धनबाद: 20 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार वो घड़ी आ ही गई जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार था. 31 दिसंबर 2002 को फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया सिंदरी खाद कारखाना बंद कर दिया गया था. इसके बाद यहां निराशा छा गई, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने फिर 5 मई 2018 को बलियापुर हवाई पट्टी से हिंदुस्तान फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स लिमिटेड यानी हर्ल का शिलान्यास किया. शिलान्यास के बाद लोगों की निराशा दूर हुई. अब ये निराशा पूरी तरह से खुशी में बदलने वाली है, क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी एक मार्च को इसका उद्घाटन करने वाले हैं.
9000 करोड़ रुपये की लागत से हुआ फैक्ट्री का निर्माण
सिंदरी हर्ल फैक्ट्री से वर्ष 2021 से उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य था, लेकिन कोरोना के कारण दिक्कतें आईं. इसके बाद शुरुआत की तारीख 17 नवंबर 2021, मार्च 2022 और फिर अप्रैल 2022 तय की गई. लेकिन इस तारीख पर भी उत्पादन शुरू नहीं हो सका. इंतजार के बाद ही सही लेकिन अप्रैल 2023 से यूरिया का उत्पादन शुरू हुआ. इस साल 10 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन हुआ है और आने वाले साल में 12 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया है. फैक्ट्री का निर्माण 9000 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है. करीब 4 साल में काम पूरा हुआ और अब यूरिया का उत्पादन हो रहा है.
ऐसे बनता है यूरिया
हर्ल के निदेशक एसपी मोहंती के मुताबिक, यूरिया बनाने के लिए प्राकृतिक गैस तैयार की जाती है. इसके लिए भाप के माध्यम से अमोनिया को तैयार किया जाता है. जिसके बाद वायुमंडल से अमोनिया के साथ नाइट्रोजन को लिया जाता है. इसके बाद अमोनिया और नाइट्रोजन मिलकर यूरिया तैयार करते हैं. यूरिया तैयार होने के बाद इसे बेहतर तरीके से पैक किया जाता है और पैकेजिंग के बाद इसे झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में भेजा जाता है. फिलहाल कंपनी में तीन प्लांट चल रहे हैं. इन तीनों में कर्मचारियों द्वारा लगातार यूरिया तैयार किया जाता है.
पीएम मोदी के आने से कर्मचारी बेहद खुश
यूरिया को बोरियों में पैक कर रहे कर्मचारी अनिमेष बावरी ने बताया कि वह पिछले 1 साल से यहां काम कर रहे हैं. उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि इस फैक्ट्री का उद्घाटन पीएम मोदी करेंगे. इस बात की भी खुशी है कि पीएम मोदी उनसे बात करेंगे. उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं पीएम से मिलूंगा.
कर्मचारी एसके आफताब ने कहा कि बहुत अच्छा लग रहा है कि पीएम मोदी फैक्ट्री के अंदर पहुंचेंगे और उनके द्वारा किये जा रहे काम का जायजा लेंगे. यह पहली बार उनका पीएम मोदी से मिलने का मौका है.
फैक्ट्री के सुपरवाइजर जगदीश ने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि पीएम मोदी हमारी फैक्ट्री के अंदर आएंगे. हम उनके आगमन को लेकर काफी उत्साहित हैं.
सिंदरी में स्थापित किया गया था देश का पहला उर्वरक कारखाना
आपको बता दें कि भारत का पहला उर्वरक उत्पादन कारखाना सिंदरी में स्थापित किया गया था. लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया. तभी से इसे दोबारा शुरू करने की मांग हो रही थी. फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एफसीआईएल) को सिंदरी की पहली सार्वजनिक कंपनी बनने का श्रेय प्राप्त है. इसकी स्थापना 1951 में हुई थी. 31 अक्टूबर 1951 को अमोनिया और यूरिया के उत्पादन के लिए सिंदरी फर्टिलाइजर फैक्ट्री के नाम से इसकी शुरुआत की गई थी. स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सिंदरी में उर्वरक संयंत्र शुरू करके देश में हरित क्रांति की नींव रखी. यह खाद्य उत्पादन बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम था. आपको बता दें कि इससे पहले ब्रिटिश राज के दौरान साल 1934 में बंगाल में भीषण अकाल पड़ा था, जिसके बाद खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने की योजना शुरू की गई थी लेकिन यह 2 मार्च 1951 को शुरू हो सकी.
सिंदरी में ही क्यों की गई थी खाद कारखाना की स्थापना
सिंदरी में ही खाद कारखाना स्थापित करने के पीछे भी एक वजह थी. खाद बनाने के लिए कोयला एवं पानी की उपलब्धता आवश्यक थी. सिंदरी में दामोदर नदी का पानी था और निकटवर्ती क्षेत्र झरिया में कोयले का भंडार था. इसी को ध्यान में रखते हुए सिंदरी में फर्टिलाइजर प्लांट बनाने का निर्णय लिया गया. यह फैसला साल 1940 में लिया गया था, लेकिन तभी देश में आजादी की लड़ाई तेज हो गई और इस दौरान खाद कारखाना बनाने की योजना धीमी पड़ गई. आखिरकार आजाद भारत में इस फैक्टरी का उद्घाटन पंडित नेहरू ने किया था.
2002 में कारखाना कर दिया गया बंद
इसके उद्घाटन के समय कहा कहा गया था कि देश में ऐसे कई पलाश खिलेंगे. हालांकि, इसके बावजूद ऐसा नहीं हो सका. सिंदरी खाद कारखाना 31 दिसंबर 2002 को बंद कर दिया गया. तब प्लांट में काम करने वाले कर्मचारियों को वीएसएस के तहत सेवानिवृत्त कर दिया गया था, जिनकी संख्या 2000 से अधिक थी. इसके लिए कारण बताया गया था कि प्लांट ज्यादा मुनाफा नहीं कमा रहा है. हालांकि, इससे कई लोगों की जिंदगी पर असर पड़ा. तभी से लोगों की मांग थी कि इस फैक्ट्री को दोबारा शुरू किया जाए. फिर 2017 में पीएम मोदी के नेतृत्व में इसकी रूपरेखा तैयार की गई और 2018 में इसका शिलान्यास किया गया. जिसके बाद 1 मार्च को इसका उद्घाटन होने जा रहा है.
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