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श्मशान घाट पर चुनाव कार्यालय, आत्माएं बनेंगी पोलिंग एजेंट, अर्थी पर लेटकर नामांकन करने जाएगा यह दावेदार - arthi baba nomination - ARTHI BABA NOMINATION

हर चुनाव की तरह इस बार भी गोरखपुर के अर्थी बाबा ताल ठोंक रहे हैं. श्मशान घाट पर उन्होंने अपना चुनाव कार्यालय भी खोल लिया है. सोमवार को वह नामांकन करेंगे.

गोरखपुर लोकसभा सीट से अर्थी बाबा भी ताल ठोंकेंगे.
गोरखपुर लोकसभा सीट से अर्थी बाबा भी ताल ठोंकेंगे. (Photo credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 12, 2024, 12:46 PM IST

अर्थी बाबा ने श्मशान घाट पर खोला चुनावी कार्यालय. (VIDEO credit; ETV Bharat)

गोरखपुर : गोरखपुर लोकसभा सीट पर सातवें चरण में एक जून को वोटिंग होनी है. 14 मई यानी कि कल नामांकन की अंतिम तारीख है. इस बार यहां से अनोखा प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरने जा रहा है. नामांकन से पहले ही उन्होंने अपना चुनाव कार्यालय राप्ती नदी के श्मशान घाट पर खोल दिया है. राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा के नाम का यह शख्स पिछले 2 दशक से गोरखपुर से लेकर दिल्ली के अलावा कई अन्य शहरों में विभिन्न मुद्दों को लेकर आंदोलन करता रहा है. राजन यादव एमबीए (इंटरनेशनल मार्केटिंग) की डिग्री के बाद नौकरी न कर सामाजिक परिवर्तन के उद्देश्य से विभिन्न राजनीतिक मंचों का सहारे लेते रहे हैं. वह पहले भी वाराणसी, गोरखपुर समेत अन्य जगहों से चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि उन्हें कभी जीत नहीं मिली. विधानसभा हो या लोकसभा, विधान परिषद हो या राष्ट्रपति का चुनाव, हर चुनाव में वह मैदान में उतर चुके हैं. इसके लिए वह कई नौकरी भी छोड़ चुके हैं.

अर्थी बाबा का कहना है कि श्मशान घाट ही उनका चुनावी कार्यालय होगा. यहां आने वाले लोगों से वह एक-एक रुपए का सहयोग लेकर चुनाव का खर्च उठाएंगे. यहां जो आत्माएं होंगी वहीं उनकी एजेंट होंगी. 14 मई को वह अर्थी पर बैठकर नामांकन करे जाएंगी. गोरखपुर की धरती पर कोई बाहरी और फिल्मी दुनिया के लोग चुनाव जीते यह गोरखपुर के लिए ठीक नहीं है. यहां उस व्यक्ति को चुनाव लड़ना चाहिए, जीतना चाहिए जो यहां की समस्याओं के बारे में जानता हो.

अर्थी बाबा ने कहा कि मुझे भले भी अभी तक गोरखपुर की जनता ने जीत नहीं दिलाई, लेकिन श्मशान घाट से मैंने कई आंदोलन किए. इसके बाद गोरखपुर में एम्स बना, फर्टिलाइजर का खाद कारखाना खुला, राप्ती नदी तट पर बढ़िया घाट बना, अन्य कई काम हुए. योगी आदित्यनाथ जब मुख्यमंत्री बने तो हमने उनके समक्ष कई प्रस्ताव रखा, उसे उन्होंने माना भी. मौजूदा समय में लोकतंत्र की हत्या हो रही है. लोकतंत्र की अर्थी निकल रही है.

उन्होंने कहा कि अगर वह श्मशान घाट पर अपना लोकसभा का कार्यालय खोलते हैं. अर्थी पर बैठकर अपना नामांकन करने जाते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है. संसद में पहुंचने वाले अन्य नेता भी, इस जनाजे पर सवार होकर नामांकन करें, इसमें क्या बुराई है. मैंने इसीलिए आज तक शादी-ब्याह नहीं किया. देश ही राजनीति और लोकतंत्र को बचाने के लिए जैसे अन्य नेता बिना शादी विवाह के जुटे हैं, वैसे मैं भी जुटा हूं. मैं भगवान बुद्ध की शरण में भी जा चुका हूं. भंते कि मैंने दीक्षा ले रखी है.

अर्थी बाबा ने कहा कि इस देश का तभी कल्याण होगा जब सभी लोग बुद्ध के शरण में आ जाएं. अखिलेश, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव तब तक अपनी राजनीति में सफल नहीं हो पाएंगे जब तक वह बुद्ध की शरण में नहीं आएंगे. बुद्ध की शरण में आने के बाद ही वह कोई परिवर्तन लाने में सफल हो पाएंगे. राजन यादव केजरीवाल के ऊपर भी जमकर निशाना साधते हैं. वह कहते हैं कि अन्ना आंदोलन में वह केजरीवाल के साथ थे.

अन्ना हजारे के साथ थे. उनकी भी गिरफ्तारी की गई थी. उन्हें भी तिहाड़ जेल भेजा जा रहा था, लेकिन दिल्ली के सीपी ने उन्हें दिल्ली से उठाकर गोरखपुर भेज दिया. नहीं तो आज दिल्ली की राजनीति में उनका नाम भी दर्ज होता. केजरीवाल ने लोगों के साथ धोखा किया है. वह बड़े लोगों के नेता हैं. दलित, पिछड़े, कमजोर वर्ग से उसको कुछ लेना देना नहीं. इसीलिए बुद्ध की शरण में आने वाले उनकी टीम के लोग, आने वाले दिल्ली विधानसभा में 70 की 70 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और जीत दर्ज करेंगे. मैं भी वहां से चुनाव लड़ूंगा.

यह भी पढ़ें : BJP के मंच से वोट मांगेंगे राजा भइया, धनंजय सिंह और श्रीकला रेड्डी भी थाम सकते हैं भाजपा का दामन!

अर्थी बाबा ने श्मशान घाट पर खोला चुनावी कार्यालय. (VIDEO credit; ETV Bharat)

गोरखपुर : गोरखपुर लोकसभा सीट पर सातवें चरण में एक जून को वोटिंग होनी है. 14 मई यानी कि कल नामांकन की अंतिम तारीख है. इस बार यहां से अनोखा प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरने जा रहा है. नामांकन से पहले ही उन्होंने अपना चुनाव कार्यालय राप्ती नदी के श्मशान घाट पर खोल दिया है. राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा के नाम का यह शख्स पिछले 2 दशक से गोरखपुर से लेकर दिल्ली के अलावा कई अन्य शहरों में विभिन्न मुद्दों को लेकर आंदोलन करता रहा है. राजन यादव एमबीए (इंटरनेशनल मार्केटिंग) की डिग्री के बाद नौकरी न कर सामाजिक परिवर्तन के उद्देश्य से विभिन्न राजनीतिक मंचों का सहारे लेते रहे हैं. वह पहले भी वाराणसी, गोरखपुर समेत अन्य जगहों से चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि उन्हें कभी जीत नहीं मिली. विधानसभा हो या लोकसभा, विधान परिषद हो या राष्ट्रपति का चुनाव, हर चुनाव में वह मैदान में उतर चुके हैं. इसके लिए वह कई नौकरी भी छोड़ चुके हैं.

अर्थी बाबा का कहना है कि श्मशान घाट ही उनका चुनावी कार्यालय होगा. यहां आने वाले लोगों से वह एक-एक रुपए का सहयोग लेकर चुनाव का खर्च उठाएंगे. यहां जो आत्माएं होंगी वहीं उनकी एजेंट होंगी. 14 मई को वह अर्थी पर बैठकर नामांकन करे जाएंगी. गोरखपुर की धरती पर कोई बाहरी और फिल्मी दुनिया के लोग चुनाव जीते यह गोरखपुर के लिए ठीक नहीं है. यहां उस व्यक्ति को चुनाव लड़ना चाहिए, जीतना चाहिए जो यहां की समस्याओं के बारे में जानता हो.

अर्थी बाबा ने कहा कि मुझे भले भी अभी तक गोरखपुर की जनता ने जीत नहीं दिलाई, लेकिन श्मशान घाट से मैंने कई आंदोलन किए. इसके बाद गोरखपुर में एम्स बना, फर्टिलाइजर का खाद कारखाना खुला, राप्ती नदी तट पर बढ़िया घाट बना, अन्य कई काम हुए. योगी आदित्यनाथ जब मुख्यमंत्री बने तो हमने उनके समक्ष कई प्रस्ताव रखा, उसे उन्होंने माना भी. मौजूदा समय में लोकतंत्र की हत्या हो रही है. लोकतंत्र की अर्थी निकल रही है.

उन्होंने कहा कि अगर वह श्मशान घाट पर अपना लोकसभा का कार्यालय खोलते हैं. अर्थी पर बैठकर अपना नामांकन करने जाते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है. संसद में पहुंचने वाले अन्य नेता भी, इस जनाजे पर सवार होकर नामांकन करें, इसमें क्या बुराई है. मैंने इसीलिए आज तक शादी-ब्याह नहीं किया. देश ही राजनीति और लोकतंत्र को बचाने के लिए जैसे अन्य नेता बिना शादी विवाह के जुटे हैं, वैसे मैं भी जुटा हूं. मैं भगवान बुद्ध की शरण में भी जा चुका हूं. भंते कि मैंने दीक्षा ले रखी है.

अर्थी बाबा ने कहा कि इस देश का तभी कल्याण होगा जब सभी लोग बुद्ध के शरण में आ जाएं. अखिलेश, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव तब तक अपनी राजनीति में सफल नहीं हो पाएंगे जब तक वह बुद्ध की शरण में नहीं आएंगे. बुद्ध की शरण में आने के बाद ही वह कोई परिवर्तन लाने में सफल हो पाएंगे. राजन यादव केजरीवाल के ऊपर भी जमकर निशाना साधते हैं. वह कहते हैं कि अन्ना आंदोलन में वह केजरीवाल के साथ थे.

अन्ना हजारे के साथ थे. उनकी भी गिरफ्तारी की गई थी. उन्हें भी तिहाड़ जेल भेजा जा रहा था, लेकिन दिल्ली के सीपी ने उन्हें दिल्ली से उठाकर गोरखपुर भेज दिया. नहीं तो आज दिल्ली की राजनीति में उनका नाम भी दर्ज होता. केजरीवाल ने लोगों के साथ धोखा किया है. वह बड़े लोगों के नेता हैं. दलित, पिछड़े, कमजोर वर्ग से उसको कुछ लेना देना नहीं. इसीलिए बुद्ध की शरण में आने वाले उनकी टीम के लोग, आने वाले दिल्ली विधानसभा में 70 की 70 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और जीत दर्ज करेंगे. मैं भी वहां से चुनाव लड़ूंगा.

यह भी पढ़ें : BJP के मंच से वोट मांगेंगे राजा भइया, धनंजय सिंह और श्रीकला रेड्डी भी थाम सकते हैं भाजपा का दामन!

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