बांका : क्या कभी सुना है कि जानवरों का भी हार्ट फेल होता है? कुछ ऐसा ही मामला बांका जिले के आदिवासी क्षेत्र फुल्ली डूमर प्रखंड में देखने को मिला जब गोड़ा भीतिया पंचायत में चार दिन पहले एक चीतल की मौत की खबर मिली थी. चीतल को गांव वालों ने पकड़ा था. चीतल इस इलाके में कैसे आया इसकी भी जानकारी वन विभाग को नहीं थी. लेकिन वन अमले की टीम ने डॉक्टरों की एक टीम मौके पर भेजी लेकिन उस चीतल को नहीं बचाया जा सका.
चीतल का हार्ट फेल : डॉक्टर संजीत कुमार ने हैरानी जताते हुए कहा कि हाल के वर्षों में बांक के आसपास जंगलों में चीतल को नहीं देखा गया. ये चीतल यहां कैसे पहुंचा, इसकी भी जांच की जाएगी. फिलहाल ताजा जांच में पता चला है कि पकड़े गए चीतल की मौत हार्ट फेल होने की वजह से हुई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ये तथ्य सामने आया है.
नहीं बचा पाई डॉक्टरों की टीम : मौके पर जब स्थानीय लोगों की भीड़ चीतल को देखने के लिए जुटी तो भीड़ देखकर चीतल का हार्ट फेल और किडनी खराब हो गई जिसके कारण उसकी मौत हो गई. भीड़ को देखकर चीतल के हार्ट और किडनी ने काम करना बंद कर दिया था और उसकी मौत हो गई.
ग्रामीणों ने पकड़ा था चीतल : दरअसल, जब बांका के गोड़ा गांव के ग्रामीणों के वन्य जीव के पकड़े जाने की सूचना मिली तो सभी लोग उत्सुकतावश चीतल को देखने के लिए जुटने लगे. भीड़ को देखकर चीतल ने कूदना बंद कर दिया और जमीन पर बैठ गया. गांव वालों ने आसानी से उसे पकड़ लिया और फिर वन विभाग को सूचना दे दी.
पोस्टमार्टम में सामने आई मौत की वजह : मेडिकल टीम के साथ वन विभाग के अधिकारी वहां पहुंचे. चीतल को अपने कब्जे में लेकर भागलपुर आ गए. मेडिकल टीम ने काफी कोशिश कोशिश की लेकिन चीतल बच नहीं पाया. डॉक्टर ने बताया कि जब भी कोई डियर फैमिली का जानवर लोगों के संपर्क में आता है तो 'फ्रैक्टर मायोपैथी' (मांसपेशी से संबंधित रोग) के चलते रोग ग्रसित हो जाता है. इसी वजह से उसका हार्ट और किडनी काम करना बंद कर देता है.
''डियर फैमली का कोई भी वन्य जीव जब लोगों की भीड़ के बीच घिर जाता है या फिर लोगों के संपर्क में आ जाता है, तो वह वन्य जीव 'फ्रैक्चर मायोपैथी' नामक रोग से ग्रस्त हो जाता है. ऐसी स्थिति में उस वन्य प्राणी की किडनी और हार्ट काम करना बंद कर देता है. चीतल के साथ भी यही हुआ होगा.''- डॉ. संजीत कुमार, चिकित्सक
क्या होता है मायोपैथी रोग: मायोपैथी एक मांसपेशी विकार है. इस बीमारी में मांसपेशियां सूख जाती हैं और फैल जाती हैं. इसका तंत्र से कोई संबंध नहीं होता. इस बीमारी की वजह से अकड़न, मांसपेशियों में सूजन, मसल की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है और मौत तक हो जाती है. इस रोग को भी अनुवांशिक की श्रेणी में रखा जाता है. यह रोग विरासत में मिलता है.
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