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'मैं बक्सर को कभी छोड़ नहीं सकता', टिकट कटने के बाद भी अश्विनी चौबे बोले- 'अंतिम सांस तक BJP में रहेंगे' - lok sabha election 2024

Ashwini Choubey केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे का बक्सर लोकसभा सीट से टिकट काट दिया गया है. ऐसे में चर्चा थी कि वो पार्टी से नाराज चल रहे हैं. ईटीवी भारत से खास बात चीत में अश्वनी चौबे ने कहा कि मैं कभी बेटिकट नही हो सकता हूं. भाजपा के बारे में कहा कि अंतिम सांस तक वहीं रहेंगे. मेरा गेरुआ रंग उस पर दूसरा रंग कोई नहीं चढ़ सकता. इस रंग में लिपट करके मैं अंतिम सांस लूंगा. यही प्रभु से प्रार्थना है. पढ़ें, विस्तार से.

अश्विनी चौबे, केंद्रीय राज्य मंत्री
अश्विनी चौबे, केंद्रीय राज्य मंत्री.
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 12, 2024, 4:53 PM IST

Updated : Apr 12, 2024, 10:49 PM IST

अश्विनी चौबे, केंद्रीय राज्य मंत्री.

पटनाः 'बक्सर को मैं कभी नहीं छोड़ सकता हूं. बक्सर मेरे रग रग में है'.... ये कहना है केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे का. बक्सर लोकसभा सीट से टिकट कटने के बाद अश्विनी चौबे इनदिनों जेपी के आंदोलन को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं. टिकट कटने के बाद जब वो पटना आए थे तो सीधे जेपी के आवास पर गए थे. वहां समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया था. अब अश्विनी चौबे जेपी के विचारधारा को आगे बढ़ाने की बात कह रहे हैं. अश्वनी चौबे ने आगे की रणनीति का खुलासा नहीं किया. उनका नाम भाजपा के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में है अब देखना है कि वो चुनाव प्रचार में जाते हैं कि नहीं. पेश है अश्वनी चौबे से खास बातचीत.

सवाल - चूक कहां हो गई जेपी के छात्र से

अश्विनी चौबे- मुझसे कभी कोई चूक नहीं हुआ है. मैं तो जेपी आंदोलन का एक सेनानी हूं. जेपी के उस आंदोलन का जो 8 अप्रैल 1974 को हुआ था. मैं जब पटना आया 8 अप्रैल को तो, मैं उस जगह पर गया, वहां मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है. लेकिन, मैं वहां देखा जेपी को आज एक भी माला नहीं पहनाई गई थी. आखिर क्या कारण है. मैं दिल्ली से सीधे पटना एयरपोर्ट से वहां गया था. हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे. इसलिए मुझे लग रहा है कि जेपी आज भी प्रासंगिक हैं. मुझे याद है सत्ता में आज भी बहुत सारे लोग बैठे हैं, जो सत्ता से बाहर भी हैं, ऐसे सभी लोगों ने जेपी के यहां शपथ लिया था. जातिवाद मिटाएंगे, नया बिहार बनाएंगे, भ्रष्टाचार मिटाएंगे, नया समाज बनाएंगे.

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सवाल- अब तो राजनीति का वही आधार हो गया है, जातिवाद, भ्रष्टाचार, अब यह सब तो आधार हो गया है.

अश्विनी चौबे- मैं व्यक्तिगत रूप से उसे खारिज करता हूं. आपको आश्चर्य होगा मैं इस जेपी आंदोलन से निकल कर आया था. छात्रसंघ का चुनाव पटना विश्वविद्यालय का, जो पार्लियामेंट चुनाव से कम नहीं होता था और चुनाव में विद्यार्थी परिषद की तरफ से मैं छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा. हम पूरी टीम को जिताकर लाए थे. मेरी जाति क्या थी ब्राह्मण जाति थी. और उस तरफ सारे के सारे लोग यहां तक की कर्पूरी ठाकुर जी को भी जबरदस्ती कुछ नेताओं ने बाध्य किया कि चलिए और अश्वनी चौबे के खिलाफ बोलिए. लेकिन, कर्पूरी जी नहीं आए. उन्होंने कहा कि उस व्यक्ति के बारे में क्या बोलूंगा. 1974 में मैं जीवन और मौत के साथ पीएमसीएच में 6 महीना संघर्ष करता रहा. कर्पूरी ठाकुर उस समय वांटेड थे. लेकिन, कई बार मुझे वह देखने चोरी छुपे आते थे और मुझे आशीर्वाद दे जाते थे. आज प्रधानमंत्री ने उन्हें भारत रत्न देकर नवाजा है.

सवाल- अश्विनी चौबे मूल्यों के आधार पर राजनीति की. विधायक बने, एमपी बने, मंत्री बने, इस बार आपको टिकट नहीं दिया गया. आगे क्या करेंगे.

अश्विनी चौबे- मैं तो यही कह रहा हूं यह विधाता की देन है. विधाता ने सोचा होगा. प्रभु ने कुछ सोचा होगा. मुझे क्या मालूम मैं तो केदारनाथ में विलीन हो गया था. तीन-तीन पीढ़ी मेरी साथ जा रही थी. कितने लोग हमारे सामने चले गए. 7 दिन तक भूखे प्यासे रहे केदारनाथ में. भगवान ने मेरी रक्षा की थी. वहां से लाने के लिए उस समय के गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने मेरी चिंता की थी. राजनाथ सिंह जी जो राष्ट्रीय अध्यक्ष थे स्वयं देहरादून जाकर के मुझे वहां से दिल्ली अस्पताल में ले जाकर भर्ती कराया था. मैं उस दिन को भी देखा हूं. मैंने सोचा नहीं था कि मुझे एमपी और मिनिस्टर बनना है. हम लोग तो अंतिम आठ लोग परिवार में थे, हाथ पकड़े हुए थे, 20 लोग गए थे, आधे से ज्यादा चले गए थे. मात्र 8 लोग हम लोग बचे थे. मेरी तीन-तीन पीढ़ी साथ में थी. आप कल्पना नहीं कर सकते मेरे आंखों के सामने वह दृश्य आता है तो आंसू आ जाते हैं.

सवाल- अभी मैंने चर्चा किया, आपको टिकट नहीं मिला लेकिन, आप मुस्कुरा रहे हैं. एक राजनेता को जिन्होंने पूरी जिंदगी राजनीति की, जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के बीच में बिताया. उनको टिकट नहीं मिल रहा है और आप मुस्कुरा रहे हैं क्यों?

अश्विनी चौबे- मैं इसलिए मुस्कुरा रहा हूं. जीवन भर में मुस्कुराता रहूंगा. भगवान से मेरी यही प्रार्थना है. हर लोगों के चेहरे पर वही मुस्कान दो. हर लोगों के चेहरे पर मुस्कान रहेगा. तो सुख, शांति, समृद्धि, सब कुछ मिलेगा. मुझे लगता है कि आपने कहा कि टिकट नहीं मिला मैंने कभी बेटिकट यात्रा नहीं की है. लोग उम्मीद लगा रहे थे शायद चौबे चुनाव लड़ जाएं, शायद चौबे बगावत कर दें. जेपी ने उस समय कहा था 8 अप्रैल को, हृदय छुब्ध, मुख बंद, हमला चाहे जैसा हो, हाथ हमारा नहीं उठेगा. हमारे ऊपर बहुत सारे हमले होते हैं. चाहे राजनीतिक हो, मैं कभी हिलने वाला नहीं हूं. मैं कभी पथभ्रष्ट नहीं हो सकता. हम तो वही हैं, जो थे और आज भी वही हैं और अंतिम सांस तक वही रहेंगे. मेरा गेरुआ रंग उस पर दूसरा रंग कोई नहीं चढ़ सकता. इस रंग में लिपट करके मैं अंतिम सांस लूंगा. यही प्रभु से प्रार्थना है.

सवाल- जिनको टिकट मिला, मिथिलेश तिवारी उन्होंने कहा कि आप ने पैरवी की होगी, इसलिए टिकट मिला.

अश्विनी चौबे- अरे भाई यह तो सब लोग कह रहे हैं. कहते हैं और कहना चाहिए. मैं सबको आशीर्वाद देता हूं. दिल खोलकर आशीर्वाद देता हूं. मैंने टिकट में किसी का नाम नहीं दिया था, ना मैंने अपना नाम दिया था और ना मैं किसी और का नाम दिया था. टिकट पार्टी तय करती है. पार्टी ने तय किया है कि टिकट किसको मिलेगा. पार्टी ने जो आदेश दिया है वह हम कर रहे हैं. आगे भी करेंगे. पार्टी के हर चीज का मैंने पालन किया है. मैं सच्चे दिल का इंसान हूं. मेरे लिए टिकट महत्वपूर्ण नहीं है. मैं जिस कूल से आता हूं, उसकी मर्यादा को समझता हूं. मैं बाल्य काल का स्वयंसेवक रहा हूं. 66 से मेरी जेल यात्रा शुरू हुई है. बहुत लोग चम्मच से दूध पीते होंगे, उस समय से मैं जेल जा रहा हूं. मैं मूल्य की राजनीति करता हूं.

सवाल- अब यह चर्चा होने लगी है कि अश्विनी चौबे पॉलिटिकल सेटलमेंट के तहत राज्यपाल बनने जा रहे हैं. लगातार यही कहा जा रहा है. इसलिए चेहरे पर आपकी मुस्कान रहती है.

अश्विनी चौबे - (हंसते हुए कहते हैं) मैं राज्यपाल पद को बहुत छोटा मानता हूं जी. मैं जनता का आदमी रहा हूं. मैं जनशक्ति का सैलाब, लाठियां और गोलियां खाता रहा हूं. मुझे पद का कभी लोभ नहीं रहा है. मैंने अपने या अपने परिजन के लिए कभी हाथ नहीं फैलाया है और माफ कीजिएगा, लोग कयास जरूर लगाते हैं कि मुझे राज्यपाल बनाया जा रहा है. यह तो पार्टी तय करेगी. कब, किसको, कहां बैठना है. यह पार्टी का विषय है. लेकिन, विषय यही है कि मैं पद का लोभी नहीं हूं. मैं स्वाभिमान पूर्वक अपना जीवन जीता रहा हूं. सम्मान के साथ कभी मैं समझौता नहीं करता हूं. मैं सम्मान का भूखा हूं. मैं पद का भूखा नहीं हूं.

सवाल- बक्सर को आप कितना मिस करेंगे? बक्सर आपकी कर्मस्थली रही है. बक्सर की क्या यादें रहेंगी आपके पास.

अश्विनी चौबे- बक्सर सिद्धआश्रम की भूमि है. अनादि काल से वहां सारे ऋषि मुनि तपस्या करते थे. मेरा सौभाग्य देखिए, मैं भी अंग जनपद जहां श्रृंगी ऋषि ने राम के लिए यज्ञ किया था. वहां से मैं आया हूं. अंग क्षेत्र का बेटा अपने पुरातन पूर्वजों की धरती बक्सर में गया था. हमारी जो कुलदेवी है वह बक्सर की हैं. मैं बक्सर को नई क्षितिज पर लेकर गया हूं. रामायण सर्किट से बक्सर को जोड़ा गया. मेरे कुछ अधूरे काम है उसको मैं पूरा करूंगा ही. मैं बक्सर के नमक का सरियत कभी चुका नहीं सकता. वो मेरे चुनाव की भूमि नहीं है वह मेरे साधना का केंद्र है. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि बक्सर को मैं कभी छोड़ नहीं सकता हूं. बक्सर मेरे दिल में है और लोगों में मैं हूं. मेरे में कुछ कमी होगी, यह हो सकता है.

इसे भी पढ़ेंः 'बक्सर में मैं ही रहूंगा' टिकट कटने से नाराज अश्विनी चौबे, क्या बगावत करेंगे? - Ashwini Choubey

इसे भी पढ़ेंः '15 दिन बाद आज मैं मुंह खोल रहा हूं, मेरा टिकट क्यों काट दिया?' अश्विनी चौबे का छलका दर्द - Lok Sabha Election 2024

इसे भी पढ़ेंः मिथिलेश तिवारी ने पहले अश्विनी चौबे को 'गुरु' मानने से किया इनकार, अब पोस्टर से भी निकाला, बक्सर BJP में दो फाड़! - Lok Sabha Election 2024

अश्विनी चौबे, केंद्रीय राज्य मंत्री.

पटनाः 'बक्सर को मैं कभी नहीं छोड़ सकता हूं. बक्सर मेरे रग रग में है'.... ये कहना है केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे का. बक्सर लोकसभा सीट से टिकट कटने के बाद अश्विनी चौबे इनदिनों जेपी के आंदोलन को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं. टिकट कटने के बाद जब वो पटना आए थे तो सीधे जेपी के आवास पर गए थे. वहां समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया था. अब अश्विनी चौबे जेपी के विचारधारा को आगे बढ़ाने की बात कह रहे हैं. अश्वनी चौबे ने आगे की रणनीति का खुलासा नहीं किया. उनका नाम भाजपा के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में है अब देखना है कि वो चुनाव प्रचार में जाते हैं कि नहीं. पेश है अश्वनी चौबे से खास बातचीत.

सवाल - चूक कहां हो गई जेपी के छात्र से

अश्विनी चौबे- मुझसे कभी कोई चूक नहीं हुआ है. मैं तो जेपी आंदोलन का एक सेनानी हूं. जेपी के उस आंदोलन का जो 8 अप्रैल 1974 को हुआ था. मैं जब पटना आया 8 अप्रैल को तो, मैं उस जगह पर गया, वहां मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है. लेकिन, मैं वहां देखा जेपी को आज एक भी माला नहीं पहनाई गई थी. आखिर क्या कारण है. मैं दिल्ली से सीधे पटना एयरपोर्ट से वहां गया था. हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे. इसलिए मुझे लग रहा है कि जेपी आज भी प्रासंगिक हैं. मुझे याद है सत्ता में आज भी बहुत सारे लोग बैठे हैं, जो सत्ता से बाहर भी हैं, ऐसे सभी लोगों ने जेपी के यहां शपथ लिया था. जातिवाद मिटाएंगे, नया बिहार बनाएंगे, भ्रष्टाचार मिटाएंगे, नया समाज बनाएंगे.

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सवाल- अब तो राजनीति का वही आधार हो गया है, जातिवाद, भ्रष्टाचार, अब यह सब तो आधार हो गया है.

अश्विनी चौबे- मैं व्यक्तिगत रूप से उसे खारिज करता हूं. आपको आश्चर्य होगा मैं इस जेपी आंदोलन से निकल कर आया था. छात्रसंघ का चुनाव पटना विश्वविद्यालय का, जो पार्लियामेंट चुनाव से कम नहीं होता था और चुनाव में विद्यार्थी परिषद की तरफ से मैं छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा. हम पूरी टीम को जिताकर लाए थे. मेरी जाति क्या थी ब्राह्मण जाति थी. और उस तरफ सारे के सारे लोग यहां तक की कर्पूरी ठाकुर जी को भी जबरदस्ती कुछ नेताओं ने बाध्य किया कि चलिए और अश्वनी चौबे के खिलाफ बोलिए. लेकिन, कर्पूरी जी नहीं आए. उन्होंने कहा कि उस व्यक्ति के बारे में क्या बोलूंगा. 1974 में मैं जीवन और मौत के साथ पीएमसीएच में 6 महीना संघर्ष करता रहा. कर्पूरी ठाकुर उस समय वांटेड थे. लेकिन, कई बार मुझे वह देखने चोरी छुपे आते थे और मुझे आशीर्वाद दे जाते थे. आज प्रधानमंत्री ने उन्हें भारत रत्न देकर नवाजा है.

सवाल- अश्विनी चौबे मूल्यों के आधार पर राजनीति की. विधायक बने, एमपी बने, मंत्री बने, इस बार आपको टिकट नहीं दिया गया. आगे क्या करेंगे.

अश्विनी चौबे- मैं तो यही कह रहा हूं यह विधाता की देन है. विधाता ने सोचा होगा. प्रभु ने कुछ सोचा होगा. मुझे क्या मालूम मैं तो केदारनाथ में विलीन हो गया था. तीन-तीन पीढ़ी मेरी साथ जा रही थी. कितने लोग हमारे सामने चले गए. 7 दिन तक भूखे प्यासे रहे केदारनाथ में. भगवान ने मेरी रक्षा की थी. वहां से लाने के लिए उस समय के गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने मेरी चिंता की थी. राजनाथ सिंह जी जो राष्ट्रीय अध्यक्ष थे स्वयं देहरादून जाकर के मुझे वहां से दिल्ली अस्पताल में ले जाकर भर्ती कराया था. मैं उस दिन को भी देखा हूं. मैंने सोचा नहीं था कि मुझे एमपी और मिनिस्टर बनना है. हम लोग तो अंतिम आठ लोग परिवार में थे, हाथ पकड़े हुए थे, 20 लोग गए थे, आधे से ज्यादा चले गए थे. मात्र 8 लोग हम लोग बचे थे. मेरी तीन-तीन पीढ़ी साथ में थी. आप कल्पना नहीं कर सकते मेरे आंखों के सामने वह दृश्य आता है तो आंसू आ जाते हैं.

सवाल- अभी मैंने चर्चा किया, आपको टिकट नहीं मिला लेकिन, आप मुस्कुरा रहे हैं. एक राजनेता को जिन्होंने पूरी जिंदगी राजनीति की, जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के बीच में बिताया. उनको टिकट नहीं मिल रहा है और आप मुस्कुरा रहे हैं क्यों?

अश्विनी चौबे- मैं इसलिए मुस्कुरा रहा हूं. जीवन भर में मुस्कुराता रहूंगा. भगवान से मेरी यही प्रार्थना है. हर लोगों के चेहरे पर वही मुस्कान दो. हर लोगों के चेहरे पर मुस्कान रहेगा. तो सुख, शांति, समृद्धि, सब कुछ मिलेगा. मुझे लगता है कि आपने कहा कि टिकट नहीं मिला मैंने कभी बेटिकट यात्रा नहीं की है. लोग उम्मीद लगा रहे थे शायद चौबे चुनाव लड़ जाएं, शायद चौबे बगावत कर दें. जेपी ने उस समय कहा था 8 अप्रैल को, हृदय छुब्ध, मुख बंद, हमला चाहे जैसा हो, हाथ हमारा नहीं उठेगा. हमारे ऊपर बहुत सारे हमले होते हैं. चाहे राजनीतिक हो, मैं कभी हिलने वाला नहीं हूं. मैं कभी पथभ्रष्ट नहीं हो सकता. हम तो वही हैं, जो थे और आज भी वही हैं और अंतिम सांस तक वही रहेंगे. मेरा गेरुआ रंग उस पर दूसरा रंग कोई नहीं चढ़ सकता. इस रंग में लिपट करके मैं अंतिम सांस लूंगा. यही प्रभु से प्रार्थना है.

सवाल- जिनको टिकट मिला, मिथिलेश तिवारी उन्होंने कहा कि आप ने पैरवी की होगी, इसलिए टिकट मिला.

अश्विनी चौबे- अरे भाई यह तो सब लोग कह रहे हैं. कहते हैं और कहना चाहिए. मैं सबको आशीर्वाद देता हूं. दिल खोलकर आशीर्वाद देता हूं. मैंने टिकट में किसी का नाम नहीं दिया था, ना मैंने अपना नाम दिया था और ना मैं किसी और का नाम दिया था. टिकट पार्टी तय करती है. पार्टी ने तय किया है कि टिकट किसको मिलेगा. पार्टी ने जो आदेश दिया है वह हम कर रहे हैं. आगे भी करेंगे. पार्टी के हर चीज का मैंने पालन किया है. मैं सच्चे दिल का इंसान हूं. मेरे लिए टिकट महत्वपूर्ण नहीं है. मैं जिस कूल से आता हूं, उसकी मर्यादा को समझता हूं. मैं बाल्य काल का स्वयंसेवक रहा हूं. 66 से मेरी जेल यात्रा शुरू हुई है. बहुत लोग चम्मच से दूध पीते होंगे, उस समय से मैं जेल जा रहा हूं. मैं मूल्य की राजनीति करता हूं.

सवाल- अब यह चर्चा होने लगी है कि अश्विनी चौबे पॉलिटिकल सेटलमेंट के तहत राज्यपाल बनने जा रहे हैं. लगातार यही कहा जा रहा है. इसलिए चेहरे पर आपकी मुस्कान रहती है.

अश्विनी चौबे - (हंसते हुए कहते हैं) मैं राज्यपाल पद को बहुत छोटा मानता हूं जी. मैं जनता का आदमी रहा हूं. मैं जनशक्ति का सैलाब, लाठियां और गोलियां खाता रहा हूं. मुझे पद का कभी लोभ नहीं रहा है. मैंने अपने या अपने परिजन के लिए कभी हाथ नहीं फैलाया है और माफ कीजिएगा, लोग कयास जरूर लगाते हैं कि मुझे राज्यपाल बनाया जा रहा है. यह तो पार्टी तय करेगी. कब, किसको, कहां बैठना है. यह पार्टी का विषय है. लेकिन, विषय यही है कि मैं पद का लोभी नहीं हूं. मैं स्वाभिमान पूर्वक अपना जीवन जीता रहा हूं. सम्मान के साथ कभी मैं समझौता नहीं करता हूं. मैं सम्मान का भूखा हूं. मैं पद का भूखा नहीं हूं.

सवाल- बक्सर को आप कितना मिस करेंगे? बक्सर आपकी कर्मस्थली रही है. बक्सर की क्या यादें रहेंगी आपके पास.

अश्विनी चौबे- बक्सर सिद्धआश्रम की भूमि है. अनादि काल से वहां सारे ऋषि मुनि तपस्या करते थे. मेरा सौभाग्य देखिए, मैं भी अंग जनपद जहां श्रृंगी ऋषि ने राम के लिए यज्ञ किया था. वहां से मैं आया हूं. अंग क्षेत्र का बेटा अपने पुरातन पूर्वजों की धरती बक्सर में गया था. हमारी जो कुलदेवी है वह बक्सर की हैं. मैं बक्सर को नई क्षितिज पर लेकर गया हूं. रामायण सर्किट से बक्सर को जोड़ा गया. मेरे कुछ अधूरे काम है उसको मैं पूरा करूंगा ही. मैं बक्सर के नमक का सरियत कभी चुका नहीं सकता. वो मेरे चुनाव की भूमि नहीं है वह मेरे साधना का केंद्र है. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि बक्सर को मैं कभी छोड़ नहीं सकता हूं. बक्सर मेरे दिल में है और लोगों में मैं हूं. मेरे में कुछ कमी होगी, यह हो सकता है.

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Last Updated : Apr 12, 2024, 10:49 PM IST
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