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वर्ल्ड वाटर मॉनिटरिंग डे पर देखिए ये खूबसूरत जलस्रोत, उत्तराखंड को कहते हैं देश का 'वाटर टैंक' - World Water Monitoring Day 2024

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 18, 2024, 11:14 AM IST

Updated : Sep 18, 2024, 1:08 PM IST

Water resources of Jaunsar Bawar आज वर्ल्ड वाटर मॉनिटरिंग डे यानी विश्व जल निगरानी दिवस है. इस बार वर्ल्ड वाटर मॉनिटरिंग डे की थीम 'शांति के लिए जल' है. उत्तराखंड को भारत का पानी का खजाना कहा जाता है. देश की दो सबसे प्रमुख नदियां गंगा और यमुना उत्तराखंड से ही निकलती हैं. ये दोनों नदियां धार्मिक महत्व के साथ ही उत्तर भारत की जीवन रेखा कही जाती हैं. विश्व जल निगरानी दिवस दिवस पर पेश है हमारी खास रिपोर्ट.

WORLD WATER MONITORING DAY 2024
वर्ल्ड वाटर मॉनिटरिंग डे 2024 (ETV Bharat Graphics)

विकासनगर (उत्तराखंड): वर्ल्ड वाटर मॉनिटरिंग डे पर आज हम आपको उत्तराखंड के देहरादून जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र जौनसार बावर इलाके की पानी से जुड़ी तस्वीर दिखाते हैं. जौनसार बावर इलाके की नदियों, झरनों, गदेरों और कुओं में इन दिनों भरपूर पानी है. हमारे संवाददाता ने यहां के हर वाटर रिसोर्स का जायजा लिया.

वर्ल्ड वाटर मॉनिटरिंग डे पर देखिए ये खूबसूरत जलस्रोत (Video- ETV Bharat)

आज है वर्ल्ड वाटर मॉनिटरिंग डे: उत्तराखंड एक बड़ा भू भाग पर्वतमालाओं और नदी, नालों, गदेरों और झरनों से भी अच्छादित है. यहां की नदियां देश के एक बड़े हिस्से को पीने का पानी और सिंचाई का पानी उपलब्ध कराती हैं. साथ ही उत्तराखंड की इन नदियों में कई बांध भी बने हैं और कई परियोजनाओं पर कार्य भी चल रहा है. ये जल विद्युत परियोजनाएं अनेकों राज्यों को बिजली भी उपलब्ध कराती हैं. उत्तराखंड के देहरादून जिले के सूदरवर्ती क्षेत्र जौनसार बावर में चकराता के लोरली गांव से निकली अमलावा नदी भी है, जो आगे जाकर कालसी में यमुना नदी में जाकर मिलती है. यह नदी लगभग तीस से पैतीस किलोमीटर की दूरी तय करती है.

Water resources of Jaunsar Bawar
जौनसार बावर का जलस्रोत (Photo- ETV Bharat)

जौनसार बावर की जीवन रेखा है अमलावा नदी: अमलावा नदी के जल से हजारों किसानों को सिंचाई, पशुओं के लिए, पीने के लिए पानी मिलता है. बीते कुछ सालों में बरसात के दिनों में ही इस नदी का जल स्तर बढ़ता हुआ दिखाई देता है. गर्मियों में जल स्तर बहुत ही कम हो जाता है. स्थानीय ग्रामीण ज्ञान सिंह का कहना है कि कुछ सालों से धीरे धीरे नदी का जल स्तर घटता जा रहा है. इसे हम पर्यावरण में बदलाव कह सकते हैं या मानव द्वारा की जा रही पर्यावरण से छेड़छाड़ का नतीजा समझ सकते हैं. अगर हम बात पहाड़ों से बरसात में गिरते झरनों की करें तो इन दिनों पूरे उत्तराखंड से साथ ही जौनसार बावर में जगह जगह झरने दिखाई दे रहे हैं, जो बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. बुर्जुग लोग बताते हैं कि कुछ झरने ऐसे होते थे, जो बारह महीने झरझर गिरते रहते थे. लेकिन कुछ सालों से मौसम में बदलाव के चलते अब बरसात में ही झरने पहाड़ियों से गिरते दिखाई देते हैं.

Water resources of Jaunsar Bawar
जौनसार बावर में सुंदर झरना (Photo- ETV Bharat)

जौनसार बावर में हैं अनेक जलस्रोत: जौनसार के कुरोली गांव के पूरण सिंह राय का कहना है कि हमारे गांव के पास एक कुआं (नौला) है. ये आज भी हमारे गांव के लिए पीने के पानी के लिए उपयोगी है. कुछ सालों पहले इस कुएं में से बहुत पानी भर कर बाहर निकलकर बहता था. अब धीरे धीरे इसका जल स्तर भी घटता जा रहा है. गांव में पेयजल लाइन बिछी है. हर घर पर पानी है, लेकिन गर्मियों में जब पेयजल के स्रोत सूख जाते हैं, तब इस कुएं से गांव के लोग पीने के लिए पानी आज भी भरते हैं. पहले की अपेक्षा कुएं का जलस्तर भी काफी कम हो गया है. पूर्व में कुआं टीन और लकड़ी से ढका रहता था. अब गांव के लोगों द्वारा इसको चारों और से ढक दिया गया है. सामने से ही लोग पानी भरते हैं. पर्यावरण के बदलाव से पानी का स्तर नीचे चला गया है. बरसात के दिनों में कुआं भरकर पानी बाहर बहता था. गर्मियों में पानी भरने के लिए लाइन लगानी पड़ती है.

Water resources of Jaunsar Bawar
जौनसार बावर की अमलावा नदी (Photo- ETV Bharat)

पहले की अपेक्षा घटा है पानी: ग्राम पंचायत नेवी के सहिया में सरला खड्ड पर पेयजल स्रोत पर दो बड़े बड़े पीने के पानी के टैंक बनाए हुए हैं. वैसे तो सहिया वासियों को चौबीसों घंटे पेयजल आपूर्ति होती रहती है, लेकिन कुछ सालों से गर्मियों के दिनों में जलस्रोत में जलस्तर कम हो जाता है. इस कारण से जल संस्थान द्वारा सुबह शाम कुछ समय के लिए पेयजल आपूर्ति को बंद कर दी जाती है, ताकि पेयजल टैंक को भरा जा सके. उसके बाद ही पेयजल आपूर्ति सुचारू की जाती है.

Water resources of Jaunsar Bawar
पुराने समय का जलस्रोत नौला (Photo- ETV Bharat)

उत्तराखंड की प्रमुख 20 नदियां: उत्तराखंड में वैसे तो छोटी-बड़ी अनेक नदियां हैं, लेकिन ये 20 नदियां यहां प्रमुख हैं. इन नदियों में गंगा, यमुना, अलकनंदा, भागीरथी, मंदाकिनी, पाताल गंगा, पिंडर, रामगंगा, काली, भिलंगना, सरस्वती, गौला, गोरी गंगा, धौली, कोसी, गगास, नंदाकिनी, सरयू, गोमती, टोंस शामिल हैं. इनमें गंगा और यमुना नदियां सबसे महत्वपूर्ण हैं. गंगा और यमुना का जहां धार्मिक महत्व है, वहीं ये पीने और सिंचाई की जरूरत को भी पूरा करती हैं. गंगा उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री ग्लेशियर से निकलकर पश्चिम बंगाल में गंगा सागर में मिलने तक 2,525 किलोमीटर की यात्रा करती है. उत्तरकाशी जिले के यमुनोत्री से निकलने वाली यमुना 1,376 किलोमीटर की दूरी तय करके प्रयागराज में गंगा में मिल जाती है.
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वर्ल्ड वाटर मॉनिटरिंग डे पर देखिए ये खूबसूरत जलस्रोत (Video- ETV Bharat)

आज है वर्ल्ड वाटर मॉनिटरिंग डे: उत्तराखंड एक बड़ा भू भाग पर्वतमालाओं और नदी, नालों, गदेरों और झरनों से भी अच्छादित है. यहां की नदियां देश के एक बड़े हिस्से को पीने का पानी और सिंचाई का पानी उपलब्ध कराती हैं. साथ ही उत्तराखंड की इन नदियों में कई बांध भी बने हैं और कई परियोजनाओं पर कार्य भी चल रहा है. ये जल विद्युत परियोजनाएं अनेकों राज्यों को बिजली भी उपलब्ध कराती हैं. उत्तराखंड के देहरादून जिले के सूदरवर्ती क्षेत्र जौनसार बावर में चकराता के लोरली गांव से निकली अमलावा नदी भी है, जो आगे जाकर कालसी में यमुना नदी में जाकर मिलती है. यह नदी लगभग तीस से पैतीस किलोमीटर की दूरी तय करती है.

Water resources of Jaunsar Bawar
जौनसार बावर का जलस्रोत (Photo- ETV Bharat)

जौनसार बावर की जीवन रेखा है अमलावा नदी: अमलावा नदी के जल से हजारों किसानों को सिंचाई, पशुओं के लिए, पीने के लिए पानी मिलता है. बीते कुछ सालों में बरसात के दिनों में ही इस नदी का जल स्तर बढ़ता हुआ दिखाई देता है. गर्मियों में जल स्तर बहुत ही कम हो जाता है. स्थानीय ग्रामीण ज्ञान सिंह का कहना है कि कुछ सालों से धीरे धीरे नदी का जल स्तर घटता जा रहा है. इसे हम पर्यावरण में बदलाव कह सकते हैं या मानव द्वारा की जा रही पर्यावरण से छेड़छाड़ का नतीजा समझ सकते हैं. अगर हम बात पहाड़ों से बरसात में गिरते झरनों की करें तो इन दिनों पूरे उत्तराखंड से साथ ही जौनसार बावर में जगह जगह झरने दिखाई दे रहे हैं, जो बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. बुर्जुग लोग बताते हैं कि कुछ झरने ऐसे होते थे, जो बारह महीने झरझर गिरते रहते थे. लेकिन कुछ सालों से मौसम में बदलाव के चलते अब बरसात में ही झरने पहाड़ियों से गिरते दिखाई देते हैं.

Water resources of Jaunsar Bawar
जौनसार बावर में सुंदर झरना (Photo- ETV Bharat)

जौनसार बावर में हैं अनेक जलस्रोत: जौनसार के कुरोली गांव के पूरण सिंह राय का कहना है कि हमारे गांव के पास एक कुआं (नौला) है. ये आज भी हमारे गांव के लिए पीने के पानी के लिए उपयोगी है. कुछ सालों पहले इस कुएं में से बहुत पानी भर कर बाहर निकलकर बहता था. अब धीरे धीरे इसका जल स्तर भी घटता जा रहा है. गांव में पेयजल लाइन बिछी है. हर घर पर पानी है, लेकिन गर्मियों में जब पेयजल के स्रोत सूख जाते हैं, तब इस कुएं से गांव के लोग पीने के लिए पानी आज भी भरते हैं. पहले की अपेक्षा कुएं का जलस्तर भी काफी कम हो गया है. पूर्व में कुआं टीन और लकड़ी से ढका रहता था. अब गांव के लोगों द्वारा इसको चारों और से ढक दिया गया है. सामने से ही लोग पानी भरते हैं. पर्यावरण के बदलाव से पानी का स्तर नीचे चला गया है. बरसात के दिनों में कुआं भरकर पानी बाहर बहता था. गर्मियों में पानी भरने के लिए लाइन लगानी पड़ती है.

Water resources of Jaunsar Bawar
जौनसार बावर की अमलावा नदी (Photo- ETV Bharat)

पहले की अपेक्षा घटा है पानी: ग्राम पंचायत नेवी के सहिया में सरला खड्ड पर पेयजल स्रोत पर दो बड़े बड़े पीने के पानी के टैंक बनाए हुए हैं. वैसे तो सहिया वासियों को चौबीसों घंटे पेयजल आपूर्ति होती रहती है, लेकिन कुछ सालों से गर्मियों के दिनों में जलस्रोत में जलस्तर कम हो जाता है. इस कारण से जल संस्थान द्वारा सुबह शाम कुछ समय के लिए पेयजल आपूर्ति को बंद कर दी जाती है, ताकि पेयजल टैंक को भरा जा सके. उसके बाद ही पेयजल आपूर्ति सुचारू की जाती है.

Water resources of Jaunsar Bawar
पुराने समय का जलस्रोत नौला (Photo- ETV Bharat)

उत्तराखंड की प्रमुख 20 नदियां: उत्तराखंड में वैसे तो छोटी-बड़ी अनेक नदियां हैं, लेकिन ये 20 नदियां यहां प्रमुख हैं. इन नदियों में गंगा, यमुना, अलकनंदा, भागीरथी, मंदाकिनी, पाताल गंगा, पिंडर, रामगंगा, काली, भिलंगना, सरस्वती, गौला, गोरी गंगा, धौली, कोसी, गगास, नंदाकिनी, सरयू, गोमती, टोंस शामिल हैं. इनमें गंगा और यमुना नदियां सबसे महत्वपूर्ण हैं. गंगा और यमुना का जहां धार्मिक महत्व है, वहीं ये पीने और सिंचाई की जरूरत को भी पूरा करती हैं. गंगा उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री ग्लेशियर से निकलकर पश्चिम बंगाल में गंगा सागर में मिलने तक 2,525 किलोमीटर की यात्रा करती है. उत्तरकाशी जिले के यमुनोत्री से निकलने वाली यमुना 1,376 किलोमीटर की दूरी तय करके प्रयागराज में गंगा में मिल जाती है.
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Last Updated : Sep 18, 2024, 1:08 PM IST
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