नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वो भारतीय कुश्ती संघ की तदर्थ कमेटी को भंग करने के बाद उसके प्रबंधन को लेकर अपना रुख साफ करे. मंगलवार को जस्टिस सचिन दत्ता ने केंद्र सरकार से कहा कि वे एक हफ्ते में कोर्ट को अपने रुख के बारे में सूचित करें. अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी.
सुनवाई के दौरान पहलवान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा कि भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज को देखने के लिए एक प्रशासक की नियुक्ति की जरूरत है. खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ को दिसंबर 2023 में भंग कर तदर्थ कमेटी का गठन किया गया था और मार्च में इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने तदर्थ समिति को भी भंग कर दिया. ऐसे में आज की तिथि में भारतीय कुश्ती संघ बिना किसी प्रमुख के है.
तब कोर्ट ने कहा कि खेल मंत्रालय के हलफनामे में भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज को लेकर अस्पष्टता है. ऐसे में उसे अपना रुख साफ करना चाहिए. आखिर भारतीय कुश्ती संघ का रोजाना का काम कौन देखेगा? भारतीय कुश्ती संघ को कुश्ती के आयोजन, खिलाड़ियों के चयन समेत दूसरे कामकाज करने होते हैं. ऐसे में केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट होना चाहिए. कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.
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बता दें, 7 मार्च को भारतीय कुश्ती संघ ने कहा था कि वो एशियन ओलंपिक क्वालिफायर्स एंड वर्ल्ड ओलंपिक क्वालिफायर्स के दूसरे सेलेक्शन ट्रायल के लिए पहलवानों को आमंत्रित किए जाने संबंधी सर्कुलर को वापस लेगा. याचिका दायर करने वालों में बजरंग पुनिया के अलावा विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और सत्यव्रत कादियान शामिल हैं.
याचिका में भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज के लिए तदर्थ समिति का गठन करने या सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज को प्रशासक नियुक्त करने की मांग की गई है. बता दें, इन पहलवानों ने बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला है. महिला पहलवानों ने बृजभूषण और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व सचिव विनोद तोमर के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाते हुए केस भी दर्ज कराया है, जो राऊज एवेन्यू कोर्ट में लंबित है.