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घाटकोपर हादसे का जिम्मेदार कौन, मुंबई में अवैध होर्डिंग को लेकर BMC पर उठ रहे सवाल - Mumbai Hoarding Collapse

Unauthorized Hoardings in Mumbai: मुंबई के घाटकोपर में होर्डिंग गिरने से 14 लोगों की मौत के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिर बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने इतने बड़े होर्डिंग की अनुमति कैसे दी? हालांकि, बीएमसी पूरा मामला रेलवे पुलिस पर ठेलने की कोशिश कर रहा है. पढ़ें पूरी खबर.

GHATKOPAR HOARDING COLLAPSE
घाटकोपर होर्डिंग हादसा (फोटो- ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 14, 2024, 11:03 PM IST

मुंबई: मुंबई के घाटकोपर में सोमवार को तेज आंधी के बाद एक बड़ा होर्डिंग गिरने से 14 लोगों की मौत हो गई और 74 लोग घायल हुए हैं. इस घटना के बाद एक बार फिर मुंबई में अनाधिकृत होर्डिंग, बैनर और पोस्टर का मामला उजागर हो गया है. साथ ही आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है. नगर पालिका ने सारा मामला रेलवे पुलिस पर थोप दिया है. वहीं, रेलवे पुलिस के मौजूदा कमिश्नर ने भी यह कहकर बचने की कोशिश की कि उनके समय में इस अनाधिकृत होर्डिंग की इजाजत नहीं थी. ऐसे में सवाल उठता है कि इन 14 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है?

होर्डिंग हादसे के बाद बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) पर सवाल उठ रहा है कि आखिर नगर निगम ने इतने बड़े होर्डिंग की अनुमति कैसे दी? नगर पालिका का कहना है कि होर्डिंग रेलवे पुलिस की संपत्ति पर लगा था. इसके अलावा बीएमसी ने इस होर्डिंग के लिए कोई अनुमति नहीं दी थी. नगर निगम की ओर से बताया गया कि इस होर्डिंग की इजाजत रेलवे पुलिस ने ही दी है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि नगर निगम इन सभी मामलों को रेलवे पुलिस के पास धकेलने की कोशिश कर रहा है. खास बात यह है कि अनाधिकृत होर्डिंग को लेकर नगर पालिका ने सोमवार को 'एगो मीडिया' को नोटिस भेजा था. इस नोटिस में नगर पालिका ने संबंधित कंपनी से 6 करोड़ 13 लाख 84 हजार 464 रुपये का जुर्माना की मांगा है.

बीएमसी को फटकार लगा चुका है हाईकोर्ट
मुंबई में अनाधिकृत होर्डिंग, बैनर और पोस्टर का मामला इससे पहले भी बॉम्बे हाईकोर्ट में जा चुका है. कुछ मामलों में अदालत ने नगर पालिका की बात सुनी है. हालांकि, मुंबई में अनाधिकृत होर्डिंग्स कम नहीं हुए हैं. मुंबई में अनाधिकृत होर्डिंग्स को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं. ऐसी ही एक याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की पीठ ने नगर पालिका को फटकार लगाई. इसी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नगर पालिका को सार्वजनिक स्थानों पर लगे अनाधिकृत बैनर, पोस्टर और बोर्ड को तुरंत हटाने का निर्देश दिया था. इस मामले में नगर पालिका की निष्क्रियता पर चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी में कहा था कि उन्हें नगर पालिका में बैठना चाहिए.

होर्डिंग से नगर पालिका को 97 करोड़ की आय
ईटीवी भारत से बात करते हुए बीएमसी के लाइसेंस विभाग के डिप्टी कमिश्नर किरण दिघवकर ने कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम अधिनियम-1888 की धारा 328 के तहत यदि कोई नगर निगम की सीमा में विज्ञापन लगाना चाहता है तो आपको बृहन्मुंबई नगर निगम को पूर्व सूचना देनी होगी. उसके लिए नगर निगम एक अनुबंध कर संबंधित विज्ञापन की अनुमति देता है. उन्होंने कहा कि होर्डिंग के साइज के हिसाब से नगर निगम की दरें तय होती हैं. इन विज्ञापनों से नगर पालिका को हर साल 97 करोड़ रुपये की आय होती है. उन्होंने बताया कि फिलहाल मुंबई में 1,025 अधिकृत होर्डिंग्स लगे हैं.

होर्डिंग्स के लिए नगर निगम की अनुमति नहीं
रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में रेलवे पुलिस की संपत्ति पर कुल 129 होर्डिंग्स लगाए गए हैं. इन होर्डिंग्स के लिए बीएमसी को भुगतान नहीं किया गया है. यह भी बात सामने आ रही है कि घाटकोपर की होर्डिंग के लिए भी नगर निगम की अनुमति नहीं ली गई थी. लोहमार्ग पुलिस ने इस संबंध में एगो मीडिया को पत्र लिखकर कहा कि रेलवे की जमीन पर होर्डिंग लगाने के लिए नगर पालिका से अनुमति की जरूरत नहीं है. कानून के अनुसार, स्थानीय निकाय रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 2(31)(डी) और धारा 184(ए) और 185(1) के तहत बिना अनुमति के विज्ञापन पर टैक्स नहीं लगा सकते हैं. नगर निगम का कहना है कि हमने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. इसीलिए आईजीओ और जीआरपी ने होर्डिंग्स के लिए नगर निगम की अनुमति की जरूरत नहीं समझी. फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. नगर निगम अदालत में अपना पक्ष भी रख चुका है.

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होर्डिंग हादसे के बाद बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) पर सवाल उठ रहा है कि आखिर नगर निगम ने इतने बड़े होर्डिंग की अनुमति कैसे दी? नगर पालिका का कहना है कि होर्डिंग रेलवे पुलिस की संपत्ति पर लगा था. इसके अलावा बीएमसी ने इस होर्डिंग के लिए कोई अनुमति नहीं दी थी. नगर निगम की ओर से बताया गया कि इस होर्डिंग की इजाजत रेलवे पुलिस ने ही दी है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि नगर निगम इन सभी मामलों को रेलवे पुलिस के पास धकेलने की कोशिश कर रहा है. खास बात यह है कि अनाधिकृत होर्डिंग को लेकर नगर पालिका ने सोमवार को 'एगो मीडिया' को नोटिस भेजा था. इस नोटिस में नगर पालिका ने संबंधित कंपनी से 6 करोड़ 13 लाख 84 हजार 464 रुपये का जुर्माना की मांगा है.

बीएमसी को फटकार लगा चुका है हाईकोर्ट
मुंबई में अनाधिकृत होर्डिंग, बैनर और पोस्टर का मामला इससे पहले भी बॉम्बे हाईकोर्ट में जा चुका है. कुछ मामलों में अदालत ने नगर पालिका की बात सुनी है. हालांकि, मुंबई में अनाधिकृत होर्डिंग्स कम नहीं हुए हैं. मुंबई में अनाधिकृत होर्डिंग्स को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं. ऐसी ही एक याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की पीठ ने नगर पालिका को फटकार लगाई. इसी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नगर पालिका को सार्वजनिक स्थानों पर लगे अनाधिकृत बैनर, पोस्टर और बोर्ड को तुरंत हटाने का निर्देश दिया था. इस मामले में नगर पालिका की निष्क्रियता पर चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी में कहा था कि उन्हें नगर पालिका में बैठना चाहिए.

होर्डिंग से नगर पालिका को 97 करोड़ की आय
ईटीवी भारत से बात करते हुए बीएमसी के लाइसेंस विभाग के डिप्टी कमिश्नर किरण दिघवकर ने कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम अधिनियम-1888 की धारा 328 के तहत यदि कोई नगर निगम की सीमा में विज्ञापन लगाना चाहता है तो आपको बृहन्मुंबई नगर निगम को पूर्व सूचना देनी होगी. उसके लिए नगर निगम एक अनुबंध कर संबंधित विज्ञापन की अनुमति देता है. उन्होंने कहा कि होर्डिंग के साइज के हिसाब से नगर निगम की दरें तय होती हैं. इन विज्ञापनों से नगर पालिका को हर साल 97 करोड़ रुपये की आय होती है. उन्होंने बताया कि फिलहाल मुंबई में 1,025 अधिकृत होर्डिंग्स लगे हैं.

होर्डिंग्स के लिए नगर निगम की अनुमति नहीं
रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में रेलवे पुलिस की संपत्ति पर कुल 129 होर्डिंग्स लगाए गए हैं. इन होर्डिंग्स के लिए बीएमसी को भुगतान नहीं किया गया है. यह भी बात सामने आ रही है कि घाटकोपर की होर्डिंग के लिए भी नगर निगम की अनुमति नहीं ली गई थी. लोहमार्ग पुलिस ने इस संबंध में एगो मीडिया को पत्र लिखकर कहा कि रेलवे की जमीन पर होर्डिंग लगाने के लिए नगर पालिका से अनुमति की जरूरत नहीं है. कानून के अनुसार, स्थानीय निकाय रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 2(31)(डी) और धारा 184(ए) और 185(1) के तहत बिना अनुमति के विज्ञापन पर टैक्स नहीं लगा सकते हैं. नगर निगम का कहना है कि हमने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. इसीलिए आईजीओ और जीआरपी ने होर्डिंग्स के लिए नगर निगम की अनुमति की जरूरत नहीं समझी. फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. नगर निगम अदालत में अपना पक्ष भी रख चुका है.

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