रांची: भारत में विश्वकर्मा पूजा के दौरान शस्त्रों की पूजा की जाती है, लेकिन गोरखा बटालियन हर साल दुर्गा पूजा के दौरान मां शक्ति की पूजा करते हुए शस्त्रों की पूजा करती है. महानवमी के अवसर पर रांची में गोरखा बटालियन के जवानों ने अपने शस्त्रों की पूजा की और मां के चरणों में बलि अर्पण की.
जवानों ने की हथियारों की पूजा
झारखंड में अगर किसी व्यक्ति से पूछा जाए कि उसे अपनी सुरक्षा के लिए बॉडीगार्ड किस बटालियन से चाहिए, तो वह एक स्वर में बोलेंगे गोरखा बटालियन. क्योंकि न तो गोरखा बटालियन के जवान धोखा देते हैं और न ही उनके हथियार. गोरखा बटालियन के हथियार किसी भी अवसर पर विश्वासघात नहीं करते और यह सब इसलिए होता है क्योंकि उन पर मां शक्ति का आशीर्वाद होता है. यही कारण है कि 1880 से गोरखा बटालियन हर साल दुर्गा पूजा के दौरान महानवमी के अवसर पर अपने हथियारों की पूजा करती है. भुजाली से लेकर एके-47 तक, हर चीज की पूजा मां शक्ति के समक्ष की जाती है.
जैप के जवान करते हैं पूजा
झारखंड की राजधानी रांची में झारखंड आर्म्ड फोर्स के जवानों की दुर्गा पूजा अपने आप में अनूठी होती है. शक्ति के उपासक गोरखा समुदाय दुश्मनों से लोहा लेने के लिए नवमी के अवसर पर मां दुर्गा की विशेष पूजा करते हैं. इस दौरान मां को प्रसन्न करने के लिए फायरिंग के साथ सलामी दी जाती है और मां के चरणों में 101 बलि दी जाती है. महानवमी के दिन गोरखा समुदाय द्वारा हथियारों की सबसे खास पूजा की जाती है. महानवमी के दिन शक्ति की प्रतीक मां दुर्गा के चरणों में एके-47 से लेकर तमाम वे हथियार जो गोरखा जवान प्रयोग में लाते हैं, उनकी पूजा की जाती है.
हथियार कभी नहीं देते धोखा
गोरखा बटालियन में शस्त्रों की पूजा और बलि का विशेष महत्व है. महानवमी के दिन गोरखा सैनिक मां दुर्गा के चरणों में अपने हथियार रखकर पूजा करते हैं. वे मां के चरणों में बलि चढ़ाते हैं, गोरखा सैनिकों में शस्त्र पूजन की परंपरा इस बटालियन के गठन के समय से चली आ रही है. जवानों ने बताया कि दुश्मन से लड़ाई के दौरान उनके हथियार उन्हें धोखा न दें और सटीक तरीके से काम करें, इसलिए वे हर नवमी को मां दुर्गा के सामने अपने शस्त्रों की पूजा बड़ी श्रद्धा से करते हैं.
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