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आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा के मामले में 29 फरवरी को आ सकता टाडा कोर्ट का फैसला

6 दिसंबर, 1993 को ​विभिन्न ट्रेनों हुए सिललिसेवार बम धमाकों के आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को 29 फरवरी को टाडा कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है. इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला रिजर्व रखा है.

Final verdict on Abdual Karim Tunda
आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 27, 2024, 7:17 PM IST

अजमेर. देश में 6 दिसंबर, 1993 को विभिन्न ट्रेनों में हुए सीरियल ब्लास्ट के आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा के मामले में टाडा कोर्ट 29 फरवरी को फैसला सुना सकती है. कोर्ट में तमाम गवाहों के बयान और मुकदमे में बहस पूरी हो चुकी है. ऐसे में कोर्ट ने आदेश को रिजर्व रखा है.

6 दिसंबर, 1993 को मुंबई, सूरत, कानपुर, हैदराबाद और लखनऊ में सीरियल ब्लास्ट हुए थे. इस मामले में आरोपी आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, हमीमुद्दीन, इरफान अजमेर की केंद्रीय कारागार जेल में कैद हैं. 31 साल बाद सीरियल ब्लास्ट के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंंडा के मामले में टाडा कोर्ट अपना निर्णय 29 फरवरी को सुना सकती है. बता दें कि वर्ष 2013 में भारत-नेपाल सीमा से अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था.

पढ़ें: 1993 Serial Train Blasts: टाडा कोर्ट में नहीं पेश हुए गवाह, अरेस्ट वारंट जारी

टुंडा के खिलाफ टाडा एक्ट में प्रकरण दर्ज किया गया था. इस प्रकरण में सीबीआई ने चार्जशीट पेश की थी. इस मामले में पौने दो सौ के लगभग गवाह थे. जिनके बयान सीबीआई ने कोर्ट में करवाए. मुकदमे में दोनों पक्ष की ओर से कोर्ट बहस सुन चुकी है. इसके बाद कोर्ट ने फैसला रिजर्व रखा है. संभवतः टाडा कोर्ट आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा के मामले में अपना फैसला 29 फरवरी को सुना सकती है.

पढ़ें: आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को तीन दिनों की न्यायिक हिरासत

पाकिस्तान से आतंक और बम बनाने की ली थी ट्रेनिंग: 1980 में टुंडा ने पाकिस्तान में आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के शिविर में रहकर आतंक और बम बनाने की ट्रेनिंग ली. इसके बाद वह वापस भारत लौट आया. यहां टोंक जिले में एक मस्जिद में बम बनाने का कुछ लोगों को प्रशिक्षण दे रहा था. इस दौरान पाइप बम फटने से उसका एक हाथ पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया. एक हाथ नहीं होने के कारण अब्दुल करीम को टुंडा नाम मिला. बताया जाता है कि 6 दिसंबर, 1993 को विभिन्न ट्रेनों में हुए सीरियल ब्लास्ट के लिए बम उसने ही बनाए थे.

पढ़ें: आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को अस्पताल से वापस जेल भेजा गया

टुंडा के खिलाफ है 33 मुकदमे: टुंडा के खिलाफ 6 दिसंबर, 1993 को विभिन्न ट्रेनों में सीरियल ब्लास्ट का मुकदमा दर्ज है. नांदेड के आजम गोरी, मुंबई के डॉ जलीस अंसारी और अब्दुल करीम उर्फ टुंडा ने आतंकी संगठन तंजीम इस्लाम उर्फ मुसलमीन बनाकर योजना भारत तरीके से विभिन्न ट्रेनों में बम ब्लास्ट किए थे. दिल्ली में सन 1996 में पुलिस मुख्यालय के सामने हुए बम ब्लास्ट में भी टुंडा का नाम सामने आया था. इस आतंकी घटना में भी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा आरोपी है. टुंडा के फरार होने पर उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया था. 2005 में लश्कर के आतंकी अब्दुल रज्जाक को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. पूछताछ में उसने कबूल किया था कि टुंडा जिंदा है. इसके बाद 2013 में नेपाल बॉर्डर से टुंडा को गिरफ्तार किया गया था.

अजमेर. देश में 6 दिसंबर, 1993 को विभिन्न ट्रेनों में हुए सीरियल ब्लास्ट के आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा के मामले में टाडा कोर्ट 29 फरवरी को फैसला सुना सकती है. कोर्ट में तमाम गवाहों के बयान और मुकदमे में बहस पूरी हो चुकी है. ऐसे में कोर्ट ने आदेश को रिजर्व रखा है.

6 दिसंबर, 1993 को मुंबई, सूरत, कानपुर, हैदराबाद और लखनऊ में सीरियल ब्लास्ट हुए थे. इस मामले में आरोपी आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, हमीमुद्दीन, इरफान अजमेर की केंद्रीय कारागार जेल में कैद हैं. 31 साल बाद सीरियल ब्लास्ट के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंंडा के मामले में टाडा कोर्ट अपना निर्णय 29 फरवरी को सुना सकती है. बता दें कि वर्ष 2013 में भारत-नेपाल सीमा से अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था.

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टुंडा के खिलाफ टाडा एक्ट में प्रकरण दर्ज किया गया था. इस प्रकरण में सीबीआई ने चार्जशीट पेश की थी. इस मामले में पौने दो सौ के लगभग गवाह थे. जिनके बयान सीबीआई ने कोर्ट में करवाए. मुकदमे में दोनों पक्ष की ओर से कोर्ट बहस सुन चुकी है. इसके बाद कोर्ट ने फैसला रिजर्व रखा है. संभवतः टाडा कोर्ट आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा के मामले में अपना फैसला 29 फरवरी को सुना सकती है.

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पाकिस्तान से आतंक और बम बनाने की ली थी ट्रेनिंग: 1980 में टुंडा ने पाकिस्तान में आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के शिविर में रहकर आतंक और बम बनाने की ट्रेनिंग ली. इसके बाद वह वापस भारत लौट आया. यहां टोंक जिले में एक मस्जिद में बम बनाने का कुछ लोगों को प्रशिक्षण दे रहा था. इस दौरान पाइप बम फटने से उसका एक हाथ पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया. एक हाथ नहीं होने के कारण अब्दुल करीम को टुंडा नाम मिला. बताया जाता है कि 6 दिसंबर, 1993 को विभिन्न ट्रेनों में हुए सीरियल ब्लास्ट के लिए बम उसने ही बनाए थे.

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टुंडा के खिलाफ है 33 मुकदमे: टुंडा के खिलाफ 6 दिसंबर, 1993 को विभिन्न ट्रेनों में सीरियल ब्लास्ट का मुकदमा दर्ज है. नांदेड के आजम गोरी, मुंबई के डॉ जलीस अंसारी और अब्दुल करीम उर्फ टुंडा ने आतंकी संगठन तंजीम इस्लाम उर्फ मुसलमीन बनाकर योजना भारत तरीके से विभिन्न ट्रेनों में बम ब्लास्ट किए थे. दिल्ली में सन 1996 में पुलिस मुख्यालय के सामने हुए बम ब्लास्ट में भी टुंडा का नाम सामने आया था. इस आतंकी घटना में भी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा आरोपी है. टुंडा के फरार होने पर उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया था. 2005 में लश्कर के आतंकी अब्दुल रज्जाक को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. पूछताछ में उसने कबूल किया था कि टुंडा जिंदा है. इसके बाद 2013 में नेपाल बॉर्डर से टुंडा को गिरफ्तार किया गया था.

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