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होम मिनिस्ट्री का राज्यों को सख्त आदेश: जेलों में LGBTQ+ समुदाय के साथ ना हो कोई भेदभाव - MHA On LGBTQ Community In Jails

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 18, 2024, 8:58 AM IST

MHA To States And UTs On LGBTQ+ Community in Jails : राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे गए एक नए पत्र में, गृह मंत्रालय ने उन्हें मॉडल जेल मैनुअल, 2016 और मॉडल जेल और सुधारात्मक सेवा अधिनियम, 2023 की याद दिला दी. मंत्रालय ने कहा कि क्वीर समुदाय के सदस्यों को दूसरों की तरह सभी अधिकार मिलने चाहिए.

MHA On LGBTQ Community In Jails
प्रतीकात्मक तस्वीर. (IANS)

नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और यूटी से जेलों में क्वीर समुदाय (LGBTQ+) के सदस्यों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चत करने को कहा है. मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा है कि जेलों में क्वीर समुदाय (LGBTQ+) के सदस्यों को अक्सर उनकी लिंग पहचान या यौन अभिविन्यास के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है. उनका अनादर किया जाता है और उनके साथ हिंसक बर्ताव भी होता है. गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और यूटी से कहा है कि वे सुनिश्चित करेंगे की क्वीर समुदाय के साथ ऐसा ना हो. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि जेल में मिलने वाली सुविधाओं और सामानों के वितरण में उनके साथ कोई भेद भाव ना हो.

प्रमुख सचिव (गृह मंत्रालय) ने राज्यों और यूटी के डीजी और डीआईजी को पत्र लिखा है. गृह मंत्रालय ने उन्हें सभी स्तरों पर संबंधित अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए भी कहा है. पत्र में कहा गया है कि सभी व्यक्तियों के साथ निष्पक्ष और समान व्यवहार किया जाए.

ईटीवी भारत के पास उस पत्र की एक कॉपी है जिसमें कहा गया है कि एमएचए ने 2023 में 'मॉडल जेल मैनुअल, 2016' और एक 'मॉडल जेल और सुधारात्मक सेवा अधिनियम' तैयार किया है. जिसे सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया था.

2016 के मॉडल जेल मैनुअल का उल्लेख करते हुए, मंत्रालय ने कहा कि प्रत्येक कैदी को अपील की तैयारी के लिए या जमानत के लिए उचित मदद मुहैया करायी जायेगी. इसके अलावा परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और कानूनी सलाहकारों के साथ देखने या संवाद करने के लिए उचित सुविधाओं की अनुमति दी जाएगी. उसकी संपत्ति और पारिवारिक मामलों के प्रबंधन की व्यवस्था भी जेल प्रशासन की जिम्मेदारी होगी.

मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा कि मैनुअल में कहा गया है कि जेल में आते ही प्रत्येक कैदी को ऐसे व्यक्तियों की एक सूची प्रस्तुत करनी चाहिए जिससे वो जेल में रहने के दौरान मुलाकात करना चाहता है. साक्षात्कारों में बातचीत निजी और घरेलू मामलों तक सीमित होगी. ये प्रावधान समान रूप से क्वीर समुदाय के सदस्यों पर लागू होते हैं. वे बिना किसी भेदभाव के अपने पसंद के व्यक्ति से मिल सकते हैं.

मॉडल जेलों और सुधारात्मक सेवा अधिनियम, 2023 के हवाले से, मंत्रालय ने कहा कि कैदी जेल अधिकारियों की उचित निगरानी में, भौतिक या आभासी मोड के माध्यम से अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ संवाद कर सकते हैं. मंत्रालय ने कहा कि कैदियों के आगंतुकों को बायोमेट्रिक सत्यापन/पहचान के माध्यम से सत्यापित/प्रमाणित किया जाएगा.

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नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और यूटी से जेलों में क्वीर समुदाय (LGBTQ+) के सदस्यों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चत करने को कहा है. मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा है कि जेलों में क्वीर समुदाय (LGBTQ+) के सदस्यों को अक्सर उनकी लिंग पहचान या यौन अभिविन्यास के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है. उनका अनादर किया जाता है और उनके साथ हिंसक बर्ताव भी होता है. गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और यूटी से कहा है कि वे सुनिश्चित करेंगे की क्वीर समुदाय के साथ ऐसा ना हो. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि जेल में मिलने वाली सुविधाओं और सामानों के वितरण में उनके साथ कोई भेद भाव ना हो.

प्रमुख सचिव (गृह मंत्रालय) ने राज्यों और यूटी के डीजी और डीआईजी को पत्र लिखा है. गृह मंत्रालय ने उन्हें सभी स्तरों पर संबंधित अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए भी कहा है. पत्र में कहा गया है कि सभी व्यक्तियों के साथ निष्पक्ष और समान व्यवहार किया जाए.

ईटीवी भारत के पास उस पत्र की एक कॉपी है जिसमें कहा गया है कि एमएचए ने 2023 में 'मॉडल जेल मैनुअल, 2016' और एक 'मॉडल जेल और सुधारात्मक सेवा अधिनियम' तैयार किया है. जिसे सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया था.

2016 के मॉडल जेल मैनुअल का उल्लेख करते हुए, मंत्रालय ने कहा कि प्रत्येक कैदी को अपील की तैयारी के लिए या जमानत के लिए उचित मदद मुहैया करायी जायेगी. इसके अलावा परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और कानूनी सलाहकारों के साथ देखने या संवाद करने के लिए उचित सुविधाओं की अनुमति दी जाएगी. उसकी संपत्ति और पारिवारिक मामलों के प्रबंधन की व्यवस्था भी जेल प्रशासन की जिम्मेदारी होगी.

मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा कि मैनुअल में कहा गया है कि जेल में आते ही प्रत्येक कैदी को ऐसे व्यक्तियों की एक सूची प्रस्तुत करनी चाहिए जिससे वो जेल में रहने के दौरान मुलाकात करना चाहता है. साक्षात्कारों में बातचीत निजी और घरेलू मामलों तक सीमित होगी. ये प्रावधान समान रूप से क्वीर समुदाय के सदस्यों पर लागू होते हैं. वे बिना किसी भेदभाव के अपने पसंद के व्यक्ति से मिल सकते हैं.

मॉडल जेलों और सुधारात्मक सेवा अधिनियम, 2023 के हवाले से, मंत्रालय ने कहा कि कैदी जेल अधिकारियों की उचित निगरानी में, भौतिक या आभासी मोड के माध्यम से अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ संवाद कर सकते हैं. मंत्रालय ने कहा कि कैदियों के आगंतुकों को बायोमेट्रिक सत्यापन/पहचान के माध्यम से सत्यापित/प्रमाणित किया जाएगा.

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