्वारा संपर्क कर उन्हें खरीदे जाने की कोशिश करने की बात कही थी. उन्होंने कहा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने के लिए उन्हें करोड़ों रुपए ऑफर किए गए थे, लेकिन उन्होंने यह ऑफर ठुकरा दिया था.

उधर दूसरी तरफ इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी के विधायक कहते हैं कि यदि कांग्रेस के विधायक इस तरह के आरोप लगा रहे हैं तो उन्हें यह भी स्पष्ट करना होगा कि क्या कांग्रेस के नेता बिकाऊ होते हैं. उनकी कोई भी बोली लगाई तो क्या वह अपनी विचारधारा को छोड़ देते हैं. भाजपा नेताओं ने कहा इन सवावों का जवाब कांग्रेस को देना चाहिए.

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हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के 6 विधायकों ने अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ वोटिंग करते हुए सुक्खू सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर दी. हालांकि, अब कांग्रेस इन स्थितियों से निपटने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह हालत पार्टी में बिखराव की स्थिति को भी दिख रहे हैं. हिमाचल में विधायकों के इस तरह पार्टी के खिलाफ जाने के बीच उत्तराखंड में इसको लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है. ऐसा इसलिए क्योंकि हिमाचल, उत्तराखंड का पड़ोसी राज्य है. यहां की राजनीति उत्तराखंड से काफी हद तक मेल भी खाती है. दूसरी तरफ इस घटनाक्रम ने उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं को साल 2016 के दौरान हुए दल बदल की यादें भी ताजा करा दी हैं.

इसी को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस के विधायक राजेंद्र भंडारी कहते हैं हिमाचल में यह दल बदल केवल खरीद फ़रोख़्त का ही नतीजा है. भाजपा विधायकों की बोली लगाकर लोकतंत्र को खंडित करने का काम कर रही है. भाजपा ने विधायको को घूस देकर खरीदा है.उत्तराखंड में साल 2016 के दौरान हरीश रावत सरकार में विधायक राजेंद्र भंडारी ने भी भाजपा द्वारा संपर्क कर उन्हें खरीदे जाने की कोशिश करने की बात कही थी. उन्होंने कहा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने के लिए उन्हें करोड़ों रुपए ऑफर किए गए थे, लेकिन उन्होंने यह ऑफर ठुकरा दिया था.

उधर दूसरी तरफ इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी के विधायक कहते हैं कि यदि कांग्रेस के विधायक इस तरह के आरोप लगा रहे हैं तो उन्हें यह भी स्पष्ट करना होगा कि क्या कांग्रेस के नेता बिकाऊ होते हैं. उनकी कोई भी बोली लगाई तो क्या वह अपनी विचारधारा को छोड़ देते हैं. भाजपा नेताओं ने कहा इन सवावों का जवाब कांग्रेस को देना चाहिए.

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Last Updated : Feb 28, 2024, 7:39 PM IST
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