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झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ पर केंद्रीय एजेंसियां करना चाहती हैं विचार विमर्श, शपथ पत्र के लिए हाईकोर्ट से मांगा समय - Bangladeshi infiltration

Bangladeshi infiltration in Santhal Pargana. बांग्लादेशी घुसपैठ से बदल रही डेमोग्राफी मामले में झारखंड हाईकोर्ट सुनवाई में हुई. इस दौरान केद्र सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट से समय देने की मांग की. अब अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी.

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झारखंड हाईकोर्ट (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 5, 2024, 11:28 AM IST

रांची: संथाल परगना के जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ से बदल रही डेमोग्राफी मामले में प्रार्थी दानियल दानिश की जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की अदालत में गुरुवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस की.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि जितनी एजेंसियां हैं, सभी के अधिकारी के साथ एक बैठक करनी होगी. बैठक में सभी के साथ विचार करने के बाद शपथ पत्र दायर किया जाएगा. इसलिए समय दिया जाए. दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 12 सितंबर को निर्धारित किया है. खास बात है कि इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग की तरफ से शपथ पत्र दायर कर दिया गया है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अभी सभी जिले से डाटा कलेक्ट नहीं किया गया है. इसके लिए समय दिया जाए.

संथाल के पांच जिलों के उपायुक्त ने अपने शपथ पत्र में स्पष्ट किया है कि वहां बांग्लादेशी घुसपैठ नहीं हुआ है. इस पर खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा है कि घुसपैठ का अगर एक भी ऐसा मामला सामने आएगा तो संबंधित उपायुक्त के खिलाफ कंटेंप्ट इनीशिएट किया जाएगा. यह जानकारी कोर्ट रूम में मौजूद याचिकाकर्ता दानियल दानिश ने दी है.

हाईकोर्ट ने इस मामले में बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल, यूआईडीएआई के डायरेक्टर जनरल, मुख्य सूचना आयुक्त, आईबी के डायरेक्टर जनरल और एनआईए के डायरेक्टर को भी प्रतिवादी बनाते हुए अलग-अलग शपथ पत्र देने को कहा था. पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि झारखंड में आदिवासियों की जनसंख्या कम होती जा रही है. फिर भी केंद्रीय संस्थानों की ओर से इतने संवेदनशील मसले पर जवाब दाखिल नहीं किया जा रहा है.

हाईकोर्ट में कब-कब हुई सुनवाई

  1. बांग्लादेशी घुसपैठ मामले में पिछली सुनवाई 22 अगस्त को हुई थी. इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि संवेदनशील मामले पर भी केंद्रीय संस्थानों की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया जा रहा है. इसके लिए केंद्रीय संस्थानों ने शपथ पत्र दाखिल करने के लिए फिर से समय मांगा. जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 5 सितंबर तय की थी.
  2. उससे पहले 8 अगस्त को मामले में सुनवाई हुई थी. इस दौरान झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि घुसपैठियों और अवैध प्रवासियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए स्पेशल ब्रांच की मदद लें और कार्रवाई करें.
  3. 8 अगस्त से पहले मामले में 18 जुलाई को सुनवाई हुई थी. इस दौरान कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि उपायुक्तों के स्तर पर शपथ दायर करने के बजाय अधीनस्थ पदाधिकारियों द्वारा शपथ पत्र क्यों दायर किया गया. जिसके बाद कोर्ट ने सभी शपथ पत्र को खारिज कर दिया था.
  4. 18 जुलाई की सुनवाई से पहले बांग्लादेशी घुसपैठ मामले में झारखंड हाईकोर्ट में 3 जुलाई को सुनवाई हुई थी. इस दौरान कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से शपथ पत्र दायर करने को कहा था. साथ ही मामले में केंद्र और राज्य सरकार क्या हल निकाल सकते हैं, इस पर भी सवाल पूछा गया था.

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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि जितनी एजेंसियां हैं, सभी के अधिकारी के साथ एक बैठक करनी होगी. बैठक में सभी के साथ विचार करने के बाद शपथ पत्र दायर किया जाएगा. इसलिए समय दिया जाए. दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 12 सितंबर को निर्धारित किया है. खास बात है कि इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग की तरफ से शपथ पत्र दायर कर दिया गया है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अभी सभी जिले से डाटा कलेक्ट नहीं किया गया है. इसके लिए समय दिया जाए.

संथाल के पांच जिलों के उपायुक्त ने अपने शपथ पत्र में स्पष्ट किया है कि वहां बांग्लादेशी घुसपैठ नहीं हुआ है. इस पर खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा है कि घुसपैठ का अगर एक भी ऐसा मामला सामने आएगा तो संबंधित उपायुक्त के खिलाफ कंटेंप्ट इनीशिएट किया जाएगा. यह जानकारी कोर्ट रूम में मौजूद याचिकाकर्ता दानियल दानिश ने दी है.

हाईकोर्ट ने इस मामले में बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल, यूआईडीएआई के डायरेक्टर जनरल, मुख्य सूचना आयुक्त, आईबी के डायरेक्टर जनरल और एनआईए के डायरेक्टर को भी प्रतिवादी बनाते हुए अलग-अलग शपथ पत्र देने को कहा था. पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि झारखंड में आदिवासियों की जनसंख्या कम होती जा रही है. फिर भी केंद्रीय संस्थानों की ओर से इतने संवेदनशील मसले पर जवाब दाखिल नहीं किया जा रहा है.

हाईकोर्ट में कब-कब हुई सुनवाई

  1. बांग्लादेशी घुसपैठ मामले में पिछली सुनवाई 22 अगस्त को हुई थी. इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि संवेदनशील मामले पर भी केंद्रीय संस्थानों की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया जा रहा है. इसके लिए केंद्रीय संस्थानों ने शपथ पत्र दाखिल करने के लिए फिर से समय मांगा. जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 5 सितंबर तय की थी.
  2. उससे पहले 8 अगस्त को मामले में सुनवाई हुई थी. इस दौरान झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि घुसपैठियों और अवैध प्रवासियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए स्पेशल ब्रांच की मदद लें और कार्रवाई करें.
  3. 8 अगस्त से पहले मामले में 18 जुलाई को सुनवाई हुई थी. इस दौरान कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि उपायुक्तों के स्तर पर शपथ दायर करने के बजाय अधीनस्थ पदाधिकारियों द्वारा शपथ पत्र क्यों दायर किया गया. जिसके बाद कोर्ट ने सभी शपथ पत्र को खारिज कर दिया था.
  4. 18 जुलाई की सुनवाई से पहले बांग्लादेशी घुसपैठ मामले में झारखंड हाईकोर्ट में 3 जुलाई को सुनवाई हुई थी. इस दौरान कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से शपथ पत्र दायर करने को कहा था. साथ ही मामले में केंद्र और राज्य सरकार क्या हल निकाल सकते हैं, इस पर भी सवाल पूछा गया था.

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