गोरखपुर: पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, लिंक एक्सप्रेसवे के बाद अब गोरखपुर से होकर गुजरने वाली सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के प्रोजेक्ट में थोड़ा बदलाव हुआ है. इसके लिए कुल 115 गांव की जमीन का अधिग्रहण NHAI करेगा. पहले 111 गांव की जमीन का अधिग्रहण होना था, लेकिन प्रोजेक्ट में कुछ सुधार होने के बाद इसमें 4 गांव और जोड़ दिये गये हैं. इस वजह से एक्सप्रेस वे की लंबाई भी 4 किलोमीटर बढ़ जाएगी. इसके तहत कुशीनगर और देवरिया जिले की जमीन भी अधिग्रहीत की जाएगी.
एक्सप्रेस वे के बीच में ग्रीन लैंड को छोड़कर इसका निर्माण किया जाएगा. इसके निर्माण पर करीब 32 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. शुरुआत में यह फोर लेन की सड़क बनाई जाएगी, लेकिन जमीन का अधिग्रहण सिक्स लेन के हिसाब से किया जाएगा. इसकी कुल चौड़ाई 75 मीटर रखी जायेगी. करीब 520 किलोमीटर लंबाई वाला यह एक्सप्रेस-वे गोरखपुर को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से जोड़ेगा. वर्ष 2025 तक इसके पूरा होने का अनुमान है.
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NHAI के अधिकारियों के मुताबिक एक्सप्रेसवे के प्रोजेक्ट में जो बदलाव करना पड़ा है, उसके लिए इसके बीच में ग्रीन बेल्ट का निर्धारण मुख्य वजह बना है. इस वजह से परियोजना में थोड़ा बदलाव हुआ है. एक्सप्रेसवे के बीच में ग्रीनलैंड की जमीन को छोड़कर इसका निर्माण कराया जाएगा. इसके निर्माण में गोरखपुर जिले के 14, देवरिया के 23 और कुशीनगर के 74 गांव की जमीन अधिग्रहित की जाएगी. भारतमाला परियोजना के तहत भारत-नेपाल सीमा के समानांतर बना रहे इस ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे के बन जाने से गोरखपुर- सिलीगुड़ी के बीच की दूरी कम हो जाएगी.
गोरखपुर में इसकी शुरुआत गोरखपुर- लखनऊ फोरलेन बाईपास के पास चौरी चौरा तहसील क्षेत्र के, बसडिला गांव के पास से होगी. इसके निर्माण पर करीब 32 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. गोरखपुर NHAI के परियोजना निदेशक ललित पाल का कहना है कि कुछ बदलाव के साथ तैयार प्रस्ताव को शासन को भेजा जा रहा है. तीन राज्यों यूपी बिहार और बंगाल से गुजरने वाली गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेस के बन जाने से, पूर्वोत्तर के राज्यों को जाने वाले वाहनों को एक अलग वैकल्पिक और सुविधाजनक मार्ग मिलेगा.
इस एक्सप्रेसवे में गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर से होकर करीब 84 किलोमीटर की सड़क बनेगी. इसके बाद पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा,सुपौल, किशनगंज, मधुबनी और फारबिसगंज सहित बिहार के 9 जिलों को कवर करते हुए यह अंत में सिलीगुड़ी पहुंच जाएगी. NHAI ने एलन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड भोपाल को इस एक्सप्रेसवे की डीपीआर को तैयार करने का निर्देश दिया है. 2022 से इसके लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है.
इस प्रोजेक्ट में कोई भी पुरानी सड़क शामिल नहीं है. यह आबादी से दूर बनाई जा रही है. गोरखपुर और सिलीगुड़ी को जोड़ने वाली कोई सीधी सड़क न होने के कारण लोगों को एक शहर से दूसरे शहर तक पहुंचने में लगभग 15 घंटे लगते हैं. गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के निर्माण से यह समय लगभग 6 घंटे काम हो जाएगा.