ETV Bharat / bharat

गंगा में डूबे यूपी के डिप्टी डायरेक्टर को कहीं जानवर तो नहीं खा गए, गोताखोरों की आशंका से टूटी परिवार की उम्मीद, सर्च अभियान का बढ़ा दायरा, अब 65 KM तक तलाश - Unnao Nanamau Aditya Vardhan

उन्नाव के नानामऊ घाट पर गंगा में नहाते समय स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर गंगा में डूब गए थे. पिछले 5 दिन से उनकी तलाश चल रही है. इसके बावजूद उनका पता नहीं चल पाया है. आज छठवें दिन फिर से उनकी तलाश की जा रही है.

डिप्टी डायरेक्टर की तलाश के लिए प्रशासन ने झोंकी ताकत.
डिप्टी डायरेक्टर की तलाश के लिए प्रशासन ने झोंकी ताकत. (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 3, 2024, 12:16 PM IST

Updated : Sep 5, 2024, 2:19 PM IST

कानपुर : दोस्तों के साथ गंगा में नहाने गए स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर उन्नाव के नानामऊ घाट पर डूब गए थे. घटना शनिवार की है. 5 दिनों की तलाश के बावजूद उनका पता नहीं चल पाया है. आज छठवें दिन भी सर्च अभियान जारी है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल पुलिस, गोताखोरों की करीब 100 लोगों की टीम नदी का चप्पा-चप्पा छान रही है. नौसेना के गोताखोर भी लगाए गए हैं. ड्रोन का भी सहारा लिया जा रहा है. वहीं एनडीआरएफ के गोताखोरों ने आशंका जताई है कि डिप्टी डायरेक्टर को या तो जानवर खा गए या वह बहकर कहीं कटान की मिट्टी में दब गए. पीएसी के जवानों ने भी ऐसी की आशंका जताई है. इससे परिवार के लोगों की उम्मीद टूटती नजर आ रही है. पांचवें दिन घाट पर परिवार का कोई सदस्य नहीं पहुंचा. वहीं अब करीब 65 किमी के दायरे में तलाश की जा रही है. पहले यह दायरा 30 किमी ही था,

ड्रोन की मदद से भी तलाश की गई. (Video Credit; ETV Bharat)

डिप्टी डायरेक्टर का पता न चलने के कई कारण : गोताखोरों के अनुसार आम तौर पानी में डूबकर अगर किसी की मौत होती है तो 24 घंटे में बॉडी फूलकर ऊपर आ जाती है. अगर डिप्टी डायरेक्टर की मौत हुई है तो ऐसा ही होना चाहिए था, लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा है. हो सकता है कि डिप्टी डायरेक्टर डूबन के बाद रेत में दब गए हो. काफी ज्यादा मात्रा में रेत उनके ऊपर आ गई हो, इससे वह ऊपर नहीं आ पाए. कई जगहों पर गंगा किनारों पर कटान भी कर रही है. वह इसकी मिट्टी में भी दबे हो सकते हैं. कोई जानवर भी खा सकता है. डीसीपी वेस्ट राजेश कुमार सिंह के अनुसार ड्रोन के जरिए भी तलाश की गई, लेकिन पता नहीं चल पाया. नानमऊ घाट, शिवराजपुर से कानपुर तक तलाशा गया लेकिन पता नहीं चला.

एसडीएम बिल्हौर रश्मि लांबा ने बताया कि गंगा का जलस्तर गिरा है. डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन जिस स्थान पर डूबे थे वहां की ड्रेजिंग (तल से मलबा हटाने की प्रक्रिया) भी कराई जा सकती है. बिठूर से लेकर गंगा बैराज तक एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल पुलिस, गोताखोरों की टीम ने एक बार फिर से सुबह से ही सर्च अभियान शुरू कर दिया है. बीच धारा से लेकर गंगा की लहरों के साथ ही किनारों पर झाड़ियों की भी कांबिंग कराई जा रही है. टीमों ने आदित्यवर्धन को तलाशने में पूरा जोर लगा दिया है.

घाट पर हमेशा लोगों की भीड़ जुटी रहती है.
घाट पर हमेशा लोगों की भीड़ जुटी रहती है. (Photo Credit; ETV Bharat)

परिजन घाट पर डटे : वाराणसी में स्वास्थ्य विभाग में उपनिदेशक आदित्य वर्धन शनिवार की सुबह बिल्हौर के नाना मऊ घाट पर डूब गए थे. उनके परिजन लगातार कानपुर आ रहे हैं. सोमवार को ऑस्ट्रेलिया से उनके पिता रमेश सिंह, मां शशि प्रभा कानपुर आ गए थे. उनके चचेरे भाई बिहार सीएम के सचिव अनुपम सिंह लगातार तीन दिनों से नाना मऊ घाट पर ही बैठे हैं. कानपुर के जिला प्रशासन के अफसर से भी अनुपम सिंह संपर्क बनाए हुए हैं. परिजनों का कहना है कि जब तक आदित्य वर्धन का कुछ पता नहीं लगता कब तक वह कानपुर में ही मौजूद रहेंगे. मौजूदा समय में आदित्य वर्धन की बहन प्रज्ञा व गुड़िया, मां शशि प्रभा, पिता रमेश सिंह समेत कई अन्य परिजन मौजूद हैं.

घाट पर मौजूद रिश्तेदारों की मायूसी वक्त के साथ बढ़ती जा रही है.
घाट पर मौजूद रिश्तेदारों की मायूसी वक्त के साथ बढ़ती जा रही है. (Photo Credit; ETV Bharat)

गंगा की लहरों में कैसे समा गए तैराक आदित्य वर्धन : बताया जा रहा है कि डिप्टी डायरेक्टर अच्छे तैराक माने जाते हैं. उन्हें तैरीकी में खुद पर पूरा भरोसा था. घाट पर नहाने आए उनके साथ के लोग भी इसे लेकर बेफिक्र थे. घाट के किनारे डिप्टी डायरेक्टर पास के मंदिर में सेवारत पवन उपाध्याय समेत अन्य के साथ वहां पहुंचे थे. पवन नहाकर बाहर निकल आए थे. डिप्टी डायरेक्टर जब डूबने लगे तो उन्होंने चेताया लेकिन उनके साथ आए लोगों ने समझा कि वह तैर रहे हैं. तैराक भला कैसे डूब सकता है, इसी अति आत्मविश्वास और गलतफहमी में डिप्टी डायरेक्टर डूब गए.

गोताखोरों की कई टीमों को तलाश के लिए लगाया गया है.
गोताखोरों की कई टीमों को तलाश के लिए लगाया गया है. (Photo Credit; ETV Bharat)

गंगा बैराज बना छावनी, 24 घंटे पुलिस की मौजूदगी : डिप्टी डायरेक्टर की तलाश के लिए लगातार टीमें काम कर रही हैं. गंगा बैराज पूरी तरह छावनी बन गया है. कुल 3 शिफ्टों में ड्यूटी लगाई गई है. करीब 75 पुलिस कर्मियों को सर्च अभियान में शामिल किया गया है. एसडीआरएफ के 12 जवान, करीब 15 निजी गोताखोर, पीएसी गोताखोर टीम के 10 जवान आदि सर्च अभियान चला रहे हैं. पुलिस कर्मियों की निगाहें गंगा की लहरों पर हैं. जरा सी भी हलचल दिखने पर पुलिसकर्मी चौकन्ने हो जाते हैं.

ड्रोन भी नहीं ढूंढ पायाः दरअसल, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल पुलिस व गोताखोरों की ओर से मंगलवार को उपनिदेशक स्वास्थ्य आदित्य वर्धन सिंह की तलाश में ड्रोन से सर्च अभियान शुरू किया गया था. कई घंटों तक ड्रोन से सर्च कराने के बावजूद उक्त टीम के सदस्यों को कोई सफलता नहीं मिली. ड्रोन से सर्च के अलावा टीम के सदस्यों ने गंगा की तेज लहरों के बीच मोटरबोट व स्ट्रीमर की मदद से आदित्यवर्धन सिंह को ढूंढा, लेकिन नतीजा सिफर रहा. वहीं, सुबह से घाट पर पहुंचे परिजन गुमसुम होकर दोपहर तक तो मौजूद रहे. मगर देर शाम वह भी मायूस होकर वापस लौट गए. जिला प्रशासन के आला अफसरों ने परिजनों को ढांढस बंधाया और कहा कि स्वास्थ्य विभाग में उप निदेशक आदित्यवर्धन सिंह को तलाशने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं.

गंगा के दोनों ओर कई किलोमीटर तक स्ट्रेच पर भी होगी तलाश: एसडीएम बिल्हौर रश्मि लांबा ने बताया कि मंगलवार सुबह करीब आठ बजे से ही गंगा में सर्च अभियान शुरू कर दिया गया था. बुधवार सुबह आठ बजे से फिर से एनडीआरएफ व एसडीआरएफ टीम के सदस्य गंगा में बिल्हौर से लेकर गंगा बैराज तक लगभग 30 किलोमीटर से अधिक गंगा के दोनों किनारों (स्ट्रेच एरिया) पर भी सर्च अभियान जारी रखेंगे. बिल्हौर थाना प्रभारी अशोक सरोज ने बताया कि मंगलवार को आदित्य वर्धन सिंह के पिता रमेश सिंह की ओर से तहरीर देकर गुमशुदगी दर्ज कराई गई है.

बड़े पदों पर तैनात है डिप्टी डायरेक्टर के परिवार के सदस्य : मामला हाई-प्रोफाइल होने के कारण प्रशासन हर वह मुमकिन कदम उठाने के तैयार है जिससे डिप्टी डायरेक्टर का पता लगाया जा सके. डिप्टी डायरेक्टर की पत्नी श्रेया मिश्रा महाराष्ट्र में एडीजे हैं. बेटी उनके साथ ही रहती है. डिप्टी डायरेक्ट के चचेरे भाई अनुपम बिहार के सीएम नीतीश के सचिव हैं. इसके अलावा बहन प्रज्ञा ऑस्ट्रेलिया में रहती है. वह वहां सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. रिश्तेदर लगातार एक-दूसरे से फोन पर अपडेट ले रहे हैं.

यह हुई थी घटना : उन्नाव के बांगरमऊ इलाके के गांव कबीरपुर के रहने वाले आदित्य वर्धन की तैनाती वाराणसी में है. वह लखनऊ के इंदिरा नगर कॉलोनी में रह रहे थे. वह वहां से कार से दो दोस्तों के साथ नानमऊ घाट पर पहुंचे थे. इस दौरान नहाते समय वह गंगा में डूब गए. तब से उनकी तलाश चल रही है.

यह भी पढ़ें : कानपुर में गंगा में डूबे स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर; आस्ट्रेलिया से सीधे घाट पर पहुंचे माता-पिता बेटे को पुकारते रहे; चौथे दिन का सर्च अभियान शुरू

कानपुर : दोस्तों के साथ गंगा में नहाने गए स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर उन्नाव के नानामऊ घाट पर डूब गए थे. घटना शनिवार की है. 5 दिनों की तलाश के बावजूद उनका पता नहीं चल पाया है. आज छठवें दिन भी सर्च अभियान जारी है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल पुलिस, गोताखोरों की करीब 100 लोगों की टीम नदी का चप्पा-चप्पा छान रही है. नौसेना के गोताखोर भी लगाए गए हैं. ड्रोन का भी सहारा लिया जा रहा है. वहीं एनडीआरएफ के गोताखोरों ने आशंका जताई है कि डिप्टी डायरेक्टर को या तो जानवर खा गए या वह बहकर कहीं कटान की मिट्टी में दब गए. पीएसी के जवानों ने भी ऐसी की आशंका जताई है. इससे परिवार के लोगों की उम्मीद टूटती नजर आ रही है. पांचवें दिन घाट पर परिवार का कोई सदस्य नहीं पहुंचा. वहीं अब करीब 65 किमी के दायरे में तलाश की जा रही है. पहले यह दायरा 30 किमी ही था,

ड्रोन की मदद से भी तलाश की गई. (Video Credit; ETV Bharat)

डिप्टी डायरेक्टर का पता न चलने के कई कारण : गोताखोरों के अनुसार आम तौर पानी में डूबकर अगर किसी की मौत होती है तो 24 घंटे में बॉडी फूलकर ऊपर आ जाती है. अगर डिप्टी डायरेक्टर की मौत हुई है तो ऐसा ही होना चाहिए था, लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा है. हो सकता है कि डिप्टी डायरेक्टर डूबन के बाद रेत में दब गए हो. काफी ज्यादा मात्रा में रेत उनके ऊपर आ गई हो, इससे वह ऊपर नहीं आ पाए. कई जगहों पर गंगा किनारों पर कटान भी कर रही है. वह इसकी मिट्टी में भी दबे हो सकते हैं. कोई जानवर भी खा सकता है. डीसीपी वेस्ट राजेश कुमार सिंह के अनुसार ड्रोन के जरिए भी तलाश की गई, लेकिन पता नहीं चल पाया. नानमऊ घाट, शिवराजपुर से कानपुर तक तलाशा गया लेकिन पता नहीं चला.

एसडीएम बिल्हौर रश्मि लांबा ने बताया कि गंगा का जलस्तर गिरा है. डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन जिस स्थान पर डूबे थे वहां की ड्रेजिंग (तल से मलबा हटाने की प्रक्रिया) भी कराई जा सकती है. बिठूर से लेकर गंगा बैराज तक एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल पुलिस, गोताखोरों की टीम ने एक बार फिर से सुबह से ही सर्च अभियान शुरू कर दिया है. बीच धारा से लेकर गंगा की लहरों के साथ ही किनारों पर झाड़ियों की भी कांबिंग कराई जा रही है. टीमों ने आदित्यवर्धन को तलाशने में पूरा जोर लगा दिया है.

घाट पर हमेशा लोगों की भीड़ जुटी रहती है.
घाट पर हमेशा लोगों की भीड़ जुटी रहती है. (Photo Credit; ETV Bharat)

परिजन घाट पर डटे : वाराणसी में स्वास्थ्य विभाग में उपनिदेशक आदित्य वर्धन शनिवार की सुबह बिल्हौर के नाना मऊ घाट पर डूब गए थे. उनके परिजन लगातार कानपुर आ रहे हैं. सोमवार को ऑस्ट्रेलिया से उनके पिता रमेश सिंह, मां शशि प्रभा कानपुर आ गए थे. उनके चचेरे भाई बिहार सीएम के सचिव अनुपम सिंह लगातार तीन दिनों से नाना मऊ घाट पर ही बैठे हैं. कानपुर के जिला प्रशासन के अफसर से भी अनुपम सिंह संपर्क बनाए हुए हैं. परिजनों का कहना है कि जब तक आदित्य वर्धन का कुछ पता नहीं लगता कब तक वह कानपुर में ही मौजूद रहेंगे. मौजूदा समय में आदित्य वर्धन की बहन प्रज्ञा व गुड़िया, मां शशि प्रभा, पिता रमेश सिंह समेत कई अन्य परिजन मौजूद हैं.

घाट पर मौजूद रिश्तेदारों की मायूसी वक्त के साथ बढ़ती जा रही है.
घाट पर मौजूद रिश्तेदारों की मायूसी वक्त के साथ बढ़ती जा रही है. (Photo Credit; ETV Bharat)

गंगा की लहरों में कैसे समा गए तैराक आदित्य वर्धन : बताया जा रहा है कि डिप्टी डायरेक्टर अच्छे तैराक माने जाते हैं. उन्हें तैरीकी में खुद पर पूरा भरोसा था. घाट पर नहाने आए उनके साथ के लोग भी इसे लेकर बेफिक्र थे. घाट के किनारे डिप्टी डायरेक्टर पास के मंदिर में सेवारत पवन उपाध्याय समेत अन्य के साथ वहां पहुंचे थे. पवन नहाकर बाहर निकल आए थे. डिप्टी डायरेक्टर जब डूबने लगे तो उन्होंने चेताया लेकिन उनके साथ आए लोगों ने समझा कि वह तैर रहे हैं. तैराक भला कैसे डूब सकता है, इसी अति आत्मविश्वास और गलतफहमी में डिप्टी डायरेक्टर डूब गए.

गोताखोरों की कई टीमों को तलाश के लिए लगाया गया है.
गोताखोरों की कई टीमों को तलाश के लिए लगाया गया है. (Photo Credit; ETV Bharat)

गंगा बैराज बना छावनी, 24 घंटे पुलिस की मौजूदगी : डिप्टी डायरेक्टर की तलाश के लिए लगातार टीमें काम कर रही हैं. गंगा बैराज पूरी तरह छावनी बन गया है. कुल 3 शिफ्टों में ड्यूटी लगाई गई है. करीब 75 पुलिस कर्मियों को सर्च अभियान में शामिल किया गया है. एसडीआरएफ के 12 जवान, करीब 15 निजी गोताखोर, पीएसी गोताखोर टीम के 10 जवान आदि सर्च अभियान चला रहे हैं. पुलिस कर्मियों की निगाहें गंगा की लहरों पर हैं. जरा सी भी हलचल दिखने पर पुलिसकर्मी चौकन्ने हो जाते हैं.

ड्रोन भी नहीं ढूंढ पायाः दरअसल, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल पुलिस व गोताखोरों की ओर से मंगलवार को उपनिदेशक स्वास्थ्य आदित्य वर्धन सिंह की तलाश में ड्रोन से सर्च अभियान शुरू किया गया था. कई घंटों तक ड्रोन से सर्च कराने के बावजूद उक्त टीम के सदस्यों को कोई सफलता नहीं मिली. ड्रोन से सर्च के अलावा टीम के सदस्यों ने गंगा की तेज लहरों के बीच मोटरबोट व स्ट्रीमर की मदद से आदित्यवर्धन सिंह को ढूंढा, लेकिन नतीजा सिफर रहा. वहीं, सुबह से घाट पर पहुंचे परिजन गुमसुम होकर दोपहर तक तो मौजूद रहे. मगर देर शाम वह भी मायूस होकर वापस लौट गए. जिला प्रशासन के आला अफसरों ने परिजनों को ढांढस बंधाया और कहा कि स्वास्थ्य विभाग में उप निदेशक आदित्यवर्धन सिंह को तलाशने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं.

गंगा के दोनों ओर कई किलोमीटर तक स्ट्रेच पर भी होगी तलाश: एसडीएम बिल्हौर रश्मि लांबा ने बताया कि मंगलवार सुबह करीब आठ बजे से ही गंगा में सर्च अभियान शुरू कर दिया गया था. बुधवार सुबह आठ बजे से फिर से एनडीआरएफ व एसडीआरएफ टीम के सदस्य गंगा में बिल्हौर से लेकर गंगा बैराज तक लगभग 30 किलोमीटर से अधिक गंगा के दोनों किनारों (स्ट्रेच एरिया) पर भी सर्च अभियान जारी रखेंगे. बिल्हौर थाना प्रभारी अशोक सरोज ने बताया कि मंगलवार को आदित्य वर्धन सिंह के पिता रमेश सिंह की ओर से तहरीर देकर गुमशुदगी दर्ज कराई गई है.

बड़े पदों पर तैनात है डिप्टी डायरेक्टर के परिवार के सदस्य : मामला हाई-प्रोफाइल होने के कारण प्रशासन हर वह मुमकिन कदम उठाने के तैयार है जिससे डिप्टी डायरेक्टर का पता लगाया जा सके. डिप्टी डायरेक्टर की पत्नी श्रेया मिश्रा महाराष्ट्र में एडीजे हैं. बेटी उनके साथ ही रहती है. डिप्टी डायरेक्ट के चचेरे भाई अनुपम बिहार के सीएम नीतीश के सचिव हैं. इसके अलावा बहन प्रज्ञा ऑस्ट्रेलिया में रहती है. वह वहां सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. रिश्तेदर लगातार एक-दूसरे से फोन पर अपडेट ले रहे हैं.

यह हुई थी घटना : उन्नाव के बांगरमऊ इलाके के गांव कबीरपुर के रहने वाले आदित्य वर्धन की तैनाती वाराणसी में है. वह लखनऊ के इंदिरा नगर कॉलोनी में रह रहे थे. वह वहां से कार से दो दोस्तों के साथ नानमऊ घाट पर पहुंचे थे. इस दौरान नहाते समय वह गंगा में डूब गए. तब से उनकी तलाश चल रही है.

यह भी पढ़ें : कानपुर में गंगा में डूबे स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर; आस्ट्रेलिया से सीधे घाट पर पहुंचे माता-पिता बेटे को पुकारते रहे; चौथे दिन का सर्च अभियान शुरू

Last Updated : Sep 5, 2024, 2:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.