रांची: लोकसभा चुनाव को लेकर रांची पुलिस के द्वारा वारंटी के साथ-साथ जेल से बाहर निकले अपराधियों की सूची भी तैयार की जा रही है. यह काम लगभग हर जिले में किया जा रहा है ताकि चुनाव से पूर्व वारंटी को सलाखों के पीछे पहुंचाया जा सके.
इसी कड़ी में जब कुछ अपराधियों की कुंडली खंगाली गई तो यह पता चला कि कई के बेलर हर बार एक ही व्यक्ति रहा है. मुख्यालय का आदेश यह है कि अपराधियों के बेलरो का भी सत्यापन कराया जाए, लेकिन जब सत्यापन का काम शुरू हुआ तो जो पता बेलरो का दिया गया था वे वहां मिले ही नहीं. जिसके बाद यह खुलासा हुआ कि अपराधी फर्जी कागजातों के आधार पर ही बेल नहीं ले रहे, बल्कि उनके बेलर भी फर्जी हैं. इस मामले में जांच के आदेश एसएसपी रांची के द्वारा दिया गया है. डोजियर तैयार होने के बाद फर्जी बेलरो की पहचान कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी.
'फर्जी बेलरो पर लगाम कसने के लिए पॉलिसी में बदलाव जरूरी है. किसी का भी बेलर बनने से पूर्व अगर उसका पुलिस वेरिफिकेशन करवाया जाय तो यह समस्या बहुत हद तक सुलझ सकती है. अगर बेलर का सत्यापन पहले ही पुलिस के द्वारा कर लिया जाएगा तो फर्जी बेलरो की दुकान बंद हो जाएगी. फिलहाल जो भी फर्जी बेलरो के मामले आए हैं उनकी जांच की जा रही है.'-चन्दन सिन्हा, सीनियर एसपी, रांची
पुलिस के राडार पर बेलर
मामला सामने आने के बाद बड़े और छोटे अपराधियों की बेल लेने वाले अब रांची पुलिस के रडार पर हैं. इसके लिए सभी थानेदारों को निर्देश दिया गया है कि वे अपराधियों की जमानत लेने वालों की एक सूची तैयार करें. यह देखें कि जमानतदारों ने किस परिस्थिति में अपराधी की जमानत ली है. बार-बार अपराधी की जमानत लेने वालों की भी सूची में नाम अंकित करें. ऐसे जमानतदारों पर प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें भी सलाखों के पीछे भेजे.
अधिकारी के निर्देश के बाद शहर के सभी थानेदार जमानतदारों की सूची तैयार करने में जुट गए हैं. राजधानी के पुलिस कर्मियों को भी यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह अपराधियों के जमानतदार बनने वाले लोगों के बारे में जांच करें ताकि उनके उन से क्या संबंध हैं इसकी जानकारी हासिल हो सके. वहीं दूसरी तरफ
पुलिस की ओर से जमानतदारों की डिटेल में पड़ताल और छानबीन की जा रही, ताकि अगर उनकी भी कोई क्राइम हिस्ट्री हो, तो उसकी भी अलग लिस्ट तैयार की जाएगी. वहीं जिनका कोई आपराधिक इतिहास होगा उन्हें बदमाशों के डोजियर में शामिल कर लिया जाएगा.
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