ग्वालियर। हिंदुस्तान की आन बान शान तिरंगा जब लहराता है तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. उत्तर भारत में ग्वालियर एकमात्र जगह है जहां राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण होता है.यहां तैयार होने वाले राष्ट्रीय ध्वज देश के कोने कोने तक जाते हैं और संसद, लाल किला, दूतावास जैसी इमारतों पर लहराते हैं. सबसे खास बात यह है कि देश की ऐसी पहली संस्था भी है जहां 90 फीसदी महिलाएं राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करती हैं.
मध्य भारत खादी संघ तैयार करता है तिरंगा
ग्वालियर में हमारे राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करने वाली संस्था मध्य भारत खादी संघ है. यह उत्तर भारत की पहली संस्था है जहां पिछले कई सालों से राष्ट्रीय ध्वज तैयार किए जा रहे हैं. स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस (Republic Day 2024) के लिए संस्था में तैयार हो रहे राष्ट्रीय ध्वज देश के अलग-अलग कोनों में पहुंचते हैं. देश के हर राज्य में ग्वालियर की मध्य भारत खादी संघ में तैयार होने वाला राष्ट्रीय ध्वज पहुंचता है और यहां के बने तिरंगे सरकारी, गैर सरकारी इमारतों पर शान से लहराए जाते हैं.
तैयार होने से पहले होती हैं 20 टेस्टिंग
पूरे देश भर में हमारे राष्ट्रीय ध्वज तीन जगह तैयार होते हैं जिसमें कर्नाटक के हुबली, दूसरी जगह मुंबई और ग्वालियर में तैयार होते हैं. मध्य भारत खादी संघ की राष्ट्रीय ध्वज निर्माता इकाई की मैनेजर नीलू बताती हैं कि यहां पर अलग-अलग साइज के राष्ट्रीय ध्वज तैयार किए जाते हैं. विशेषकर यहां 2 वाई 3, 3 वाई 4.50 और 4 वाई 6 के राष्ट्रीय ध्वज तैयार होते हैं. हमारे राष्ट्रीय ध्वज को तैयार करने के लिए लगभग 20 टेस्टिंग से होकर गुजरना पड़ता है और तय मानकों का विशेष ख्याल रखा जाता है. जिसमें कपड़े की क्वालिटी, चक्र का साइज, रंग जैसे मानक शामिल हैं. किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगता है.जांच के बाद ही हमारा राष्ट्रीय ध्वज पूरी तरह तैयार होकर बाहर निकलता है.
90 फीसदी हैं महिला कर्मचारी
सबसे खास बात यह है कि देश की यह इकलौती ऐसी संस्था है जहां पर 90 फीसदी महिला कर्मचारी राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर रही हैं. यहां पर कपड़ा काटने से लेकर उनको तैयार और उनकी टेस्टिंग महिलाएं ही करती हैं. वह कई सालों से बखूबी तरीके से यह काम कर रही हैं. उनका कहना है कि काम के साथ-साथ राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करना हम सबके लिए एक गर्व की बात है. हमें इसे बनाने में काफी गर्व महसूस होता है. देश के कोने-कोने में जब तिरंगा फहराया जाता है ,इस दौरान हम महसूस करते हैं कि यह शायद हमारे हाथों से बना ही तिरंगा है.
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16 राज्यों में जाता है राष्ट्रीय ध्वज
मध्य भारत खादी संघ के मंत्री रमाकांत शर्मा बताते हैं कि केंद्र की स्थापना सन 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी. साल 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला. इस संस्था से मध्य भारत की कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां भी जुड़ी हैं.इसके बाद सन 2016 में इस संस्था को प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करने की मान्यता प्राप्त हुई. उनका मानना है कि किसी भी खादी संघ के लिए तिरंगे को तैयार करना बड़ी मुश्किल का काम होता है.उन्होंने बताया है कि इस बार मध्य भारत खादी संघ लगभग सवा करोड़ रुपए के 23000 राष्ट्रीय ध्वज बिक्री कर चुका है. ग्वालियर से बना राष्ट्रीय ध्वज देश के 16 राज्यों में जाता है जिसमें मध्य प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक, जम्मू कश्मीर जैसे कई राज्य हैं.