बेमेतरा: पिरदा की बारूद फैक्ट्री में हुए धमाके में कई मजदूर लापता हो गए. घटना के बीते दो दिन से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. मलबे से अब किसी के मिलने और जिंदा होने की संभावना नहीं के बराबर है. हादसा इतना दर्दनाक और धमाका इतना जोरदार था कि आस पास के कई मकान थर्रा गए. फैक्ट्री में जहां विस्फोट हुआ वहां चालीस फीट गहरा गड्ढा हो गया. धमाके की इंटेसिटी इतनी ज्यादा था कि मौके से कई शवों के बस टुकड़े ही मिले हैं. जिनका सैंपल डीएनए टेस्ट के लिए भेजा गया है. अभी तक प्रशासन की ओर से सिर्फ एक मौत की पुष्टि की गई है जबकी आठ मजदूर अब भी लापता हैं.
अपनों के इंतजार में पथराई गई आंखें: जिन परिवारों के मजदूर अभी भी लापता है उनके घरों में गम और मातम का माहौल है. औरतें अपने पति और बच्चे अपने पिता की तलाश में बार बार प्लांट के आस पास पहुंचते हैं. अफसरों से पूछताछ करते हैं और फिर मायूस होकर लौट जाते हैं. गांव में दो दिन बाद भी मातमी सन्नाटा पसरा है. गांव से बात करने की आवाजें कम रोने और सिसकने की आवाजें ज्यादा सुनाई पड़ती हैं. लोग अपनों के लौट आने और उनके कुशल होने की खबर सुनने के लिए आज भी दरवाजे पर टकटकी लगाए बैठे हैं.
इस दर्द का अंत नहीं: घटनास्थल से जो शवों के जो टुकड़े मिल रहे हैं उसे देखकर मजदूरों के परिवार वालों का हौसला रह रहकर टूटता जाता है. परिवार के सदस्य एक दूसरे का रह रहकर हौसला बढ़ाते हैं. प्रशासन की ओर से जो शवों के टुकड़ों की पहचान कराई जा रही है उसे कोई भी पहचान नहीं पा रहा है. डीएनए सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद ही अब ये साफ हो पाएगा कि कितने मजदूरों की जान इस धमाके में गई. लोगों को अब इंतजार है कि शवों की पहचान होने के बाद कैसे उनका अंतिम संस्कार किया जाए. कुछ लापता मजदूरों के परिवार वालों ने तो बना डेड बॉडी मिले ही अंतिम संस्कार भी कर दिया है.
शासन और प्रशासन के खिलाफ भारी गुस्सा: पिरदा गांव के लोग शासन और प्रशासन से खासे नाराज हैं. लापता मजदूरों के परिवार वालों का कहना है हादसे में उनके घर का कमाने वाला चला गया. सरकार ने जरूर मुआवजे का ऐलान किया है लेकिन जिंदगी की गाड़ी वापस पटरी पर आएगी मुश्किल है. कई परिवार के लोगों का कहना है कि उनका बेटा और पति लौटा दें उनको पैसे नहीं चाहिए.