पटनाः दिल्ली में जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार बड़ा फैसला लेने वाले हैं. शनिवार को दिल्ली में बैठक से पहले ही जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार सहित कई नेताओं का जुटान हो गया है. इसमें एक शख्स का नाम सामने आ रहा है जिसका नाम मनीष वर्मा है. नीतीश कुमार इन्हें जदयू की ओर से बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं.
जदयू का कर्ताधर्ता कौन होगा? सीएम नीतीश कुमार लगभग 75 साल के हो चुके हैं. गिरते स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर चिंता है कि नीतीश कुमार के बाद जदयू का कर्ताधर्ता कौन होगा? एक समय में आरसीपी सिंह को पूरी कमान दे रखी थी लेकिन विवाद के कारण उन्हें किनारा लगा दिए. रामचंद्र प्रसाद सिंह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और अपनी मर्जी से वह मोदी कैबिनेट में मंत्री बन गए थे. इससे नीतीश कुमार नाराज हो गए और उन्हें अध्यक्ष पद से तो हटाया दिया. राज्यसभा भी नहीं भेजे जिससे मंत्री पद भी चला गया.
प्रशांत किशोर को भी मिल चुका है मौकाः 2015 के विधानसभा चुनाव में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की एंट्री होती है. प्रशांत किशोर की भूमिका में महागठबंधन को बड़ी जीत मिलती है. नीतीश कुमार प्रशांत किशोर पर इतने खुश हुए कि उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बना दिया. बिहार सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा भी दे दिया गया लेकिन जब प्रशांत किशोर यह कहने लगे कि मैं किंग मेकर हूं और मेरी वजह से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हैं तो विवाद शुरू हो गया. प्रशांत किशोर को भी नीतीश कुमार किनारा लगा दिया.
दिल्ली में जदयू की बैठकः अब पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा का नाम सुर्खियों में है. 29 जून को दिल्ली में आयोजित बैठक में बड़ा फैसला लिया जा सकता है. चर्चा है कि मनीष वर्मा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है. दरअसल, मनीष वर्मा नालंदा के हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी हैं. 2022 के आईएएस ऑफिसर हैं और ओडिशा कैडर में सेवा दी है. मनीष वर्मा प्रतिनियुक्ति पर बिहार आए थे. इन्हें पूर्णिया और पटना का जिलाधिकारी बनाया गया था. जब वापस ओडिशा भेजा जाने लगा तो तो उन्होंने वीआरएस ले लिया. फिलहाल मनीष वर्मा नीतीश कुमार के अतिरिक्त परामर्श हैं और आपदा प्रबंधन प्राधिकार के सदस्य भी हैं.
मनीष वर्मा को मिल सकती है जिम्मेदारीः इस सब चर्चा के बीच राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि नीतीश कुमार राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बड़े फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं. ऐसा कई बार उन्होंने किया है. इस बार भी नीतीश कुमार से बड़े फैसले की उम्मीद है. मनीष कुमार वर्मा को लेकर भी चर्चा है कि उन्हें नीतीश कुमार बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं. संभव है कि मनीष कुमार वर्मा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाए.
"नीतीश कुमार ऐसे फैसले कई बार ले चुके हैं. इसबार भी कुछ अलग फैसले की उम्मीद है. संभव है कि मनीष कुमार वर्मा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाए. नीतीश कुमार बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं." -डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
नीतीश कुमार कर चुके हैं बचावः मनीष वर्मा के साथ एक विवाद भी जुड़ा हुआ है. 2014 में गांधी मैदान में रावण दहन के दौरान हादसा हुआ था. 42 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मनीष वर्मा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी और उन्हें क्लीन चिट दे दिया गया था. इसको लेकर विपक्ष ने कई सवाल भी उठाए थे कि नीतीश कुमार मनीष वर्मा को क्यों बचाने में लगे हैं.
नहीं लड़ पाए लोकसभा चुनावः 2024 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार नालंदा से मनीष वर्मा को चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन कुछ परिस्थिति ऐसे बनी कि मनीष वर्मा को टिकट नहीं दिया जा सका. मनीष वर्मा पूरे बिहार में जदयू प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे अरसे से राजनीतिक उत्तराधिकारी की तलाश में हैं. मनीष वर्मा पर नीतीश कुमार इसलिए दाव लगा सकते हैं.
हो सकती है परेशानीः मनीष वर्मा नीतीश कुमार स्वजातीय हैं. साथ ही साथ नालंदा के होने के चलते दूर की रिश्तेदारी भी है. नीतीश कुमार के कहने पर ही मनीष वर्मा नेआईएएस की नौकरी छोड़ी थी. मनीष वर्मा को अगर आगे किया जाता है तो सीनियर जूनियर का विवाद भी खड़ा होगा. पार्टी के सीनियर लीडर जैसे ललन सिंह, विजय चौधरी, संजय झा, अशोक चौधरी के लिए असहज स्थिति होगी. मनीष वर्मा को राजनीति का विशेष अनुभव नहीं है.
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