रांचीः देश के कई हिस्सों में प्रचंड गर्मी पड़ रही है. तापमान का तांडव इस कदर है कि लोग इस गर्मी में झुलस रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली समेत करीब 10 राज्यों में पारा सातवें आसमान पर है. भीषण गर्मी और हीट वेव से कई राज्यों में जनजीवन प्रभावित है. वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कई प्रदेशों में गर्मी से हुए मौत के आंकड़े भी सामने आए हैं.
झारखंड राज्य भी इन दिनों प्रचंड गर्मी और हीट वेव की चपेट में है. मीडिया में हर दिन किसी न किसी जिले से हीट वेव से मौत की खबरें भी आ रही हैं. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग विकट मौसम को लेकर अलर्ट है. साथ ही लोगों को सलाह भी दे रही है लेकिन राज्य के स्वास्थ्य मुख्यालय के पदाधिकारी पिछले दिनों हुई मौतों की वजह को हीट वेव मानने के लिए तैयार नहीं हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने राज्य में नेशनल प्रोग्राम ऑफ क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ के नोडल अधिकारी डॉ राघवेंद्र नारायण शर्मा से हीट वेव को लेकर खास बातचीत है. उन्होंने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में साफ शब्दों में कहा कि वैश्विक स्तर पर हीट वेव से हुई मौत को लेकर एक परिभाषा तय है और उसी परिभाषा को केंद्र में रखकर यह तय करना होगा कि जिसकी मौत हुई है उसकी केस हिस्ट्री हीट वेव की परिभाषा में आता है या नहीं.
डॉ राघवेंद्र नारायण शर्मा ने सभी जिलों के सिविल सर्जन को निर्देश दिया है कि हीट वेव से हुई मौत के संदेहास्पद मामले को वेरीफाई कर मुख्यालय को इसकी जानकारी दें. उन्होंने कहा कि पलामू में एक मृत व्यक्ति को अस्पताल लाने और बाद में उसे हीट वेव से मौत बताने के मामले में पलामू सिविल सर्जन को मेल कर शोकॉज किया जा रहा है.
अगर किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान 104 डिग्री फारनहाइट से ज्यादा हो और वो बेहोश हो गया और उसके बदन का तापमान बढ़ गया हो तो वो ही हीट वेव की श्रेणी में आएगा. -डॉ. राघवेंद्र नारायण शर्मा, स्टेट नोडल अधिकारी, नेशनल प्रोगाम फॉर क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ.
हीट वेव से हुई मौत के बाद पोस्टमार्टम जरूरी नहीं
नेशनल प्रोगाम फॉर क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ. आरएन शर्मा ने साफ किया कि हीट वेव से होने वाली मौत के बाद पोस्टमार्टम जरूरी नहीं है. एक योग्य चिकित्सक क्लीनिकल डायग्नोसिस और क्लीनिकल ऑटोप्सी से यह प्रमाणित कर सकता है कि मौत की वजह हीट वेव है या नहीं. भारत सरकार द्वारा एक पूरा परफॉर्मा तैयार किया गया है जिसे वर्बल ऑटोप्सी फार्म कहा जाता है, इसमें कई तथ्यों का जिक्र करना होता है.
सिविल सर्जनों को भेजे गए हैं एहतियाती कदम उठाने के निर्देश
डॉ. राघवेंद्र नारायण शर्मा ने कहा कि यह सही है कि राज्य में भीषण गर्मी पड़ रही है लेकिन मौत के आंकड़ों पर भ्रम फैलाने से बेहतर है कि सिविल सर्जन और पदाधिकारी हीट वेव के चलते स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभाव को दूर करने का उपाय करें. हर अस्पताल में हीट वेव के मरीजों के इलाज के लिए बेड सुरक्षित रखने, मरीजों को जहां रखना है वहां ठंडक हो इसकी व्यवस्था करने, पर्याप्त मात्रा में दवाई, ओआरएस, सलाइन की व्यवस्था सुनिश्चित करें.
हीट वेव से होने वाली मौत पर मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं
नेशनल प्रोगाम फॉर क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ. आरएन शर्मा ने साफ किया कि झारखंड में हीट वेव को प्राकृतिक आपदा तो माना गया है. इससे होने वाली मौतों के बाद आश्रितों को किसी भी तरह की सरकारी सहायता या मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है.
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