शिमला: पिछले साल मानसून सीजन में भारी बारिश के कारण आई आपदा के बावजूद हिमाचल प्रदेश की विकास दर बढ़ी है. प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी हुई है. हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय देश की प्रति व्यक्ति आय से अधिक है. वर्ष 2023-24 में हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय 2,35,199 रुपए है. ये देश की प्रति व्यक्ति आय से 49345 रुपए अधिक है. आपदा के जख्म से उबर कर हिमाचल में पर्यटन सेक्टर भी पटरी पर आ रहा है.
शुक्रवार को हिमाचल विधानसभा के बजट सेशन के दौरान सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 2023-24 की आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट सदन में पेश की. आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में दर्ज किया गया है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में प्रदेश के आर्थिक विकास की दर 7.1 प्रतिशत आंकी गई है. यह विकास दर पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 की विकास दर से 0.2 प्रतिशत अधिक है. पिछले वित्तीय वर्ष में ये विकास दर 6.9 प्रतिशत थी. हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2023-24 में 2 लाख, 35 हजार, 199 रुपए सालाना आंकी गई है. पिछले वित्त वर्ष में ये 2,18,788 रुपए सालाना थी.
रिपोर्ट में बताया गया है कि हिमाचल की आर्थिकी में कृषि क्षेत्र का योगदान लगातार कम हो रहा है. वहीं, उद्योगों व सेवा क्षेत्र यानी सर्विस सेक्टर का योगदान तेजी से बढ़ रहा है. हिमाचल की आर्थिकी में एग्रीकल्चर सेक्टर यानी कृषि क्षेत्र का योगदान 1990-91 के 26.5 प्रतिशत से कम हो कर बीते वित्तीय वर्ष में महज 9.45 प्रतिशत रह गया है. आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा वित्तीय वर्ष में हिमाचल का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 2 लाख, 7430 करोड़ रहने का अनुमान है. बीते वर्ष में हिमाचल की जीएसडीपी एक लाख 91 हजार 728 करोड़ थी. वहीं, 2021-22 में प्रदेश की जीएसडीपी एक लाख 24 हजार 770 करोड़ रुपए रही थी. 2020-21 के मुकाबले हिमाचल की जीएसडीपी में 6.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी मौजूदा वित्त वर्ष में दर्ज की गई है.
गरीबी पर वार, पावर्टी सर्किल से निकले 4.67 लाख लोग
हिमाचल में गरीबी की मार झेल रहे लोग धीरे-धीरे इस दुष्चक्र से बाहर निकलने में कामयाब हो रहे हैं. हिमाचल में 4.67 लाख लोग गरीबी से बाहर आए हैं. प्रदेश में बहुआयामी गरीबी दर 2013.14 में 10.14 प्रतिशत थी. अब यह घटकर पिछले वर्ष तक 3.88 प्रतिशत रह गई है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पर आधारित गरीबी सूचकांक के अनुसार प्रदेश में हेडकाउंट गरीबी दर घट रही है. वहीं, रोजगार के मामले में भी हिमाचल अपने पड़ौसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और अखिल भारतीय स्तर से आगे है.
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण यानी पीएलएफएस के अनुसार हिमाचल प्रदेश के लिए श्रम बल भागीदारी दर सभी आयु वर्ग के लिए 61.3 प्रतिशत रही. वहीं, ये दर उत्तराखंड की 42.5, पंजाब की 42.3, हरियाणा की 36.3 और अखिल भारतीय स्तर की 42.4 फीसदी से अधिक है. सभी उम्र के लिए हिमाचल प्रदेश में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 58.6 प्रतिशत रहा है. वहीं, ये अनुपात उत्तराखंड में 40.6, पंजाब में 39.7, हरियाणा में 34.1 और अखिल भारतीय स्तर पर 41.1 फीसदी है. हिमाचल प्रदेश में 54.8 प्रतिशत महिलाएं पड़ोसी राज्यों व अखिल भारतीय स्तर के 27.0 की तुलना में आर्थिक गतिविधियों में अधिक सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं. बेरोजगारी दर की बात की जाए तो यह हिमाचल प्रदेश में 4.4 फीसदी, उत्तराखंड में 4.5 और पंजाब व हरियाणा में 6.1 प्रतिशत है. यानी हिमाचल में ये सबसे कम है.
पर्यटन सेक्टर में भी सकारात्मक रुझान
कोरोना काल में हिमाचल की आर्थिकी की रीढ़ कहे जाने वाले पर्यटन सेक्टर पर बुरी तरह से मार पड़ी थी. अब ये क्षेत्र उबर रहा है. सैलानियों की संख्या बढ़ रही है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में प्रदेश में एक करोड़ 51 हजार सैलानी आए, जबकि कोरोना से पहले सैलानियों की हिमाचल में आमद एक करोड़ 60 लाख थी. हिमाचल में अब तक सबसे अधिक 1.96 करोड़ पर्यटक वर्ष 2017 में आए थे.
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