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MDH और Everest मसालों की बढ़ी मुश्किलें! कैंसर के खतरे का दावा, भारत में जांच शुरू - FSSAI on MDH and Everest samples

FSSAI on MDH and Everest samples: हांगकांग और सिंगापुर ने एमडीएच और एवरेस्ट मसालों की बिक्री पर पांबदी लगा दी है. जिसके बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) हरकत में आ गया है. उसने अपने अधिकारियों से घरेलू बाजार में पाए जाने वाले सभी मसालों के नमूने एकत्र करने को कहा है. यदि कोई भी कंपनी मिलावट की गतिविध में शामिल पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस विषय पर ईटीवी भारत संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 22, 2024, 9:06 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने अपने सभी खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को भारत भर से एमडीएच, एवरेस्ट और अन्य सभी मसालों के नमूने इकट्ठा करने के लिए कहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि मसाला निर्माता कंपनियां मानक प्रक्रिया का पालन कर रही हैं या नहीं. हांगकांग का आरोप है कि इन कंपनियों के कई मसाला मिश्रणों में कथित रूप से स्वीकार्य सीमा से अधिक कार्सिनोजेनिक कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड पाया गया था. पिछले हफ्ते सिंगापुर ने एवरेस्ट के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की थी. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत को इसका खुलासा करते हुए एक शीर्ष अधिकारी ने संवाददाता को बताया कि मसालों के सभी एकत्र किए गए नमूनों का परीक्षण भारत में एफएसएसआई की 239 माइक्रो बायोलॉजिकल औऱ 300 लैब में किया जाएगा.

MDH और Everest मसालों की बिक्री पर पाबंदी
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि, एफएसएसएआई को अगले 15-20 दिनों के भीतर इसका रिजल्ट मिल जाएगा. अगर मसाला उत्पादन में कोई गड़बड़ी मिलती है, तो कंपनी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी. गंभीर बात यह है कि, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा समूह 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत, एथिलीन ऑक्साइड स्तन कैंसर के खतरे सहित गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है. अधिकारी ने कहा कि इस मुद्दे पर मसाला बोर्ड को भी अलर्ट जारी किया गया है. दोनों मसाला उत्पाद कंपनियों (एमडीएच और एवरेस्ट) को भी अपने उत्पाद का फॉर्मूलेशन उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है.

FSSAI ने जांच के आदेश दिए
अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, एफएसएसएआई ने वर्ष 2022-23 में रासायनिक मिलावट की जांच के लिए 1,77,51 फलों और सब्जी उत्पादों का विश्लेषण किया. कुल विश्लेषण में से, 44,626 नमूने गैर-अनुरूप पाए गए, जिनमें 6,579 असुरक्षित, 21,917 अवमानक और 16,130 लेबलिंग (Labelling Defects) दोष और भ्रामक थे. उसी वर्ष निर्माताओं के खिलाफ 38,096 नागरिक मामले दर्ज किए गए, जिसके परिणामस्वरूप 28,464 लोगों को दोषी ठहराया गया और उनके खिलाफ 33.23 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया. इतना ही नहीं उसी साल, 4818 आपराधिक मामले दर्ज किए गए और 1188 लोगों के खिलाफ सजा के अलावा 2.75 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया. आंकड़ों के अनुसार, एफएसएसएआई ने विभिन्न मसाला श्रेणियों के तहत 38,661 नमूने, करी पाउडर के 479 नमूने और 3478 मिश्रित मसाला के 3478 नमूने भी एकत्र किए. वर्तमान में खाद्य उत्पाद श्रेणी (मसाले) के तहत कुल 56188 केंद्रीय लाइसेंस, राज्य लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन जारी किए गए हैं. इस बीच, नेस्ले विवाद का जिक्र करते हुए अधिकारी ने कहा कि एफएसएसएआई प्रयोगशालाओं द्वारा घरेलू स्तर पर पाए जाने वाले सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय शिशु खाद्य उत्पादों का भी इसी तरह का परीक्षण किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: नेस्ले विवाद जिसकी FSSAI कर रहा जांच, क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

नई दिल्ली: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने अपने सभी खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को भारत भर से एमडीएच, एवरेस्ट और अन्य सभी मसालों के नमूने इकट्ठा करने के लिए कहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि मसाला निर्माता कंपनियां मानक प्रक्रिया का पालन कर रही हैं या नहीं. हांगकांग का आरोप है कि इन कंपनियों के कई मसाला मिश्रणों में कथित रूप से स्वीकार्य सीमा से अधिक कार्सिनोजेनिक कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड पाया गया था. पिछले हफ्ते सिंगापुर ने एवरेस्ट के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की थी. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत को इसका खुलासा करते हुए एक शीर्ष अधिकारी ने संवाददाता को बताया कि मसालों के सभी एकत्र किए गए नमूनों का परीक्षण भारत में एफएसएसआई की 239 माइक्रो बायोलॉजिकल औऱ 300 लैब में किया जाएगा.

MDH और Everest मसालों की बिक्री पर पाबंदी
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि, एफएसएसएआई को अगले 15-20 दिनों के भीतर इसका रिजल्ट मिल जाएगा. अगर मसाला उत्पादन में कोई गड़बड़ी मिलती है, तो कंपनी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी. गंभीर बात यह है कि, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा समूह 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत, एथिलीन ऑक्साइड स्तन कैंसर के खतरे सहित गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है. अधिकारी ने कहा कि इस मुद्दे पर मसाला बोर्ड को भी अलर्ट जारी किया गया है. दोनों मसाला उत्पाद कंपनियों (एमडीएच और एवरेस्ट) को भी अपने उत्पाद का फॉर्मूलेशन उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है.

FSSAI ने जांच के आदेश दिए
अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, एफएसएसएआई ने वर्ष 2022-23 में रासायनिक मिलावट की जांच के लिए 1,77,51 फलों और सब्जी उत्पादों का विश्लेषण किया. कुल विश्लेषण में से, 44,626 नमूने गैर-अनुरूप पाए गए, जिनमें 6,579 असुरक्षित, 21,917 अवमानक और 16,130 लेबलिंग (Labelling Defects) दोष और भ्रामक थे. उसी वर्ष निर्माताओं के खिलाफ 38,096 नागरिक मामले दर्ज किए गए, जिसके परिणामस्वरूप 28,464 लोगों को दोषी ठहराया गया और उनके खिलाफ 33.23 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया. इतना ही नहीं उसी साल, 4818 आपराधिक मामले दर्ज किए गए और 1188 लोगों के खिलाफ सजा के अलावा 2.75 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया. आंकड़ों के अनुसार, एफएसएसएआई ने विभिन्न मसाला श्रेणियों के तहत 38,661 नमूने, करी पाउडर के 479 नमूने और 3478 मिश्रित मसाला के 3478 नमूने भी एकत्र किए. वर्तमान में खाद्य उत्पाद श्रेणी (मसाले) के तहत कुल 56188 केंद्रीय लाइसेंस, राज्य लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन जारी किए गए हैं. इस बीच, नेस्ले विवाद का जिक्र करते हुए अधिकारी ने कहा कि एफएसएसएआई प्रयोगशालाओं द्वारा घरेलू स्तर पर पाए जाने वाले सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय शिशु खाद्य उत्पादों का भी इसी तरह का परीक्षण किया जाएगा.

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