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84 बरस के निर्भय हेमर थ्रो में सबको दे रहे मात, मिल्खा और पान सिंह के साथ लगाई थी रेस

मिल्खा सिंह और पान सिंह तोमर के साथ रेस कर चुके ग्वालियर के डॉ डीएस निर्भय 84 साल की उम्र में डिस्कस थ्रो और हैमर थ्रो में सिल्वर मेडल जीत चुके हैं. अब नेशनल चैम्पियनशिप में गोल्ड की तैयारी कर रहे हैं.

GWALIOR EX ARMY MEN DR DS NIRBHAY
84 बरस के निर्भय हेमर थ्रो में सबको दे रहे मात (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 9 hours ago

ग्वालियर: आज 40 बरस की उम्र में लोग कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. भाग दौड़ भरी जिंदगी में व्यस्त हैं, तो उनके लिए ग्वालियर के डॉक्टर निर्भय मिसाल बन रहे हैं, जो 84 साल की उम्र में भी नए युवाओं को मात दे रहे हैं. डॉ डीएस निर्भय इस उम्र में भी डिस्कस थ्रो और हैमर थ्रो खेलते हैं. वह हर दिन 6 घंटे मैदान में पसीना बहाते हैं. खुद को फिट रखने के लिए घर में ही जिम करते हैं. उम्र के इस पड़ाव में आकर भी उन्होंने महाराष्ट्र में आयोजित हुए खेल महाकुंभ में हैमर थ्रो और डिस्कस थ्रो खेल में दो सिल्वर मेडल भी जीते हैं. अब तीसरे की तैयारी कर रहे हैं.

कहते हैं लोग उम्र से नहीं सोच से बूढ़े होते हैं. इसकी मिसाइल है, जहां बुजुर्गों ने अच्छे-अच्छे युवाओं को पछाड़ दिया है. ऐसी ही एक मिसाल ग्वालियर में भी देखने को मिलती है. जहां अपनी आधी उम्र गुजार चुके सेवा से रिटायर्ड डॉक्टर डीएस निर्भय के अंदर फिटनेस और स्पोर्ट्स का गजब का जज्बा दिखाई देता है.

महाराष्ट्र में जीते दो सिल्वर मेडल

मूल रूप से डॉ निर्भय मध्य प्रदेश इटारसी के रहने वाले हैं. जो 1969 में ग्वालियर आकर बसे 1999 में सेवा से रिटायर्ड हुए और इसके बाद उन्होंने ग्वालियर की फिजिकल यूनिवर्सिटी एलएनआईपीई में बतौर सीनियर कोच 20 सालों तक बेहतरीन खिलाड़ी तैयार किए. इस दौरान उन्होंने फिटनेस पर पूरा ध्यान दिया और हाल ही में महाराष्ट्र के नासिक में आयोजित हुई तीसरी नेशनल वेटरन भारत और गेम्स चैंपियनशिप में एक नहीं बल्कि दो खेलों में सिल्वर मेडल हासिल किया. उन्होंने हैमर थ्रो स्पर्धा में 80 प्लस कैटेगरी में 20.90 मी और डिस्कस थ्रो में 13.65 मी डिस्कस फेक कर दूसरा स्थान प्राप्त किया. इन दोनों ही कंपटीशन में सैकड़ों प्रतिभागी शामिल हुए थे, लेकिन उन्हें पछाड़ते हुए 84 साल के डॉ निर्भय सिल्वर मेडल हासिल करने में सफल रहे.

Gwalior 84 Years old Dr DS Nirbhay
जीत का सर्टिफिकेट दिखाते डॉ. निर्भय (ETV Bharat)

खुद को फिट रखने घर में बनाई जिम

डॉ निर्भय से बातचीत में उन्होंने ईटीवी भारत संवाददाता पीयूष श्रीवास्तव को बताया कि "सेवा में रहने से वे फिटनेस और अनुशासन दोनों को लेकर ही सजग रहे हैं. उन्होंने सेवा से निकलने के बाद भी फिजिकल यूनिवर्सिटी में 20 वर्षों तक सीनियर कोच की भूमिका में सेवा दी. इसलिए शुरू से ही उन्हें खुद को फिट रखना पसंद है. इसलिए उन्होंने घर में ही जिम तैयार की है. वह नियमित रूप से फिट रहने के लिए घर में एक्सरसाइज करते हैं."

Gwalior 84 year old Nirbhay Fitness
दिन में 6 घंटे एक्सरसाइज करते हैं डॉक्टर निर्भय (ETV Bharat)

हर रोज 6 घंटे मैदान में बहाते हैं पसीना

डॉ निर्भय ने बताया कि "वे हर रोज सुबह 3:00 बजे जागते हैं और 4:30 बजे मैदान में पहुंच जाते हैं. करीब 3 घंटे तक प्रैक्टिस करते हैं. इसके बाद अपने घर आ जाते हैं. शाम को भी उनका यही रूटीन है. शाम 4:00 बजे मैदान में पहुंचते हैं और करीब 7:00 बजे तक प्रैक्टिस करते हैं. इस तरह वे प्रतिदिन 6 घंटे मैदान में अपना पसीना बहाते हैं. अपनी इसी मेहनत से डॉ निर्भय 100 से अधिक मेडल और ट्राफियां अपने नाम कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही महाराष्ट्र के पुणे में नेशनल चैंपियनशिप भी आयोजित होने वाली है. वह उसके लिए अपने आप को तैयार कर रहे हैं. जिससे कि राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में तीसरा मेडल अपने नाम कर सके."

DS Nirbhay Won Silver Medal in Discus Throw
घर में एक्सरसाइज करते डॉ डीएस (ETV Bharat)

मिल्खा सिंह और पानसिंह तोमर के साथ लगाई थी रेस

डॉ डीएस निर्भय ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान यह भी बताया कि आर्मी में रहने के दौरान भी वे स्पोर्ट्स को लेकर काफी एक्टिव थे. उन्होंने बताया कि वे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मिल्खा सिंह और चंबल के पान सिंह तोमर के साथ भी 400 मीटर दौड़ में हिस्सा ले चुके हैं. हालांकि उनका कहना था कि उस दौरान, उनकी उम्र महज 18-19 साल थी और मिल्खा सिंह और पान सिंह तोमर दोनों ही दौड़ में सुप्रसिद्ध थे."

बुजुर्गों के लिए मिसाल बन डॉ निर्भय

बहरहाल डॉक्टर डी एस निर्भय इन दिनों अपने परिवार के पास इटारसी में समय बिता रहे हैं. वहीं रहकर प्रतिदिन प्रैक्टिस कर रहे हैं, क्योंकि वह चाहते हैं की आने वाली नेशनल चैंपियनशिप में वे डिस्कस थ्रो और हैमर थ्रो में गोल्ड मेडल ला सके, इसके लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं. आज 80 की उम्र में भी ज्यादातर बुजुर्ग खुद को बूढ़ा मानकर घर में बैठ जाते हैं और बिस्तर पकड़ लेते हैं. उन बुजुर्गों के लिए डॉक्टर निर्भय प्रेरणा से काम नहीं है. जो 84 साल की उम्र में भी अपनी मेहनत लगन और फिटनेस से युवाओं को चने चबा रहे हैं.

ग्वालियर: आज 40 बरस की उम्र में लोग कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. भाग दौड़ भरी जिंदगी में व्यस्त हैं, तो उनके लिए ग्वालियर के डॉक्टर निर्भय मिसाल बन रहे हैं, जो 84 साल की उम्र में भी नए युवाओं को मात दे रहे हैं. डॉ डीएस निर्भय इस उम्र में भी डिस्कस थ्रो और हैमर थ्रो खेलते हैं. वह हर दिन 6 घंटे मैदान में पसीना बहाते हैं. खुद को फिट रखने के लिए घर में ही जिम करते हैं. उम्र के इस पड़ाव में आकर भी उन्होंने महाराष्ट्र में आयोजित हुए खेल महाकुंभ में हैमर थ्रो और डिस्कस थ्रो खेल में दो सिल्वर मेडल भी जीते हैं. अब तीसरे की तैयारी कर रहे हैं.

कहते हैं लोग उम्र से नहीं सोच से बूढ़े होते हैं. इसकी मिसाइल है, जहां बुजुर्गों ने अच्छे-अच्छे युवाओं को पछाड़ दिया है. ऐसी ही एक मिसाल ग्वालियर में भी देखने को मिलती है. जहां अपनी आधी उम्र गुजार चुके सेवा से रिटायर्ड डॉक्टर डीएस निर्भय के अंदर फिटनेस और स्पोर्ट्स का गजब का जज्बा दिखाई देता है.

महाराष्ट्र में जीते दो सिल्वर मेडल

मूल रूप से डॉ निर्भय मध्य प्रदेश इटारसी के रहने वाले हैं. जो 1969 में ग्वालियर आकर बसे 1999 में सेवा से रिटायर्ड हुए और इसके बाद उन्होंने ग्वालियर की फिजिकल यूनिवर्सिटी एलएनआईपीई में बतौर सीनियर कोच 20 सालों तक बेहतरीन खिलाड़ी तैयार किए. इस दौरान उन्होंने फिटनेस पर पूरा ध्यान दिया और हाल ही में महाराष्ट्र के नासिक में आयोजित हुई तीसरी नेशनल वेटरन भारत और गेम्स चैंपियनशिप में एक नहीं बल्कि दो खेलों में सिल्वर मेडल हासिल किया. उन्होंने हैमर थ्रो स्पर्धा में 80 प्लस कैटेगरी में 20.90 मी और डिस्कस थ्रो में 13.65 मी डिस्कस फेक कर दूसरा स्थान प्राप्त किया. इन दोनों ही कंपटीशन में सैकड़ों प्रतिभागी शामिल हुए थे, लेकिन उन्हें पछाड़ते हुए 84 साल के डॉ निर्भय सिल्वर मेडल हासिल करने में सफल रहे.

Gwalior 84 Years old Dr DS Nirbhay
जीत का सर्टिफिकेट दिखाते डॉ. निर्भय (ETV Bharat)

खुद को फिट रखने घर में बनाई जिम

डॉ निर्भय से बातचीत में उन्होंने ईटीवी भारत संवाददाता पीयूष श्रीवास्तव को बताया कि "सेवा में रहने से वे फिटनेस और अनुशासन दोनों को लेकर ही सजग रहे हैं. उन्होंने सेवा से निकलने के बाद भी फिजिकल यूनिवर्सिटी में 20 वर्षों तक सीनियर कोच की भूमिका में सेवा दी. इसलिए शुरू से ही उन्हें खुद को फिट रखना पसंद है. इसलिए उन्होंने घर में ही जिम तैयार की है. वह नियमित रूप से फिट रहने के लिए घर में एक्सरसाइज करते हैं."

Gwalior 84 year old Nirbhay Fitness
दिन में 6 घंटे एक्सरसाइज करते हैं डॉक्टर निर्भय (ETV Bharat)

हर रोज 6 घंटे मैदान में बहाते हैं पसीना

डॉ निर्भय ने बताया कि "वे हर रोज सुबह 3:00 बजे जागते हैं और 4:30 बजे मैदान में पहुंच जाते हैं. करीब 3 घंटे तक प्रैक्टिस करते हैं. इसके बाद अपने घर आ जाते हैं. शाम को भी उनका यही रूटीन है. शाम 4:00 बजे मैदान में पहुंचते हैं और करीब 7:00 बजे तक प्रैक्टिस करते हैं. इस तरह वे प्रतिदिन 6 घंटे मैदान में अपना पसीना बहाते हैं. अपनी इसी मेहनत से डॉ निर्भय 100 से अधिक मेडल और ट्राफियां अपने नाम कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही महाराष्ट्र के पुणे में नेशनल चैंपियनशिप भी आयोजित होने वाली है. वह उसके लिए अपने आप को तैयार कर रहे हैं. जिससे कि राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में तीसरा मेडल अपने नाम कर सके."

DS Nirbhay Won Silver Medal in Discus Throw
घर में एक्सरसाइज करते डॉ डीएस (ETV Bharat)

मिल्खा सिंह और पानसिंह तोमर के साथ लगाई थी रेस

डॉ डीएस निर्भय ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान यह भी बताया कि आर्मी में रहने के दौरान भी वे स्पोर्ट्स को लेकर काफी एक्टिव थे. उन्होंने बताया कि वे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मिल्खा सिंह और चंबल के पान सिंह तोमर के साथ भी 400 मीटर दौड़ में हिस्सा ले चुके हैं. हालांकि उनका कहना था कि उस दौरान, उनकी उम्र महज 18-19 साल थी और मिल्खा सिंह और पान सिंह तोमर दोनों ही दौड़ में सुप्रसिद्ध थे."

बुजुर्गों के लिए मिसाल बन डॉ निर्भय

बहरहाल डॉक्टर डी एस निर्भय इन दिनों अपने परिवार के पास इटारसी में समय बिता रहे हैं. वहीं रहकर प्रतिदिन प्रैक्टिस कर रहे हैं, क्योंकि वह चाहते हैं की आने वाली नेशनल चैंपियनशिप में वे डिस्कस थ्रो और हैमर थ्रो में गोल्ड मेडल ला सके, इसके लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं. आज 80 की उम्र में भी ज्यादातर बुजुर्ग खुद को बूढ़ा मानकर घर में बैठ जाते हैं और बिस्तर पकड़ लेते हैं. उन बुजुर्गों के लिए डॉक्टर निर्भय प्रेरणा से काम नहीं है. जो 84 साल की उम्र में भी अपनी मेहनत लगन और फिटनेस से युवाओं को चने चबा रहे हैं.

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