सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल वन विभाग को एक और बड़ी सफलता हासिल हुई है. कर्सियांग वन्यजीव वन प्रभाग, बागडोगरा रेंज और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के संयुक्त अभियान में लगभग 4 किलोग्राम सांप का जहर जब्त किया गया. बरामद सांप के जहर की अनुमानित बाजार कीमत करीब 5 करोड़ रुपये है.
पिछले कुछ महीनों में इसी तरह की घटनाएं हुईं, जिससे वन विभाग के अधिकारियों में एक तरह की दहशत फैल गई. इससे पहले 16 अक्टूबर और 30 दिसंबर को वन विभाग ने सिलीगुड़ी को कॉरिडोर के रूप में इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये के सांप के जहर की तस्करी के षड्यंत्र को विफल कर दिया था. वन विभाग और अपराध नियंत्रण ब्यूरो के सूत्रों के अनुसार, वन विभाग ने उत्तरी दिनाजपुर के इस्लामपुर के तीन निवासियों - मोहम्मद शाहनवाज (27), मोहम्मद तौहीद आलम (39), मोहम्मद अजमल (28) को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार लोगों को बुधवार को सिलीगुड़ी सब-डिवीजनल अदालत में पेश किया जायेगा.
मुख्य वन अधिकारी (वन्यजीव) नीरज सिंघल ने इस संबंध में कहा, 'सांप के जहर की तस्करी के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हर चीज की जांच की जा रही है.' बागडोगरा रेंजर सोनम भूटिया ने कहा, 'हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ की जा रही है. इस बात की जांच की जा रही है कि इस रैकेट में कोई और भी शामिल है या नहीं.'
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार सांप का जहर फ्रांस में बने दो विशेष कांच के जार में पाया गया था. एक जार में एक किलो 796 ग्राम और दूसरे जार में 2 किलो 29 ग्राम सांप का जहर पाया गया. वन विभाग और वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो कई दिनों से तीनों तस्करों पर कड़ी निगरानी रख रहे थे. सोमवार को गुप्त सूत्रों से सूचना मिलने के बाद वन विभाग ने सिलीगुड़ी से सटे फांसीदेवा ब्लॉक के मुरलीगाछ इलाके में महानंदा ब्रिज के पास ऑपरेशन चलाया. एक चार पहिया वाहन की तलाशी अभियान के दौरान बांग्लादेशी अखबार में लिपटा सांप के जहर से भरा कांच का जार बरामद किया गया.
जैसे ही दूसरी स्कूटी की तलाशी ली गई तो सांप के जहर से भरा एक और कांच का जार बरामद हुआ. तीनों तस्करों को पकड़ लिया गया. प्राथमिक जांच के बाद वन अधिकारियों को पता चला कि सांप का जहर बांग्लादेश से लाया गया था और नेपाल के रास्ते चीन में तस्करी की जा रही थी. तस्करों ने उनमें से दो जार को भारत-नेपाल सीमा पर स्थानांतरित करने की योजना बनाई थी. चीन के काले बाजार में ऐसे वन्यजीव उत्पादों की भारी मांग है.