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खुले गए तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के कपाट, यहां भुजा के रूप में विद्यमान हैं भगवान शिव - Tungnath temple door open

तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के कपाट भी आज दस मई शुक्रवार को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए है. तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव भुजा के रूप में विद्यमान हैं. इसीलिए यहां पर भगवान शिव की भुजाओं की पूजा होती है.

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खुले गए तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 10, 2024, 3:21 PM IST

रुद्रप्रयाग: आज दस मई शुक्रवार को गंगोत्री-यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2024 की विधिवत शुरुआत हो गई है. 12 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे. वहीं आज तीनों धामों के कपाट खुलने के साथ ही तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट भी मंत्रोचारण के साथ विधि-विधान से खोले गए हैं.

इस मौके पर तुंगनाथ मंदिर को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया था. पहले दिन करीब ढाई हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा तुंगनाथ के दर्शन किए. बता दें कि तुंगनाथ की उत्सव डोली 7 मई को मर्केटेश्वर मंदिर से भूतनाथ मंदिर प्रवास के लिए आ गयी थी. 9 मई को चोपता में प्रवास कर आज 10 मई को सुबह डोली तुंगनाथ मंदिर पहुंची.

डोली पहुंचने के बाद आज दस मई को दोपहर 12 बजे तुंगनाथ मंदिर के कपाट विधि-विधान से खोल दिए गए. कपाट खुलने के पश्चात भगवान श्री तुंगनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप से जगाकर श्रृंगार रूप दिया गया. उसके बाद श्रद्धालुओं ने दर्शन किए.

श्री तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ में इस दौरान मठापति रामप्रसाद मैठाणी, प्रबंधक बलबीर नेगी, पुजारी प्रकाश मैठाणी और विनोद मैठाणी सहित मंदिर समिति के अधिकारी कर्मचारी एवं स्थानीय हक-हकूकधारी मौजूद थे.

तुंगनाथ मंदिर की मान्यता: तुंगनाथ मंदिर पंचकेदार (तुंगनाथ, केदारनाथ, मध्य महेश्वर, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर) में सबसे ऊंचाई पर स्थित है. धार्मिक मान्यतों के अनुसार यहां पर शिवजी भुजा के रूप में विद्यमान हैं. इसीलिए तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव की भुजाओं की पूजा होती है.

कैसे पहुंचे तुंगनाथ मंदिर?: तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. तुंगनाथ मंदिर पंच केदारों में सबसे ऊंचा मंदिर है, जो करीब एक हजार साल पुराना है. बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भी पांडवों ने ही कराया था. मंदिर चोपता से तीन किमी दूर स्थित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को शादी के लिए प्रसन्न करने के लिए माता पार्वती ने यहां पर तपस्या की थी.

तुंगनाथ मंदिर जाने के लिए दो रास्ते है. पहला ऋषिकेश से गोपेश्व होकर. ऋषिकेश से गोपेश्वर की दूरी करीब 212 किमी की है. वहीं गोपेश्वर से चोपता की दूरी करीब 40 किमी की है. चोपता से आपको करीब तीन किमी की चढ़ाई चढ़नी पड़ेगी. वहीं ऋषिकेश से ऊखीमठ होते हुए भी चोपता जा सकते है. ऋषिकेश तक आप रेल और हवाई दोनों मार्ग से पहुंच सकते है.

पढ़ें-

गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ हुआ चारधाम का आगाज, जयकारों से भक्तिमय हुआ वातावरण

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इस मौके पर तुंगनाथ मंदिर को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया था. पहले दिन करीब ढाई हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा तुंगनाथ के दर्शन किए. बता दें कि तुंगनाथ की उत्सव डोली 7 मई को मर्केटेश्वर मंदिर से भूतनाथ मंदिर प्रवास के लिए आ गयी थी. 9 मई को चोपता में प्रवास कर आज 10 मई को सुबह डोली तुंगनाथ मंदिर पहुंची.

डोली पहुंचने के बाद आज दस मई को दोपहर 12 बजे तुंगनाथ मंदिर के कपाट विधि-विधान से खोल दिए गए. कपाट खुलने के पश्चात भगवान श्री तुंगनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप से जगाकर श्रृंगार रूप दिया गया. उसके बाद श्रद्धालुओं ने दर्शन किए.

श्री तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ में इस दौरान मठापति रामप्रसाद मैठाणी, प्रबंधक बलबीर नेगी, पुजारी प्रकाश मैठाणी और विनोद मैठाणी सहित मंदिर समिति के अधिकारी कर्मचारी एवं स्थानीय हक-हकूकधारी मौजूद थे.

तुंगनाथ मंदिर की मान्यता: तुंगनाथ मंदिर पंचकेदार (तुंगनाथ, केदारनाथ, मध्य महेश्वर, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर) में सबसे ऊंचाई पर स्थित है. धार्मिक मान्यतों के अनुसार यहां पर शिवजी भुजा के रूप में विद्यमान हैं. इसीलिए तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव की भुजाओं की पूजा होती है.

कैसे पहुंचे तुंगनाथ मंदिर?: तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. तुंगनाथ मंदिर पंच केदारों में सबसे ऊंचा मंदिर है, जो करीब एक हजार साल पुराना है. बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भी पांडवों ने ही कराया था. मंदिर चोपता से तीन किमी दूर स्थित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को शादी के लिए प्रसन्न करने के लिए माता पार्वती ने यहां पर तपस्या की थी.

तुंगनाथ मंदिर जाने के लिए दो रास्ते है. पहला ऋषिकेश से गोपेश्व होकर. ऋषिकेश से गोपेश्वर की दूरी करीब 212 किमी की है. वहीं गोपेश्वर से चोपता की दूरी करीब 40 किमी की है. चोपता से आपको करीब तीन किमी की चढ़ाई चढ़नी पड़ेगी. वहीं ऋषिकेश से ऊखीमठ होते हुए भी चोपता जा सकते है. ऋषिकेश तक आप रेल और हवाई दोनों मार्ग से पहुंच सकते है.

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