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...तो नीट परीक्षा में भी व्यापमं जैसी गड़बड़ी, नहीं हुई मेडिकोज की अटेंडेंस... इसलिए बैठे डमी - NEET UG 2024

एमबीबीएस कर रहे मेडिकोज को डमी कैंडिडेट्स के रूप में नीट यूजी एग्जाम में बैठने से रोकने के लिए राज्य सरकार ने मेडिकल काउंसिल के निर्देश पर मेडिकोज के अटेंडेंस के निर्देश दिए थे, लेकिन साल 2023 और 2024 में यह अटेंडेंस मेडिकल कॉलेज में नहीं ली गई है. झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के 10 मेडिकोज के नाम डमी कैंडिडेट के रूप में बैठने में सामने आए हैं.

NEET Controversy
NEET Controversy (फोटो ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 2, 2024, 10:44 AM IST

Updated : Jul 2, 2024, 11:19 AM IST

कोटा. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की नीट यूजी परीक्षा को लेकर पूरे देशभर में बवाल मचा हुआ है. लोकसभा और राज्यसभा में भी नीट यूजी को लेकर हंगामा बढ़ रहा है. दूसरी तरफ, सड़क पर भी स्टूडेंट उनके पैरेंट्स के अलावा टीचर्स भी संघर्ष कर रहे हैं और नीट यूजी को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. नीट यूजी को लेकर सरकार भी पेशोपेश की स्थिति में है. लेकिन इस बार राजस्थान में भी सरकार ने डमी कैंडिडेट्स को रोकने के प्रयास नहीं किए हैं. बीते कई सालों में सामने आया कि मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे मेडिकोज ही डमी के रूप में दूसरे स्टूडेंट का एग्जाम देने चले जाते हैं.

मध्य प्रदेश में हुए व्यापम घोटाले में भी इसी तरह का मामला सामने आया था. जिसमें राजस्थान के भी कई मेडिकोज के नाम सामने आए थे, जिन्होंने डमी कैंडिडेट्स के रूप में दूसरे की जगह परीक्षा दी थी. इन सबको रोकने के लिए राज्य सरकार ने मेडिकल काउंसिल के निर्देश पर मेडिकोज के अटेंडेंस के निर्देश दिए थे, लेकिन साल 2023 और 2024 में यह अटेंडेंस मेडिकल कॉलेज में नहीं ली गई है. झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के 10 मेडिकोज के नाम डमी कैंडिडेट के रूप में बैठने में सामने आए हैं. वहां के अकादमिक इंचार्ज डॉ. तरुण विजयवर्गीय का कहना है कि इस तरह की कोई अटेंडेंस कॉलेज में नहीं हुई है. वहीं कोटा मेडिकल कॉलेज की एडिशनल प्रिंसिपल डॉ. दीपिका मित्तल का कहना है कि साल 2022 में अटेंडेंस हुई थी, जबकि साल 2023 और 2024 में अटेंडेंस नहीं हुई है क्योंकि इसके निर्देश हमें नहीं मिले थे.

पढ़ें: NTA ने गुपचुप तरीके से जारी किया नीट यूजी री-एग्जाम का रिजल्ट, एक्सपर्ट ने कही ये बड़ी बात

सरकार ने बरती है ढिलाई, गलत कैंडिडेट को सफल कराने का तरीका : एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि सरकार ने भी नीट परीक्षा के आयोजन को लेकर ढिलाई बरती है, जबकि यह काफी प्रतिष्ठित परीक्षा है और उस तरह के ही इंतजाम इसमें होते हैं. मेडिकोज की अटेंडेंस भी एक गड़बड़झाला और डमी कैंडिडेट को रोकने का बेहतर तरीका है. डमी के रूप में एग्जाम देकर गलत कैंडिडेट्स को सफल करवा देने का गड़बड़ी एक सही कैंडिडेट के साथ छलावा होता है, दूसरी तरफ डमी के रूप में पकड़े जाने पर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट की भी क्षति होती है, उसे भी नुकसान होता है.

पढ़ें: राहुल गांधी ने नीट परीक्षा के बहाने कोटा पर बोला हमला, कहा- Exam को सेंट्रलाइज कर हजारों करोड़ रुपये बनाए जा रहे हैं

यह रहता है प्रोसीजर, हेड काउंट से लेकर एब्सेंट के पेरेंट्स की कंसर्न : मेडिकल कॉलेज में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की आयोजित नीट यूजी परीक्षा के दिन काफी सख्ती मेडिकोज पर रखी जाती है. इन मेडिकोज पर निगरानी करने के लिए निर्देश राज्य सरकार जारी करती है. जिसके बाद सरकारी और गैर सरकारी सभी मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे प्रथम वर्ष के मेडिकोज को अटेंडेंस के लिए बुलाया जाता है. अक्सर नीट यूजी की परीक्षा दोपहर 2:00 से 5:20 के बीच आयोजित होती है. इसीलिए इन मेडिकोज की हेड काउंटिंग मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम या फिर कैंपस में बुलाकर की जाती है. कुछ मेडिकोज अनुपस्थित रहते हैं ऐसे में उनके पैरेंट्स की कंसर्न ली जाती है या फिर उनसे अब्सेंस रहने का सर्टिफिकेट मांगा जाता है. उचित कारण होने पर ही उन्हें परमिशन दी जाती है. यह सभी इसलिए किया जाता है, क्योंकि रविवार के दिन यह परीक्षा होती है उस दिन क्लासेस मेडिकल कॉलेज में नहीं लगती है.

कोटा. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की नीट यूजी परीक्षा को लेकर पूरे देशभर में बवाल मचा हुआ है. लोकसभा और राज्यसभा में भी नीट यूजी को लेकर हंगामा बढ़ रहा है. दूसरी तरफ, सड़क पर भी स्टूडेंट उनके पैरेंट्स के अलावा टीचर्स भी संघर्ष कर रहे हैं और नीट यूजी को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. नीट यूजी को लेकर सरकार भी पेशोपेश की स्थिति में है. लेकिन इस बार राजस्थान में भी सरकार ने डमी कैंडिडेट्स को रोकने के प्रयास नहीं किए हैं. बीते कई सालों में सामने आया कि मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे मेडिकोज ही डमी के रूप में दूसरे स्टूडेंट का एग्जाम देने चले जाते हैं.

मध्य प्रदेश में हुए व्यापम घोटाले में भी इसी तरह का मामला सामने आया था. जिसमें राजस्थान के भी कई मेडिकोज के नाम सामने आए थे, जिन्होंने डमी कैंडिडेट्स के रूप में दूसरे की जगह परीक्षा दी थी. इन सबको रोकने के लिए राज्य सरकार ने मेडिकल काउंसिल के निर्देश पर मेडिकोज के अटेंडेंस के निर्देश दिए थे, लेकिन साल 2023 और 2024 में यह अटेंडेंस मेडिकल कॉलेज में नहीं ली गई है. झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के 10 मेडिकोज के नाम डमी कैंडिडेट के रूप में बैठने में सामने आए हैं. वहां के अकादमिक इंचार्ज डॉ. तरुण विजयवर्गीय का कहना है कि इस तरह की कोई अटेंडेंस कॉलेज में नहीं हुई है. वहीं कोटा मेडिकल कॉलेज की एडिशनल प्रिंसिपल डॉ. दीपिका मित्तल का कहना है कि साल 2022 में अटेंडेंस हुई थी, जबकि साल 2023 और 2024 में अटेंडेंस नहीं हुई है क्योंकि इसके निर्देश हमें नहीं मिले थे.

पढ़ें: NTA ने गुपचुप तरीके से जारी किया नीट यूजी री-एग्जाम का रिजल्ट, एक्सपर्ट ने कही ये बड़ी बात

सरकार ने बरती है ढिलाई, गलत कैंडिडेट को सफल कराने का तरीका : एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि सरकार ने भी नीट परीक्षा के आयोजन को लेकर ढिलाई बरती है, जबकि यह काफी प्रतिष्ठित परीक्षा है और उस तरह के ही इंतजाम इसमें होते हैं. मेडिकोज की अटेंडेंस भी एक गड़बड़झाला और डमी कैंडिडेट को रोकने का बेहतर तरीका है. डमी के रूप में एग्जाम देकर गलत कैंडिडेट्स को सफल करवा देने का गड़बड़ी एक सही कैंडिडेट के साथ छलावा होता है, दूसरी तरफ डमी के रूप में पकड़े जाने पर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट की भी क्षति होती है, उसे भी नुकसान होता है.

पढ़ें: राहुल गांधी ने नीट परीक्षा के बहाने कोटा पर बोला हमला, कहा- Exam को सेंट्रलाइज कर हजारों करोड़ रुपये बनाए जा रहे हैं

यह रहता है प्रोसीजर, हेड काउंट से लेकर एब्सेंट के पेरेंट्स की कंसर्न : मेडिकल कॉलेज में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की आयोजित नीट यूजी परीक्षा के दिन काफी सख्ती मेडिकोज पर रखी जाती है. इन मेडिकोज पर निगरानी करने के लिए निर्देश राज्य सरकार जारी करती है. जिसके बाद सरकारी और गैर सरकारी सभी मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे प्रथम वर्ष के मेडिकोज को अटेंडेंस के लिए बुलाया जाता है. अक्सर नीट यूजी की परीक्षा दोपहर 2:00 से 5:20 के बीच आयोजित होती है. इसीलिए इन मेडिकोज की हेड काउंटिंग मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम या फिर कैंपस में बुलाकर की जाती है. कुछ मेडिकोज अनुपस्थित रहते हैं ऐसे में उनके पैरेंट्स की कंसर्न ली जाती है या फिर उनसे अब्सेंस रहने का सर्टिफिकेट मांगा जाता है. उचित कारण होने पर ही उन्हें परमिशन दी जाती है. यह सभी इसलिए किया जाता है, क्योंकि रविवार के दिन यह परीक्षा होती है उस दिन क्लासेस मेडिकल कॉलेज में नहीं लगती है.

Last Updated : Jul 2, 2024, 11:19 AM IST
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