देहरादून: केंद्र और उत्तराखंड सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए तमाम योजनाएं संचालित कर रही है. जिसके तहत सोलर पैनल लगवाने वाले उपभोक्ताओं को बड़ी सब्सिडी दी जा रही है. इसी कड़ी में उत्तराखंड में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना को लांच की गई. जिसमें साल 2023 में एमएसएसवाई में बदलाव किया गया. इसके बाद इस योजना के तरफ लोगों की रुझान बढ़ा. ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार एक बार फिर मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना में बड़ा बदलाव करने जा रही है. जिसके तहत सोलर सिस्टम में बैटरी स्टोरेज को जोड़ने का खाका तैयार किया जा रहा है.
दरअसल, रिन्यूएबल एनर्जी के असीमित सोर्स हैं, जो पर्यावरण को संरक्षित रखने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं. यही वजह है कि जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में रिन्यूएबल एनर्जी पर फोकस किया जा है. भारत सरकार, देश से कार्बन उत्सर्जन को खत्म करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इसी क्रम में पंचामृत कार्ययोजना के तहत भारत में साल 2030 तक 500 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य रखा गया. साथ ही साल 2070 तक देश को कार्बन उत्सर्जन मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है. जिसके लिए केंद्र सरकार, तमाम योजनाएं भी संचालित कर रही है.
इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार रिन्यूएबल ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना संचालित की जा रही है. जिससे अधिक से अधिक लोग इस योजना के तहत सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करें. राज्य सरकार ने 20 सितंबर 2020 को मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना को लांच किया, लेकिन इस योजना की गाइडलाइन में कुछ कमियां होने के चलते सही ढंग से जनता को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा था. साथ ही लोगों का इस योजना के प्रति रुझान भी नही बढ़ रहा था.
जिसको देखते हुए राज्य सरकार ने साल 2023 में इस योजना की गाइडलाइन में कुछ बदलाव किए. जिसके चलते इस योजना के प्रति लोगों का रुझान बढ़ने लगा. मौजूदा स्थिति यह है कि पिछले एक साल में ही 971 लोगों के एप्लीकेशन को एक्सेप्ट कर लिया गया है, जिसकी कुल क्षमता 173.9 मेगावाट है. सौर ऊर्जा के प्रति बढ़ते लोगों के रुझान को देखते हुए उत्तराखंड सरकार एक बार फिर मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की गाइडलाइन में संशोधन करने का निर्णय लिया है. जिसके तहत इस योजना में सोलर को बैटरी स्टोरेज से जोड़ा जाएगा. इसके लिए भी सब्सिडी का प्रावधान किया जाएगा.
मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के तहत सोलर सिस्टम के साथ अगर बैटरी स्टोरेज को जोड़ दिया जाता है तो दिन में सोलर सिस्टम से जो विद्युत का उत्पादन होता है वो बैटरी में स्टोर हो जायेगा. जिसका इस्तेमाल शाम के समय कर सकेंगे, लेकिन आज के समय में बैटरी स्टोरेज सिस्टम महंगा है. बिना बैटरी स्टोरेज के सोलर ऊर्जा प्रति यूनिट ढाई से तीन रुपए पड़ती है. अगर सोलर सिस्टम में बैटरी स्टोरेज जोड़ दिया जाता है तो फिर विद्युत की कीमत 8 से 9 रुपए प्रति यूनिट पड़ता है. ऐसे में इस गैप को पूरा करने के लिए सरकार को कुछ सब्सिडी का प्रावधान करना पड़ेगा. तब बैटरी स्टोरेज की योजना सफल होगी. ऐसे में बैटरी स्टोरेज को लेकर काम चल रहा है. जिसके बाद इस योजना में शामिल कर लिया जाएगा.
ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया साल 2020 में जब मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना लांच की गई थी उस दौरान इस योजना के तहत 20 से 25 किलोवाट तक ही सोलर सिस्टम लगाने का प्रवधान किया गया था. ऐसे में इस योजना के तहत जो व्यक्ति 25 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगवाता था, तो उसको बैंक लोन भरने के बाद करीब 7 हज़ार रुपए महीना ही बचता था. जिसके चलते लोगों का इस योजना के प्रति रुझान नहीं दिखाई दे रहा था. उन्होंने बताया मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना का लाभ अधिक से अधिक लोग उठा सके इसके लिए साल 2023 में इस योजना की गाइडलाइन को संशोधित किया गया. जिससे इस योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी को एमएसएमई के बराबर कर दिया गया. इसके अलावा 25 किलोवाट सोलर सिस्टम के दायरे को बढ़ाकर 200 किलोवाट कर दिया गया. यानी अब कोई भी व्यक्ति 200 किलोवाट तक के सोलर सिस्टम को लगवा सकता है. जिसका नतीजा यह हुआ कि अभी तक 173.9 मेगावाट तक के प्रोजेक्ट को अनुमति मिल चुकी है. जिसके लिए सोलर सिस्टम इंस्टाल करने की प्रक्रिया जारी है, जबकि पुरानी योजना के तहत करीब 3 मेगावाट क्षमता के सोलर सिस्टम लग पाए थे.
ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया यूपीसीएल ने इस बात को लेकर अनुरोध किया है कि सोलर सिस्टम से सिर्फ दिन में ही ऊर्जा का उत्पादन होता है, लेकिन शाम के समय बिजली की अधिक डिमांड रहती है. ऐसे में इसे बैटरी स्टोरेज के साथ जोड़ दिया जाए. जिसके लिए उरेड़ा और यूपीसीएल एक कार्ययोजना तैयार कर रहा है. जिसमें सोलर सिस्टम में बैटरी स्टोरेज जोड़ने के बाद वित्तीय भार कितना आयेगा? जिसका अभी अध्ययन किया जा रहा है. अध्ययन के बाद इस प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाएगा.
गाइडलाइन में संशोधन के बाद बढ़ा लोगों का रुझान
- योजना में तहत अभी तक कुल 1629 आवेदन आए हैं. जिसमें से 971 लोगों के 173.9 मेगावाट के प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल चुकी है. जिसके लिए सोलर सिस्टम इंस्टाल की प्रक्रिया चल रही है.
- अल्मोड़ा जिले से 72 आवेदन मिले. जिसमें से 2750 किलोवाट के 16 आवेदन को मंजूरी मिल चुकी है.
- बागेश्वर जिले से 27 आवेदन मिले. जिसमें से 1935 किलोवाट के 19 आवेदन को मंजूरी मिल चुकी है.
- चमोली जिले से 74 आवेदन मिले. जिसमें से 7150 किलोवाट के 50 आवेदन को मंजूरी मिल चुकी है.
- चंपावत जिले से 183 आवेदन मिले. जिसमें से 19500 किलोवाट के 100 आवेदन को मंजूरी मिल चुकी है.
- देहरादून जिले से 71 आवेदन मिले. जिसमें से 8175 किलोवाट के 46 आवेदन को मंजूरी मिल चुकी है.
- हरिद्वार जिले से 103 आवेदन मिले. जिसमें से 12300 किलोवाट के 63 आवेदन को मंजूरी मिल चुकी है.
- नैनीताल जिले से 63 आवेदन मिले. जिसमें से 6300 किलोवाट के 38 आवेदन को मंजूरी मिल चुकी है.
- पौड़ी जिले से 181 आवेदन मिले. जिसमें से 13540 किलोवाट के 76 आवेदन को मंजूरी मिल चुकी है.
- पिथौरागढ़ जिले से 21 आवेदन मिले. जिसमें से 1940 किलोवाट के 16 आवेदन को मंजूरी मिल चुकी है.
- रुद्रप्रयाग जिले से 13 आवेदन मिले. जिसमें से 1325 किलोवाट के 09 आवेदन को मंजूरी मिल चुकी है.
- टिहरी जिले से 467 आवेदन मिले. जिसमें से 59015 किलोवाट के 326 आवेदन को मंजूरी मिल चुकी है.
- उधमसिंह नगर जिले से 20 आवेदन मिले. जिसमें से 2350 किलोवाट के 13 आवेदन को मंजूरी मिल चुकी है.
- उत्तरकाशी जिले से 334 आवेदन मिले. जिसमें से 37645 किलोवाट के 199 आवेदन को मंजूरी मिल चुकी है.