नई दिल्ली: गाजियाबाद के वसुंधरा की रहने वाली विनीता शर्मा ने अकेले छह साल के बेटे को संघर्ष और मेहनत से योगा टीचर बना दिया. 14 साल के योगा टीचर ध्रुव शर्मा की न सिर्फ भारत में पहचान है बल्कि विदेश में भी जाकर उन्होंने योग का प्रचार प्रसार किया और अपनी पहचान कायम की. ध्रुव शर्मा अब तक 200 से अधिक मेडल और शील्ड जीत चुके हैं. आज ध्रुव से उनकी मां को पहचान मिल रही है.
वसुंधरा में रहने वाली सुनीता शर्मा एक शिक्षिका हैं. बेटे ध्रुव को सुनीता ने अकेले पाला पोषा. हालांकि सुनीता की मां. भाई और बहन ने भी सहयोग किया. सुनीता बताती हैं कि उनका बेटा ध्रुव उनकी मां के साथ बचपन में योगा करता था. छह साल की उम्र में ध्रुव ने योगा करना शुरू कर दिया. ध्रुव सरलता से कठिन से कठिन योगासन को सांसों के लय के साथ करते थे. जिसे लोग देखकर आश्चर्य करते थे. सुनीता ने अपने बेटे का योग करने के लिए पूरा सहयोग किया. नौकरी के साथ बड़े संघर्ष से बच्चे को पाला और अच्छी परवरिश दी.
श्रीलंका में लोगों को किया प्रभावित: सुनीता शर्मा ने बताया कि ध्रुव श्रीलंका भी गए थे. वहां पर उन्होंने लोगों को योग करना सिखाया और श्रीलंका की सरकार और वहां के लोगों ने ध्रुव की काफी सराहना की गई. एनआईएस पटियाला में पहली बार ध्रुव ने नेशनल अवार्ड जीता, इसके बाद लगातार ध्रुव शर्मा योग की प्रतियोगिताओं में हर साल नेशनल अवार्ड जीत रहे हैं. अभी अभी उनके बेटे ध्रुव के पास 200 से ज्यादा मेडल और ट्राफियां हैं. सुनीता ने बताया कि ध्रुव सुबह 4.45 बजे उठ जाते हैं. सुबह नहाकर पूजा करते हैं. इसके बाद योग व अन्य काम करते हैं. पढ़ाई के साथ वह स्कूल की हर गतिविधि में अव्वल रहते हैं.
ध्रुव की मां के रूप में मिल रही पहचान: आज जितनी मेरी पहचान नहीं है उससे ज्यादा मेरे बेटे को लोग जानते हैं. आज लोग कहते हैं कि आप ध्रुव की मां हैं. तो सुनकर बहुत अच्छा लगता है कि आज मेरे बेटे की वजह से मुझे जान रहे हैं. मेरी मेहनत और संघर्ष सफल हो गया है. पहले से भी जो मुझे जानते थे अब वह ध्रुव की मां के नाम से पुकारने लगे हैं. ध्रुव के कारण लोग मुझसे आसान से घुल मिल जाते हैं.
विस्थापितों के लिए काम करने का लक्ष्य: सुनीता ने कहा कि ध्रुव को विस्थापित महिलाएं और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए काम करना बहुत अच्छा लगता है. वह बड़े होकर योगा के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन करने के साथ विस्थापित महिलाओं के लिए काम करेंगे. ध्रुव ने कहा कि वह आईआईटी क्रैक करना चाहते हैं. योगा के साथ मैं अन्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेता हूं और अवार्ड भी जीत चुका हूं.
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दूसरी सिंगल मदर के लिए विनीता ने कहा कि हौसला कभी न हारें भविष्य को लेकर चिंता बिल्कुल नहीं करनी चाहिए. बच्चे को अच्छी परवरिश दें. बच्चा जरूरत अच्छा करेगा. हर कोई बच्चों को संस्कार देता है लेकिन समय समय पर मोरल वैल्यू की बात करनी चाहिए.
ध्रुव शर्मा ने कहा कि मेरी मां बैक बोन हैं. मैं कितना भी आगू जाऊं पीछे मेरी मां मुझे संभालकर रखेगी. गिरूंगा तो मेरी मां साथ है मुझे उठाने के लिए. आज मैं जहां पर पहुंचा हूं. अपनी मां की मेहनत के बदौलत हूं. सभी के आशीर्वाद और विश्वास से मैं आगे बढ़ रहा हूं.
आजकल के बच्चों में सेल्फ कांफीडेंट की कमी हो गई है. क्योंकि वह मोबाइल में इतने ज्यादा वस्त रहते हैं कि वह घरवालों से बात करना भूल जाते हैं. जब आप बात करते हैं तो रीयल में सीखते हैं. किताबी ज्ञान तो पास करा देगी लेकिन जीवन में कैसे आगे बढ़ना है. कैसे उपलब्धियां पानी है. वह परिवार ही बता सकता है. बच्चे अक्सर परिवार या मां की डांट का बुरा मानते हैं लेकिन ये डांट एक संदेश से आई होती है. क्योंकि वह चाहते हैं कि जो ख्वाब वो नहीं छू पाए वह उनका बच्चा छुए. मां और परिवार की बात जरूर माननी चाहिए क्योंकि वही हैं जो सीढ़ी बनाकर दे रहे हैं आगे की सक्सेस की.
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