चंडीगढ़: पंजाब के मोगा स्थित चारिक गांव के शहीद कुलवंत सिंह के पिता बलदेव सिंह ने 1993 में कारगिल युद्ध के दौरान देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी. उस समय कुलवंत सिंह की उम्र 2 साल थी. इसी तरह 20 अप्रैल 2023 को जब कुलवंत सिंह शहीद हुए तो उनकी बेटी की उम्र 2 साल थी. लांस नायक कुलवंत सिंह की मां ने कहा कि जब मेरा बेटा सेना में भर्ती होने के लिए घर से गया था तो उसने मुझसे कहा था कि उसे कुछ नहीं होगा और सब ठीक हो जाएगा. हालांकि, अब उनका परिवार बदहाली से गुजर रहा है.
शहीद कुलवंत सिंह की मां हरजिंदर कौर ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके पति शहीद बलदेव सिंह और बेटे शहीद कुलवंत सिंह ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी, लेकिन वह सरकार से नाराज हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने गांव के सरकारी स्कूल को 12वीं तक अपग्रेड करने का वादा किया था और कुलवंत सिंह की प्रतिमा लगाने का भी वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ.
कुलवंत सिंह की पत्नी ने परिवार से तोड़ा नाता
हरजिंदर कौर ने कहा कि शहीद बेटे कुलवंत सिंह की पत्नी हरदीप कौर ने भी मुझसे नाता तोड़ लिया. मेरे पति और बेटे ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी, लेकिन किसी ने मेरी सुध नहीं ली. गांववासियों ने कहा कि कुलवंत सिंह बहुत ही खुशमिजाज व्यक्ति थे और उनमें देश सेवा का जज्बा था. उन्होंने अपने पिता की तरह देश के लिए खुद को कुर्बान कर दिया.
पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए कुलवंत सिंह
गांव के निवासी नायब सिंह ने बताया कि हमारा पूरा गांव शहीदों का है. शहीद कुलवंत सिंह जब महज 2 साल के थे, तब उनके पिता बलदेव सिंह देश के लिए शहीद हो गए थे. इसके बाद मां ने काफी मुश्किलों का सामना करते हुए अपने बेटे को सिपाही बनाया और फिर सेना में भर्ती करवाया. पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए कुलवंत सिंह भी शहीद हो गए.
गांव में स्कूल बनाने की अपील
नायब ने बताया कि जब कुलवंत सिंह शहीद हुए थे, उसके बाद हमारे गांव वालों ने सरकार से गांव में पिता-पुत्र की प्रतिमा लगाने, गांव में 12वीं तक का स्कूल बनाने की अपील की थी. उस समय सरकार ने हमें आश्वासन दिया था कि हमारी मांगें पूरी की जाएंगी, लेकिन हमारी कोई भी मांग पूरी नहीं हुई. इसके बाद शहीद कुलवंत सिंह की मां ने अपने पैसे खर्च करके गांव में अपने पति और बेटे की प्रतिमाएं लगवाई हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार से मिली एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता में से शहीद कुलवंत सिंह की पत्नी ने 60 लाख रुपये लेकर अलग हो गई और फिलहाल मोगा में रह रही हैं. शहीद की मां ने बची हुई रकम से ये प्रतिमाएं लगवाई हैं. सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की.