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इस छोटी सी नदी ने मचाया था कुमाऊं में कहर, उत्तराखंड में बारिश का UP-दिल्ली पर पड़ता है सीधा असर - Rain Havoc In Uttarakhand

Rain in Uttarakhand उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुई अत्यधिक बारिश का असर दिल्ली के आसपास के इलाकों के जरिए यमुना नदी पर पड़ता है. ऐसी टिहरी से नीचे उतरने वाली गंगा भी मैदानी इलाकों से होते हुए उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ती है. इसी तरह का असर कुमाऊं में गोला और शारदा नदी के जरिए देखने को मिलता है.

Rain in Uttarakhand
उत्तराखंड में बारिश (ETV BHARAT GRAPHICS)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 11, 2024, 7:16 PM IST

Updated : Jul 11, 2024, 8:08 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में मॉनसून को लेकर पूर्व में तमाम वैज्ञानिक द्वारा जताई गई आशंका सही साबित हुई है. मॉनसून के 10 दिन बीत जाने के बाद भी उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं में हालात कुछ अच्छे नहीं हैं. दोनों ही जगह पर अत्यधिक बारिश होने के कारण चारों तरफ पानी ही पानी है. सबसे अधिक नुकसान उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में हुआ है. जानकारों का मानना है कि उत्तराखंड के गढ़वाल रीजन में हो रही बारिश से न सिर्फ गढ़वाल बल्कि दिल्ली, यूपी को भी आने वाले समय में मुसीबत झेलनी पड़ सकती है.

उत्तराखंड में बारिश दिल्ली-यूपी के लिए खतरा: उत्तराखंड में अत्यधिक बारिश का असर उत्तर प्रदेश के बरेली, बिजनौर, मुरादाबाद और सहारनपुर के अलावा गोंडा, बहराइच और बलिया तक छोटी-छोटी नदियों के जरिए नजर आता है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित नदी किनारे रह रहे लोग होते हैं. अंत में ये पानी दिल्ली के यमुना नदी में पहुंचता है. साल 2019 और 2023 में जिस तरह से दिल्ली के हालात खराब हुए थे, उसके बाद यह साफ हो गया था कि हिमाचल की बारिश और उत्तराखंड के गढ़वाल में होने वाली बारिश का सीधा असर दिल्ली की यमुना नदी पर पड़ता है. लिहाजा, यमुना के उफान पर आने से दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं.

मौजूदा समय में उत्तराखंड की तमाम नदियों का जलस्तर अत्यधिक बढ़ गया है. देहरादून के डाकपत्थर बैराज में रोजाना नदी का जलस्तर बढ़ रहा है. हालांकि, अभी चिंता वाली बात नहीं है लेकिन उत्तरकाशी और आसपास में निरंतर बारिश हरियाणा और यूपी के बॉर्डर पर स्थित हथिनी कुंड बैराज को जैसे जैसे खतरे के निशान पर पहुंचाएगा, वैसे-वैसे पानी राजधानी दिल्ली में टेंशन बढ़ाएगा.

दरअसल, गढ़वाल के उत्तरकाशी रीजन में हुई बारिश सीधे डाकपत्थर बैराज से दिल्ली की ओर बढ़ती है. यहीं से यमुना नदी का पानी उत्तराखंड से होते हुए हिमाचल की बारिश के पानी के साथ दिल्ली पहुंचता है. मौजूदा समय में उत्तरकाशी में अच्छी खासी बारिश हो रही है. आपदा प्रबंधन के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में अभी 15 जुलाई तक बारिश होगी. इसके अलावा डाकपत्थर बैराज में जलस्तर 1489.5 फीट पर है. फिलहाल अच्छी बात ये है कि बैराज से डिस्चार्ज पानी शून्य है.

बारिश से प्रभावित कुमाऊं: मॉनसून के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित कुमाऊं रेंज के खटीमा, सितारगंज, काशीपुर और बनबसा शहर हैं. 7 जुलाई से 9 जुलाई तक इन क्षेत्रों में हुई बारिश ने कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर दी है. सबसे ज्यादा बदतर स्थिति खटीमा की है.

उत्तराखंड सिंचाई विभाग के मुख्य अधिशासी अभियंता संजय शुक्ला कुमाऊं में आई बाढ़ को लेकर कहते हैं कि, ये उनके पूरे ड्यूटी काल की पहली ऐसी बारिश है, जब आसपास इतना अधिक पानी उन्होंने देखा हो. कुमाऊं में जिन इलाकों में यह बाढ़ आई है, उन इलाकों की नेहरों की भौगोलिक स्थिति को हमें समझना होगा. सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि गढ़वाल और कुमाऊं में आज भी कई नहरों का संचालन उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग करता है. 7 और 8 जुलाई को पूरे क्षेत्र में अत्यधिक बारिश रिकॉर्ड की गई. अकेले खटीमा में ही 370 एमएम और बनबसा में भी 740 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई है.

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उधमसिंह नगर के खटीमा में बारिश से सबसे ज्यादा कहर (PHOTO- UTTARAKHAND SDRF)

ये बारिश का पानी उधमसिंह नगर के अलग-अलग इलाके में बने नानक सागर डैम (नानकमत्ता) और बेगुल डैम (सितारगंज) के साथ-साथ धौरा डैम (रुद्रपुर) में जाता है. लेकिन इस बार बेगुल नदी अपने पूरे उफान पर रही और बारिश के कारण सहायक नदियों का पानी भी बेगुल नदी में पहुंचा, तो हमेशा शांत रहने वाली ये छोटी सी नदी ने भी रौद्र रूप धारण कर लिया. इसका नतीजा ये हुआ कि खटीमा का एक बड़ा हिस्सा दो दिनों तक जलमग्न रहा. इस दौरान न केवल जनजीवन प्रभावित रहा बल्कि किसानों की सैकड़ों हेक्टर भूमि भी बेगुल नदी ने बर्बाद कर दी. बता दें कि, साल 2008 में धौरा डैम में 40 हजार क्यूसेक पानी था, जबकि साल 2023 में 35 हजार क्यूसेक पानी था. धौरा डैम के खतरे का निशान 40 हजार क्यूसेक पानी है. लेकिन इस बार इस डैम में 48 हजार क्यूसेक पानी आ गया है इसलिए खटीमा में इस तरह के हालात पैदा हुए हैं.

संजय शुक्ला का कहना है कि बारिश के दौरान हम लगातार उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के संपर्क में थे. तत्काल प्रभाव से उन्होंने भी पानी के डिस्चार्ज लेवल को और अधिक बढ़ाया तब जाकर हालात काबू में आए. अगर बारिश का पानी लगातार इसी तरह से शहरों में आता रहता तो हालात और भी खराब हो सकते थे. वह बताते हैं कि सिर्फ उत्तराखंड के खटीमा में ही ऐसे हालात पैदा नहीं हुए हैं बल्कि उत्तराखंड से गया हुआ पानी पीलीभीत में भी इसी तरह लोगों को परेशान कर रहा है. आंकड़े बताते हैं कि 7 और 8 जुलाई के दिन सभी कुमाऊं की छोटी बड़ी नदी डेंजर लेवल से ऊपर ही चल रही थी.

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कुमाऊं में बाढ़ प्रभावितों का रेस्क्यू करती SDRF (PHOTO- UTTARAKHAND SDRF)

दो लोग मरे, 17 करोड़ का नुकसान: खटीमा, बनबसा और आसपास के क्षेत्र में जानमाल के नुकसान की बात करें तो दो लोगों की मौत हुई है. जबकि रेलवे ट्रैक, सड़क और कई कॉलोनी में पानी भरने से कितना नुकसान हुआ है, इसका आकलन धीरे-धीरे होगा. किसानों की फसल को भी नुकसान पहुंचा है. दरअसल यह पूरा क्षेत्र कृषि बाहुल्य क्षेत्र है, जो कि अब बाढ़ की मार झेल रहा है. इसी बारिश की वजह से उत्तराखंड सिंचाई विभाग को भी लगभग 17 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान एक अनुमान के तौर पर हुआ है.

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बारिश थमने के बाद भी हालत जस के तस (PHOTO- UTTARAKHAND SDRF)

बता दें कि, उत्तराखंड बनने के 24 साल बाद भी प्रदेश की अधिकतक नदियां को उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग रेगुलेट करता है. इसी के तहत नानक सागर डैम, बेगुल डैम और धौरा डैम भी यूपी सिंचाई विभाग कंट्रोल करता है. इसके साथ ही गढ़वाल की प्रमुख नदियों पर बने बांध जिसमें हरिद्वार स्थित भीमगौड़ा बैराज, रुड़की और ज्वालापुर के गंगा बांध भी यूपी सिंचाई विभाग के आधीन आते हैं.

ये भी पढ़ेंः चंद घंटों की बारिश ने खोली प्रशासन के दावों की पोल, पानी-पानी हुई काशीपुर की गलियां

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में आफत की बारिश, 4.50 करोड़ से अधिक का हुआ नुकसान

ये भी पढ़ेंः सीएम धामी ने आपदाग्रस्त क्षेत्र का किया निरीक्षण, अधिकारियों को ठोस कदम उठाने के दिए निर्देश

देहरादूनः उत्तराखंड में मॉनसून को लेकर पूर्व में तमाम वैज्ञानिक द्वारा जताई गई आशंका सही साबित हुई है. मॉनसून के 10 दिन बीत जाने के बाद भी उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं में हालात कुछ अच्छे नहीं हैं. दोनों ही जगह पर अत्यधिक बारिश होने के कारण चारों तरफ पानी ही पानी है. सबसे अधिक नुकसान उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में हुआ है. जानकारों का मानना है कि उत्तराखंड के गढ़वाल रीजन में हो रही बारिश से न सिर्फ गढ़वाल बल्कि दिल्ली, यूपी को भी आने वाले समय में मुसीबत झेलनी पड़ सकती है.

उत्तराखंड में बारिश दिल्ली-यूपी के लिए खतरा: उत्तराखंड में अत्यधिक बारिश का असर उत्तर प्रदेश के बरेली, बिजनौर, मुरादाबाद और सहारनपुर के अलावा गोंडा, बहराइच और बलिया तक छोटी-छोटी नदियों के जरिए नजर आता है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित नदी किनारे रह रहे लोग होते हैं. अंत में ये पानी दिल्ली के यमुना नदी में पहुंचता है. साल 2019 और 2023 में जिस तरह से दिल्ली के हालात खराब हुए थे, उसके बाद यह साफ हो गया था कि हिमाचल की बारिश और उत्तराखंड के गढ़वाल में होने वाली बारिश का सीधा असर दिल्ली की यमुना नदी पर पड़ता है. लिहाजा, यमुना के उफान पर आने से दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं.

मौजूदा समय में उत्तराखंड की तमाम नदियों का जलस्तर अत्यधिक बढ़ गया है. देहरादून के डाकपत्थर बैराज में रोजाना नदी का जलस्तर बढ़ रहा है. हालांकि, अभी चिंता वाली बात नहीं है लेकिन उत्तरकाशी और आसपास में निरंतर बारिश हरियाणा और यूपी के बॉर्डर पर स्थित हथिनी कुंड बैराज को जैसे जैसे खतरे के निशान पर पहुंचाएगा, वैसे-वैसे पानी राजधानी दिल्ली में टेंशन बढ़ाएगा.

दरअसल, गढ़वाल के उत्तरकाशी रीजन में हुई बारिश सीधे डाकपत्थर बैराज से दिल्ली की ओर बढ़ती है. यहीं से यमुना नदी का पानी उत्तराखंड से होते हुए हिमाचल की बारिश के पानी के साथ दिल्ली पहुंचता है. मौजूदा समय में उत्तरकाशी में अच्छी खासी बारिश हो रही है. आपदा प्रबंधन के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में अभी 15 जुलाई तक बारिश होगी. इसके अलावा डाकपत्थर बैराज में जलस्तर 1489.5 फीट पर है. फिलहाल अच्छी बात ये है कि बैराज से डिस्चार्ज पानी शून्य है.

बारिश से प्रभावित कुमाऊं: मॉनसून के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित कुमाऊं रेंज के खटीमा, सितारगंज, काशीपुर और बनबसा शहर हैं. 7 जुलाई से 9 जुलाई तक इन क्षेत्रों में हुई बारिश ने कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर दी है. सबसे ज्यादा बदतर स्थिति खटीमा की है.

उत्तराखंड सिंचाई विभाग के मुख्य अधिशासी अभियंता संजय शुक्ला कुमाऊं में आई बाढ़ को लेकर कहते हैं कि, ये उनके पूरे ड्यूटी काल की पहली ऐसी बारिश है, जब आसपास इतना अधिक पानी उन्होंने देखा हो. कुमाऊं में जिन इलाकों में यह बाढ़ आई है, उन इलाकों की नेहरों की भौगोलिक स्थिति को हमें समझना होगा. सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि गढ़वाल और कुमाऊं में आज भी कई नहरों का संचालन उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग करता है. 7 और 8 जुलाई को पूरे क्षेत्र में अत्यधिक बारिश रिकॉर्ड की गई. अकेले खटीमा में ही 370 एमएम और बनबसा में भी 740 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई है.

Rain in Uttarakhand
उधमसिंह नगर के खटीमा में बारिश से सबसे ज्यादा कहर (PHOTO- UTTARAKHAND SDRF)

ये बारिश का पानी उधमसिंह नगर के अलग-अलग इलाके में बने नानक सागर डैम (नानकमत्ता) और बेगुल डैम (सितारगंज) के साथ-साथ धौरा डैम (रुद्रपुर) में जाता है. लेकिन इस बार बेगुल नदी अपने पूरे उफान पर रही और बारिश के कारण सहायक नदियों का पानी भी बेगुल नदी में पहुंचा, तो हमेशा शांत रहने वाली ये छोटी सी नदी ने भी रौद्र रूप धारण कर लिया. इसका नतीजा ये हुआ कि खटीमा का एक बड़ा हिस्सा दो दिनों तक जलमग्न रहा. इस दौरान न केवल जनजीवन प्रभावित रहा बल्कि किसानों की सैकड़ों हेक्टर भूमि भी बेगुल नदी ने बर्बाद कर दी. बता दें कि, साल 2008 में धौरा डैम में 40 हजार क्यूसेक पानी था, जबकि साल 2023 में 35 हजार क्यूसेक पानी था. धौरा डैम के खतरे का निशान 40 हजार क्यूसेक पानी है. लेकिन इस बार इस डैम में 48 हजार क्यूसेक पानी आ गया है इसलिए खटीमा में इस तरह के हालात पैदा हुए हैं.

संजय शुक्ला का कहना है कि बारिश के दौरान हम लगातार उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के संपर्क में थे. तत्काल प्रभाव से उन्होंने भी पानी के डिस्चार्ज लेवल को और अधिक बढ़ाया तब जाकर हालात काबू में आए. अगर बारिश का पानी लगातार इसी तरह से शहरों में आता रहता तो हालात और भी खराब हो सकते थे. वह बताते हैं कि सिर्फ उत्तराखंड के खटीमा में ही ऐसे हालात पैदा नहीं हुए हैं बल्कि उत्तराखंड से गया हुआ पानी पीलीभीत में भी इसी तरह लोगों को परेशान कर रहा है. आंकड़े बताते हैं कि 7 और 8 जुलाई के दिन सभी कुमाऊं की छोटी बड़ी नदी डेंजर लेवल से ऊपर ही चल रही थी.

Rain in Uttarakhand
कुमाऊं में बाढ़ प्रभावितों का रेस्क्यू करती SDRF (PHOTO- UTTARAKHAND SDRF)

दो लोग मरे, 17 करोड़ का नुकसान: खटीमा, बनबसा और आसपास के क्षेत्र में जानमाल के नुकसान की बात करें तो दो लोगों की मौत हुई है. जबकि रेलवे ट्रैक, सड़क और कई कॉलोनी में पानी भरने से कितना नुकसान हुआ है, इसका आकलन धीरे-धीरे होगा. किसानों की फसल को भी नुकसान पहुंचा है. दरअसल यह पूरा क्षेत्र कृषि बाहुल्य क्षेत्र है, जो कि अब बाढ़ की मार झेल रहा है. इसी बारिश की वजह से उत्तराखंड सिंचाई विभाग को भी लगभग 17 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान एक अनुमान के तौर पर हुआ है.

Rain in Uttarakhand
बारिश थमने के बाद भी हालत जस के तस (PHOTO- UTTARAKHAND SDRF)

बता दें कि, उत्तराखंड बनने के 24 साल बाद भी प्रदेश की अधिकतक नदियां को उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग रेगुलेट करता है. इसी के तहत नानक सागर डैम, बेगुल डैम और धौरा डैम भी यूपी सिंचाई विभाग कंट्रोल करता है. इसके साथ ही गढ़वाल की प्रमुख नदियों पर बने बांध जिसमें हरिद्वार स्थित भीमगौड़ा बैराज, रुड़की और ज्वालापुर के गंगा बांध भी यूपी सिंचाई विभाग के आधीन आते हैं.

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Last Updated : Jul 11, 2024, 8:08 PM IST
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