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क्यों चर्चा में है हेमा कमेटी, सीपीएम सरकार पर क्यों लगे आरोप, जानें - Hema committee report

केरल फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा राजनीतिक रंग लेता जा रहा है. कांग्रेस और भाजपा ने वाम सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि हेमा कमेटी की रिपोर्ट ने वाम सरकार को पूरी तरह से एक्सपोज कर दिया है. क्या है हेमा कमेटी की रिपोर्ट, सीपीएम पर क्या लगे हैं आरोप, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

Justice Hema
जस्टिस हेमा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 27, 2024, 7:16 PM IST

Updated : Aug 27, 2024, 7:38 PM IST

नई दिल्ली : मलयालम फिल्म इंडस्ट्री पर आई एक जांच रिपोर्ट (हेमा कमेटी) ने केरल में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है. रिपोर्ट में कई बड़ी हस्तियों के नाम लिए गए हैं. उन पर महिला कलाकारों के यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगे हैं. जिन पर आरोप लगे हैं, उनमें से कुछ के नाम सीपीएम नेताओं से भी जुड़े हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक्टर मीनू मनीर ने सीपीएम विधायक एम. मुकेश पर अमर्यादित आचरण करने के आरोप लगाए थे. यह मामला इसलिए भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि एक दिन पहले ही केरल चलचित्र अकादमी के चेयरपर्सन रंजीत से राज्य सरकार ने इस्तीफा ले लिया था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कुछ दिनों पहले तक केरल के मंत्री साजी चेरियन खुलेआम रंजीत के पक्ष में बयान दे रहे थे. रंजीत लेफ्ट गठबंधन के समर्थक रह चुके हैं. हालांकि, अब पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. एम. मुकेश भी केरल में सिनेमा कॉनक्लेव आयोजित करते रहे हैं.

मामला के तूल पकड़ने के बाद सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए सीपीआई के राज्य सचिव बिनॉय विश्वम ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार हमेशा से फिल्म उद्योग में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील रही है. उन्होंने कहा कि अगर इस मामले में किसी पर भी कोई भी आरोप लगा है, तो सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई करेगी.

सरकार ने एसआईटी का किया गठन - दरअसल, जैसे ही हेमा कमेटी की रिपोर्ट सामने आई, केरल सरकार ने एक एसआईटी का गठन कर दिया. इनके चार सदस्य हैं. चारों महिला पुलिस अधिकारी हैं. सरकार ने कहा है कि कमेटी के सामने फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी महिलाएं सामने आकर अपना बयान दर्ज करा सकती हैं.

कमेटी उनकी शिकायतें सुनेगी. इस पर क्या एक्शन लिया जाएगा, इसके बारे में अभी कुछ नहीं बताया गया है. हालांकि, केरल सरकार का एक बयान सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि वह हरेक मामले की जांच करने के लिए तैयार है, बशर्ते शिकायतकर्ता सामने आए. मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि वैसी अभिनेत्रियां जो हेमा कमेटी के सामने पेश हुई हैं, उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया है.

कब बनी थी कमेटी - केरल सरकार ने इस कमेटी का गठन 2017 में किया था. उस समय एक एक्ट्रेस ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे. इस मामले में एक्टर दिलीप का नाम सामने आया था. वह अभी जमानत पर हैं. कमेटी ने जिन महिलाओं ने अपने बयान दर्ज कराए हैं, उनमें से अधिकांश मामले 2008 से लेकर 2012 के बीच के हैं. 2019 में कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. इसके बावजूद कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया. रिपोर्ट जारी करने में देरी की वजह से विपक्षी पार्टियों ने सीपीएम सरकार पर कई आरोप लगाए.

कमेटी ने देरी से रिपोर्ट क्यों सौंपी- कमेटी की रिपोर्ट आते आते काफी समय लग गया. विपक्ष ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने इस रिपोर्ट को शर्मनाक बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस रिपोर्ट को लाने में पांच साल क्यों लगे, यह समझ के परे है. कांग्रेस नेता वीडी सतीशन ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार किसी न किसी को बचाने की कोशिश कर रही है.

देरी पर सरकार ने दी सफाई - केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा कि खुद जस्टिस हेमा ने इस रिपोर्ट को काफी संवेदनशील बताया, और उन्होंने इसकी जानकारी को सार्वजनिक नहीं करने की सलाह दी थी. हालांकि, जुलाई 2024 में सूचना आयोग ने कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के आदेश दिए. 19 अगस्त को कमेटी की रिपोर्ट सामने आ गई.

कमेटी के प्रमुख बिंदु

  • मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन शोषण आम है. यह कहना बेहतर होगा कि यह एक संस्कृति का रूप ले चुका है.
  • कास्टिंग काउच की भरमार है.
  • पुरुष कलाकार महिला कलाकारों के लिए अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हैं.
  • भय और काम खो जाने की वजह से महिलाएं शिकायत नहीं करती हैं.
  • विरोध करने वाली महिलाओं को सोशल मीडिया पर ट्रोल करवाया जाता है.
  • शूटिंग स्थल पर महिलाओं के लिए अप्रिय माहौल और बेसिक सुविधाओं का अभाव. चेंजिंग रूम तक का नहीं होना बहुत ही आम है.
  • रोल देने के बदले यौन संबंध की मांग करना.
  • महिला कलाकारों को कम वेतन देना.
  • शिकायत निवारण तंत्र का अभाव.

सरकार क्यों नहीं करती कार्रवाई - कानूनी जानकारों का मानना है कि क्योंकि यह मामला आपराधिक प्रकृति का है, लिहाजा, इसमें राज्य सरकार को खुद पहल करनी चाहिए. उसे खुद ही एफआईआर दर्ज कर मामले को आगे बढ़ाना चाहिए. आपराधिक मामलों में राज्य सरकार खुद पक्षकार होती है.

मी टू मूवमेंट की आई याद- 2018 में अचानक ही मीटू मूवमेंट चल पड़ा. एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने मशहूर एक्टर नाना पाटेकर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि फिल्म हॉर्न ओके प्लीज के सेट पर नाना पाटेकर ने उनका यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उनके इस आरोप के बाद तनुश्री दत्ता को फिल्म उद्योग में काम मिलना बंद हो गया. इसी तरह से विकास बहल और साजिद खान पर भी आरोप लगे थे. लेकिन प्रायः देखा गया है कि पुरुषों को काम के फ्रंट पर ज्यादा परेशानी नहीं होती है, उन्हें काम मिल जाता है. हेमा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में एक्ट्रेस को लगता है कि उनका काम छीन जाएगा, इसलिए वे चुप रह जाती हैं.

ये भी पढ़ें : जस्टिस हेमा कमेटी रिपोर्ट पर बवाल के बीच मोहनलाल ने AMMA के चीफ पद से दिया इस्तीफा

नई दिल्ली : मलयालम फिल्म इंडस्ट्री पर आई एक जांच रिपोर्ट (हेमा कमेटी) ने केरल में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है. रिपोर्ट में कई बड़ी हस्तियों के नाम लिए गए हैं. उन पर महिला कलाकारों के यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगे हैं. जिन पर आरोप लगे हैं, उनमें से कुछ के नाम सीपीएम नेताओं से भी जुड़े हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक्टर मीनू मनीर ने सीपीएम विधायक एम. मुकेश पर अमर्यादित आचरण करने के आरोप लगाए थे. यह मामला इसलिए भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि एक दिन पहले ही केरल चलचित्र अकादमी के चेयरपर्सन रंजीत से राज्य सरकार ने इस्तीफा ले लिया था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कुछ दिनों पहले तक केरल के मंत्री साजी चेरियन खुलेआम रंजीत के पक्ष में बयान दे रहे थे. रंजीत लेफ्ट गठबंधन के समर्थक रह चुके हैं. हालांकि, अब पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. एम. मुकेश भी केरल में सिनेमा कॉनक्लेव आयोजित करते रहे हैं.

मामला के तूल पकड़ने के बाद सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए सीपीआई के राज्य सचिव बिनॉय विश्वम ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार हमेशा से फिल्म उद्योग में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील रही है. उन्होंने कहा कि अगर इस मामले में किसी पर भी कोई भी आरोप लगा है, तो सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई करेगी.

सरकार ने एसआईटी का किया गठन - दरअसल, जैसे ही हेमा कमेटी की रिपोर्ट सामने आई, केरल सरकार ने एक एसआईटी का गठन कर दिया. इनके चार सदस्य हैं. चारों महिला पुलिस अधिकारी हैं. सरकार ने कहा है कि कमेटी के सामने फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी महिलाएं सामने आकर अपना बयान दर्ज करा सकती हैं.

कमेटी उनकी शिकायतें सुनेगी. इस पर क्या एक्शन लिया जाएगा, इसके बारे में अभी कुछ नहीं बताया गया है. हालांकि, केरल सरकार का एक बयान सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि वह हरेक मामले की जांच करने के लिए तैयार है, बशर्ते शिकायतकर्ता सामने आए. मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि वैसी अभिनेत्रियां जो हेमा कमेटी के सामने पेश हुई हैं, उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया है.

कब बनी थी कमेटी - केरल सरकार ने इस कमेटी का गठन 2017 में किया था. उस समय एक एक्ट्रेस ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे. इस मामले में एक्टर दिलीप का नाम सामने आया था. वह अभी जमानत पर हैं. कमेटी ने जिन महिलाओं ने अपने बयान दर्ज कराए हैं, उनमें से अधिकांश मामले 2008 से लेकर 2012 के बीच के हैं. 2019 में कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. इसके बावजूद कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया. रिपोर्ट जारी करने में देरी की वजह से विपक्षी पार्टियों ने सीपीएम सरकार पर कई आरोप लगाए.

कमेटी ने देरी से रिपोर्ट क्यों सौंपी- कमेटी की रिपोर्ट आते आते काफी समय लग गया. विपक्ष ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने इस रिपोर्ट को शर्मनाक बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस रिपोर्ट को लाने में पांच साल क्यों लगे, यह समझ के परे है. कांग्रेस नेता वीडी सतीशन ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार किसी न किसी को बचाने की कोशिश कर रही है.

देरी पर सरकार ने दी सफाई - केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा कि खुद जस्टिस हेमा ने इस रिपोर्ट को काफी संवेदनशील बताया, और उन्होंने इसकी जानकारी को सार्वजनिक नहीं करने की सलाह दी थी. हालांकि, जुलाई 2024 में सूचना आयोग ने कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के आदेश दिए. 19 अगस्त को कमेटी की रिपोर्ट सामने आ गई.

कमेटी के प्रमुख बिंदु

  • मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन शोषण आम है. यह कहना बेहतर होगा कि यह एक संस्कृति का रूप ले चुका है.
  • कास्टिंग काउच की भरमार है.
  • पुरुष कलाकार महिला कलाकारों के लिए अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हैं.
  • भय और काम खो जाने की वजह से महिलाएं शिकायत नहीं करती हैं.
  • विरोध करने वाली महिलाओं को सोशल मीडिया पर ट्रोल करवाया जाता है.
  • शूटिंग स्थल पर महिलाओं के लिए अप्रिय माहौल और बेसिक सुविधाओं का अभाव. चेंजिंग रूम तक का नहीं होना बहुत ही आम है.
  • रोल देने के बदले यौन संबंध की मांग करना.
  • महिला कलाकारों को कम वेतन देना.
  • शिकायत निवारण तंत्र का अभाव.

सरकार क्यों नहीं करती कार्रवाई - कानूनी जानकारों का मानना है कि क्योंकि यह मामला आपराधिक प्रकृति का है, लिहाजा, इसमें राज्य सरकार को खुद पहल करनी चाहिए. उसे खुद ही एफआईआर दर्ज कर मामले को आगे बढ़ाना चाहिए. आपराधिक मामलों में राज्य सरकार खुद पक्षकार होती है.

मी टू मूवमेंट की आई याद- 2018 में अचानक ही मीटू मूवमेंट चल पड़ा. एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने मशहूर एक्टर नाना पाटेकर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि फिल्म हॉर्न ओके प्लीज के सेट पर नाना पाटेकर ने उनका यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उनके इस आरोप के बाद तनुश्री दत्ता को फिल्म उद्योग में काम मिलना बंद हो गया. इसी तरह से विकास बहल और साजिद खान पर भी आरोप लगे थे. लेकिन प्रायः देखा गया है कि पुरुषों को काम के फ्रंट पर ज्यादा परेशानी नहीं होती है, उन्हें काम मिल जाता है. हेमा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में एक्ट्रेस को लगता है कि उनका काम छीन जाएगा, इसलिए वे चुप रह जाती हैं.

ये भी पढ़ें : जस्टिस हेमा कमेटी रिपोर्ट पर बवाल के बीच मोहनलाल ने AMMA के चीफ पद से दिया इस्तीफा

Last Updated : Aug 27, 2024, 7:38 PM IST
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