प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी में विवादित परिसर स्थित वजूखाने का सर्वे कराने की मांग में दाखिल पुनरीक्षण याचिका को विचारणीय मानते हुए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी सहित अन्य विपक्षियों को नोटिस जारी करते हुए सभी से जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने वजूखाने का एएसआई से वैज्ञानिक सर्वे कराने की मांग को विचारणीय माना है. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने वाराणसी की अदालत में श्रृंगार गौरी का मुकदमा दाखिल करने वाली राखी सिंह की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को दिया.
कोर्ट ने वादी पक्ष से पूछा था कि जिला जज के आदेश में क्या कमी है. राखी सिंह की ओर से कहा गया कि सर्वे से विवादित परिसर को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि एएसआई (ASI) वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कर रहा है. याचिका में कहा गया है कि श्रृंगार गौरी केस के निस्तारण के लिए वजूखाने का भी सर्वे कराया जाना बेहद जरूरी है. कहा गया है कि एएसआई ने जिस तरह विवादित परिसर के अन्य हिस्सों का सर्वे किया है, उसी तरह उसे वजुखाने का भी सर्वे करने का निर्देश दिया जाए. दलील दी गई कि वजूखाने के सर्वे से 15 अगस्त 1947 को जो स्थिति थी, उसका सही सही पता चलेगा.
वजूखाने में शिवलिंग आकृति मिलने के दावे के बाद वाराणसी के सिविल जज के आदेश पर वजुखाने को मई 2022 में सील कर दिया गया था. याचिका के माध्यम से वाराणसी के जिला जज की कोर्ट के गत 21 अक्टूबर के आदेश की वैधानिकता को चुनौती दी गई है. जिला जज ने गत वर्ष दिए गए अपने आदेश में वजूखाने का सर्वे कराने का आदेश देने से इनकार कर दिया था. जिला जज ने याची की अर्जी खारिज करते हुए अपने आदेश में यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई 2022 को उस क्षेत्र की विधिवत सुरक्षा करने का आदेश दिया था, जहां 'शिवलिंग' आकृति पाई गई है. इसलिए एएसआई को उस क्षेत्र का सर्वे करने का निर्देश देना उचित नहीं है क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा. पुनरीक्षण याचिका में कहा गया है कि शिवलिंग आकृति को छोड़कर वजूखाने का सर्वे विवादित संपत्ति के धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए आवश्यक है, इसलिए वहां के सर्वे के लिए एएसआई को निर्देशित किया जाए.
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