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बिहार का वो डॉक्टर जो मुसहर समाज के लिए बना है 'देवता', इनकी सेवा जान आप भी करेंगे सलाम - dr sn jha of jamui - DR SN JHA OF JAMUI

jamui inspirational story: विकास के सबसे निचले पायदान पर खड़े मुसहर समाज के लोगों के लिए बिहार के जमुई के डॉक्टर एस एन झा ने प्रगति पथ तैयार किया है. इस पथ को तैयार करने में पिछले कई सालों से वे लगे हैं. उनके प्रयासों का नतीजा है कि बाल विवाह को ना बोलकर लड़कियां स्कूल जा रही हैं और अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं. डॉक्टर साहब ने 2007 से अब तक 5,000 से अधिक बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने में मदद की है.

dr sn jha of jamui
जमुई के डॉक्टर एस एन झा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 25, 2024, 7:59 PM IST

जमुई: 'मेरे परिजन बचपन में ही मेरी शादी करवाना चाहते थे. मुझे देखने के लिए घर पर मेहमान आने वाले थे, लेकिन मैं घर ही नहीं गई. काफी देर बाद जब घर पहुंची तो पापा मम्मी ने डांटा. मैंने उनसे कहा कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हूं और आगे पढ़ना चाहती हूं. डॉक्टर शंकर नाथ झा ने मुझे काफी मदद की. मैं उनकी संस्था से जुड़ी और उसकी मदद से पढ़ लिखकर एएनएम का कोर्स पूरा कर चुकी हूं.' ईटीवी भारत से बातचीत में सीमा ने अपनी कहानी सुनाई.

शादी से किया इंकार.. नौकरी करने को तैयार: यह सिर्फ एक सीमा की नहीं बल्कि ऐसी कई लड़कियों की कहानी है जिनकी जिंदगी जमुई शहर के नामचीन शिशु रोग विषेशज्ञ डॉक्टर एसएन झा ( शंकर नाथ झा ) ने बदल दी है. ईटीवी भारत से सीमा कुमारी ने कहा कि डॉक्टर एस एन झा और संस्था के सहयोग से आज पढ़ लिखकर एएनएम का कोर्स पूरा कर चुकी हूं. नर्सिंग होम में ट्रेनिंग ले रही हूं. सीमा पिछड़े इलाके के दलित बस्ती के मांझी टोले की रहने वाली है.

जमुई के डॉक्टर एस एन झा (ETV Bharat)

"माता पिता मजदूरी करते हैं. बचपन में ही शादी करने का प्रयास किया गया. परिवार वालों ने लड़के वालों को भी घर बुला लिया, लेकिन मैंने ठान लिया था कि शादी नहीं करनी है. पढ़ लिखकर कुछ बनना था. मैंने अपने परिजनों से कहा कि मुझे नौकरी करनी है. बाद में परिवार वाले भी मान गए."- सीमा कुमारी

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बीए करने वाली गांव की पहली लड़की सीमा (ETV Bharat)

बीए करने वाली गांव की पहली लड़की सीमा : आज सीमा अपने गांव 'कटका ' की पहली लड़की है जिसने बीए की पढाई की है. एएनएम का कोर्स भी पूरा कर लिया और ट्रेंनिग कर रही है. जॉब के लिऐ अपनी पढ़ाई पूरी करने के साथ- साथ सीमा, समग्र सेवा संस्था द्वारा खोले गए सेंटर में बच्चों को पढ़ाती भी है. सीमा ने खुद अपने बाल विवाह को रोका और गांव- गांव जाकर दूसरे लोगों को भी जागरूक कर रही है. सीम जैसी और भी कई लड़कियां अपने-अपने क्षेत्र में इसी प्रकार से डॉक्टर एस एन झा और संस्था के सहयोग से पढ़ लिखकर विकास की राह में आगे बढ़ रही हैं.

70 साल के डॉक्टर की कोशिश ला रही रंग: वहीं जमुई शहर के नामचीन चिकित्सक शिशु रोग विषेशज्ञ एस एन झा (शंकर नाथ झा) की उम्र लगभग 70 वर्ष है. 1960 से ही समाजसेवा के काम में जुड़े हैं. लगभग दो दशक से भी अधिक समय से जिलेभर के सुदूरवर्ती दुर्गम नक्सल प्रभावित इलाकों, गांवों के मुसहर टोले में जाकर छोटे - छोटे बच्चों को शिक्षा से जोड़ रहे हैं. उनके परिवार को जागरूक कर बाल विवाह, दहेजप्रथा , छुआछूत जैसी कुरीतियों के रोकथाम के लिए कदम उठाते हैं.

"मकसद है मुसहर समाज के छोटे- छोटे बच्चों को मजदूरी करने से रोकना, शिक्षा से जोड़ना, उनके माता-पिता को जागरूक करना ,बाल विवाह, दहेज प्रथा छुआछूत जैसी कुरीतियों पर अंकुश लगाना. मैं प्रयास कर रहा हूं, बदलाव हो रहा है, धीरे-धीरे ही सही सब ठीक होगा. एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी."- एसएन झा, शिशु रोग विषेशज्ञ

शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक की सुविधा: एसएन झा मुसहर समुदाय के बच्चों खासकर बच्चियों को शिक्षा से जोड़ने का अनवरत अथक प्रयास कर रहे हैं. साथ ही ग्रामीण पिछड़े इलाकों में निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा भी दे रहे हैं. जिले भर के प्रतिभावान आर्थिक रूप से विपन्न खिलाड़ियों की भी हर संभव मदद कर रहे हैं. डॉक्टर एस एन झा बताते हैं कि यह प्रयास जारी है. धीरे - धीरे ही सही बदलाव हो रहा है.

'मुसहर समाज के बच्चों को मिल रही शिक्षा': उन्होंने आगे कहा कि पहले शिक्षा से विमुख छोटे - छोटे बच्चे बाल मजदूरी से जुड़ जाते थे. अपने परिवार के साथ ईंट भट्ठा चिमनी होटल गैराज आदि स्थानों पर मजदूरी करने लगते थे. इतना ही नहीं बाल विवाह भी बहुत होते थे, लेकिन अब मुसहर समाज के बच्चे भी मैट्रिक, इंटर , बीए कर रहे हैं. शिक्षित होकर नौकरी रोजगार कर रहे हैं.

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मकेश्वर, सदस्य, समग्र सेवा संस्था (ETV Bharat)

'समग्र सेवा संस्था कर रही लोगों को जागरुक': डॉक्टर एस एन झा ने बताया कि समग्र सेवा संस्था इस काम में लगी है. दुर्गम पिछड़े इलाकों में जाकर संस्था की टीम काम कर रही है. बच्चों को शिक्षित करने का उनके परिवार को जागरूक किया जाता है. मुसहर समाज के उत्थान के लिए उनका शिक्षित होना बेहद जरूरी है. समग्र सेवा संस्थान जो खासकर दुर्गम पिछड़े इलाके, जहां न तो सरकारी स्कूल है न ही सरकारी स्वास्थ्य केंद्र है और ना ही सरकार की विकास योजनाएं पहुंच पा रही है, वैसे इलाकों में जाकर लोगों को जागरूक करता है. संस्था का सेंटर खोलकर बच्चो को शिक्षित किया जाता है.

"मैं संस्था से जुड़ा हूं. संस्था पिछड़े बच्चों के लिए काम करता है. बच्चे परिवार के साथ काम के लिए पलायन कर जाते हैं और चिमनी भट्ठा में काम करते हैं. इनकी शिक्षा जीरो होती है. बच्चियां भी स्कूल छोड़ देती हैं और काम करने लगती हैं या बाल विवाह हो जाता है. अब बच्चे नियमित स्कूल आते हैं. हमारा उद्देश्य बच्चों को सरकारी स्कूल से जोड़ना है. सरकारी कार्यक्रमों के सहारे हम मुसहर समाज के बच्चों को आगे लेकर जा रहे हैं."- मकेश्वर, सदस्य, समग्र सेवा संस्था

5000 से अधिक बच्चों को किया जा चुका है शिक्षित: समग्र सेव संस्था मददगार से सहायता लेकर उसे बच्चों तक पहुंचाने का काम करती है. स्कूल, स्वास्थ्य की सुविधा मुसहर समाज तक पहुंचाया जाता है. साथ ही बच्चों के पढ़ाई से संबंधित सामानों का वितरण भी संस्था द्वारा किया जाता है. इसके साथ ही साइकिल, सिलाई मशीन, दवाईयां लड़कियों के कुछ जरूरी सामान आदि निःशुल्क दिए जाते हैं. जानकारी के अनुसार जिले भर के विभिन्न इलाकों में संस्था के लगभग 120 सेंटर अभी काम कर रहे हैं. 5000 से अधिक ऐसे बच्चों को शिक्षित कर सरकारी स्कूलों से जोड़ा जा चुका है. सैकड़ों ऐसे बच्चे हैं जो अपने - अपने गांव के शिक्षित बच्चे बन गए हैं और अब दूसरे लोगों को जागरूक कर रहे हैं.

बिहार सरकार से मिल चुका है सम्मान: नवंबर 2021 में देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) की जयंती के मौके पर बिहार सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने के लिए जमुई के डॉ. शंकर नाथ झा (Dr. Shankar Nath Jha) को सम्मानित भी किया था. 'अब्दुल कलाम आजाद पुरस्कार' से उन्हें नवाजा गया था.

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एस एन झा का सीएम नीतीश कर चुके हैं सम्मान (ETV Bharat)

बाल विवाह में बिहार अव्वल: 2022-23 में बाल विवाह मुक्त भारत गठबंधन (CMFI) 59,364 बाल विवाह रोकने में सफल रहा है. सबसे ज़्यादा बाल विवाह बिहार से हुए हैं. जिन शीर्ष पांच राज्यों में बाल विवाह रोके गए उनमें बिहार (31%), पश्चिम बंगाल (11%), उत्तर प्रदेश (11%), झारखंड (10%) और राजस्थान (7%) शामिल हैं.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

इन जिलों में सबसे अधिक बाल विवाह: बता दें कि बिहार में करीब 41 प्रतिशत लड़कियां, जिनमें 10 में से 4 की 18 वर्ष की आयु तक पहुंचने से पहले शादी कर दी जाती है. 2022-23 में बिहार में 9551 बाल विवाह रोके गए. बिहार के जमुई, सुपौल, पूर्णिया, सहरसा और बेगूसराय जिले से अक्सर बाल विवाह की खबरें आती हैं.

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जमुई: 'मेरे परिजन बचपन में ही मेरी शादी करवाना चाहते थे. मुझे देखने के लिए घर पर मेहमान आने वाले थे, लेकिन मैं घर ही नहीं गई. काफी देर बाद जब घर पहुंची तो पापा मम्मी ने डांटा. मैंने उनसे कहा कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हूं और आगे पढ़ना चाहती हूं. डॉक्टर शंकर नाथ झा ने मुझे काफी मदद की. मैं उनकी संस्था से जुड़ी और उसकी मदद से पढ़ लिखकर एएनएम का कोर्स पूरा कर चुकी हूं.' ईटीवी भारत से बातचीत में सीमा ने अपनी कहानी सुनाई.

शादी से किया इंकार.. नौकरी करने को तैयार: यह सिर्फ एक सीमा की नहीं बल्कि ऐसी कई लड़कियों की कहानी है जिनकी जिंदगी जमुई शहर के नामचीन शिशु रोग विषेशज्ञ डॉक्टर एसएन झा ( शंकर नाथ झा ) ने बदल दी है. ईटीवी भारत से सीमा कुमारी ने कहा कि डॉक्टर एस एन झा और संस्था के सहयोग से आज पढ़ लिखकर एएनएम का कोर्स पूरा कर चुकी हूं. नर्सिंग होम में ट्रेनिंग ले रही हूं. सीमा पिछड़े इलाके के दलित बस्ती के मांझी टोले की रहने वाली है.

जमुई के डॉक्टर एस एन झा (ETV Bharat)

"माता पिता मजदूरी करते हैं. बचपन में ही शादी करने का प्रयास किया गया. परिवार वालों ने लड़के वालों को भी घर बुला लिया, लेकिन मैंने ठान लिया था कि शादी नहीं करनी है. पढ़ लिखकर कुछ बनना था. मैंने अपने परिजनों से कहा कि मुझे नौकरी करनी है. बाद में परिवार वाले भी मान गए."- सीमा कुमारी

dr sn jha of jamui
बीए करने वाली गांव की पहली लड़की सीमा (ETV Bharat)

बीए करने वाली गांव की पहली लड़की सीमा : आज सीमा अपने गांव 'कटका ' की पहली लड़की है जिसने बीए की पढाई की है. एएनएम का कोर्स भी पूरा कर लिया और ट्रेंनिग कर रही है. जॉब के लिऐ अपनी पढ़ाई पूरी करने के साथ- साथ सीमा, समग्र सेवा संस्था द्वारा खोले गए सेंटर में बच्चों को पढ़ाती भी है. सीमा ने खुद अपने बाल विवाह को रोका और गांव- गांव जाकर दूसरे लोगों को भी जागरूक कर रही है. सीम जैसी और भी कई लड़कियां अपने-अपने क्षेत्र में इसी प्रकार से डॉक्टर एस एन झा और संस्था के सहयोग से पढ़ लिखकर विकास की राह में आगे बढ़ रही हैं.

70 साल के डॉक्टर की कोशिश ला रही रंग: वहीं जमुई शहर के नामचीन चिकित्सक शिशु रोग विषेशज्ञ एस एन झा (शंकर नाथ झा) की उम्र लगभग 70 वर्ष है. 1960 से ही समाजसेवा के काम में जुड़े हैं. लगभग दो दशक से भी अधिक समय से जिलेभर के सुदूरवर्ती दुर्गम नक्सल प्रभावित इलाकों, गांवों के मुसहर टोले में जाकर छोटे - छोटे बच्चों को शिक्षा से जोड़ रहे हैं. उनके परिवार को जागरूक कर बाल विवाह, दहेजप्रथा , छुआछूत जैसी कुरीतियों के रोकथाम के लिए कदम उठाते हैं.

"मकसद है मुसहर समाज के छोटे- छोटे बच्चों को मजदूरी करने से रोकना, शिक्षा से जोड़ना, उनके माता-पिता को जागरूक करना ,बाल विवाह, दहेज प्रथा छुआछूत जैसी कुरीतियों पर अंकुश लगाना. मैं प्रयास कर रहा हूं, बदलाव हो रहा है, धीरे-धीरे ही सही सब ठीक होगा. एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी."- एसएन झा, शिशु रोग विषेशज्ञ

शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक की सुविधा: एसएन झा मुसहर समुदाय के बच्चों खासकर बच्चियों को शिक्षा से जोड़ने का अनवरत अथक प्रयास कर रहे हैं. साथ ही ग्रामीण पिछड़े इलाकों में निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा भी दे रहे हैं. जिले भर के प्रतिभावान आर्थिक रूप से विपन्न खिलाड़ियों की भी हर संभव मदद कर रहे हैं. डॉक्टर एस एन झा बताते हैं कि यह प्रयास जारी है. धीरे - धीरे ही सही बदलाव हो रहा है.

'मुसहर समाज के बच्चों को मिल रही शिक्षा': उन्होंने आगे कहा कि पहले शिक्षा से विमुख छोटे - छोटे बच्चे बाल मजदूरी से जुड़ जाते थे. अपने परिवार के साथ ईंट भट्ठा चिमनी होटल गैराज आदि स्थानों पर मजदूरी करने लगते थे. इतना ही नहीं बाल विवाह भी बहुत होते थे, लेकिन अब मुसहर समाज के बच्चे भी मैट्रिक, इंटर , बीए कर रहे हैं. शिक्षित होकर नौकरी रोजगार कर रहे हैं.

dr sn jha of jamui
मकेश्वर, सदस्य, समग्र सेवा संस्था (ETV Bharat)

'समग्र सेवा संस्था कर रही लोगों को जागरुक': डॉक्टर एस एन झा ने बताया कि समग्र सेवा संस्था इस काम में लगी है. दुर्गम पिछड़े इलाकों में जाकर संस्था की टीम काम कर रही है. बच्चों को शिक्षित करने का उनके परिवार को जागरूक किया जाता है. मुसहर समाज के उत्थान के लिए उनका शिक्षित होना बेहद जरूरी है. समग्र सेवा संस्थान जो खासकर दुर्गम पिछड़े इलाके, जहां न तो सरकारी स्कूल है न ही सरकारी स्वास्थ्य केंद्र है और ना ही सरकार की विकास योजनाएं पहुंच पा रही है, वैसे इलाकों में जाकर लोगों को जागरूक करता है. संस्था का सेंटर खोलकर बच्चो को शिक्षित किया जाता है.

"मैं संस्था से जुड़ा हूं. संस्था पिछड़े बच्चों के लिए काम करता है. बच्चे परिवार के साथ काम के लिए पलायन कर जाते हैं और चिमनी भट्ठा में काम करते हैं. इनकी शिक्षा जीरो होती है. बच्चियां भी स्कूल छोड़ देती हैं और काम करने लगती हैं या बाल विवाह हो जाता है. अब बच्चे नियमित स्कूल आते हैं. हमारा उद्देश्य बच्चों को सरकारी स्कूल से जोड़ना है. सरकारी कार्यक्रमों के सहारे हम मुसहर समाज के बच्चों को आगे लेकर जा रहे हैं."- मकेश्वर, सदस्य, समग्र सेवा संस्था

5000 से अधिक बच्चों को किया जा चुका है शिक्षित: समग्र सेव संस्था मददगार से सहायता लेकर उसे बच्चों तक पहुंचाने का काम करती है. स्कूल, स्वास्थ्य की सुविधा मुसहर समाज तक पहुंचाया जाता है. साथ ही बच्चों के पढ़ाई से संबंधित सामानों का वितरण भी संस्था द्वारा किया जाता है. इसके साथ ही साइकिल, सिलाई मशीन, दवाईयां लड़कियों के कुछ जरूरी सामान आदि निःशुल्क दिए जाते हैं. जानकारी के अनुसार जिले भर के विभिन्न इलाकों में संस्था के लगभग 120 सेंटर अभी काम कर रहे हैं. 5000 से अधिक ऐसे बच्चों को शिक्षित कर सरकारी स्कूलों से जोड़ा जा चुका है. सैकड़ों ऐसे बच्चे हैं जो अपने - अपने गांव के शिक्षित बच्चे बन गए हैं और अब दूसरे लोगों को जागरूक कर रहे हैं.

बिहार सरकार से मिल चुका है सम्मान: नवंबर 2021 में देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) की जयंती के मौके पर बिहार सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने के लिए जमुई के डॉ. शंकर नाथ झा (Dr. Shankar Nath Jha) को सम्मानित भी किया था. 'अब्दुल कलाम आजाद पुरस्कार' से उन्हें नवाजा गया था.

dr sn jha of jamui
एस एन झा का सीएम नीतीश कर चुके हैं सम्मान (ETV Bharat)

बाल विवाह में बिहार अव्वल: 2022-23 में बाल विवाह मुक्त भारत गठबंधन (CMFI) 59,364 बाल विवाह रोकने में सफल रहा है. सबसे ज़्यादा बाल विवाह बिहार से हुए हैं. जिन शीर्ष पांच राज्यों में बाल विवाह रोके गए उनमें बिहार (31%), पश्चिम बंगाल (11%), उत्तर प्रदेश (11%), झारखंड (10%) और राजस्थान (7%) शामिल हैं.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

इन जिलों में सबसे अधिक बाल विवाह: बता दें कि बिहार में करीब 41 प्रतिशत लड़कियां, जिनमें 10 में से 4 की 18 वर्ष की आयु तक पहुंचने से पहले शादी कर दी जाती है. 2022-23 में बिहार में 9551 बाल विवाह रोके गए. बिहार के जमुई, सुपौल, पूर्णिया, सहरसा और बेगूसराय जिले से अक्सर बाल विवाह की खबरें आती हैं.

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